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Ravendra
Shayar Suryavanshi
Shailendra Anand
रचना दिनांक २२,,,,११,,,२०२३,, वार ््बुधवार ्् समय सुबह दस बजे ्््शीर्षक भावना से मन का नशा तन का नशा,,्् नशा जो भी हो धन संपत्ति अभिमान का नशा।। स्वाभिमान का नशा जब चोट लगती है दिल पर,, ,,मानो तब सुध बुध खो कर नशा मद मस्त अनुभूति मस्तिष्क पर गहरा असर डालती है वो भूल जाते है।। ्््् इन्सानी तहजीब मगरुर होती तन्हाइयों में वो लफ्जो का नशा,, धर्म का नशा किसी भी हद तक ताबूत में आखिरी कील से अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी बार प्राण वायु को ध्यानस्त प्रेयर करने वाले अच्छे ख्यालात मोक्ष कारक साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे।। जीवन फूलों से भी सूक्ष्म महीन चूर्ण के भांति निखरकर उभरकर सामने सागर की लहरें उन्मुक्त रोम रोम में विराजित है।। नारीशक्ति मे रचता बसता है,, प्रेम मूर्ति प्रतिष्ठिता त्वमं भिक्षादेही नारायणं वामन अवतार विप्र वार्ता महाकुंभ कलशं शुक्राचार्य दैत्य गुरु राजा बलि संवाद प्राण पण धर्मरक्षक असूरेन्द़ नारायण देव कारज सो कर्म भूमि वर्चस्व छल कपट प्रपंच तीन पग दानभुमि वैकुंठ नाथ परमेश्वरं जनहितं राज्यसुखमं कर्म धर्म विचारणीयमं ज्ञान दर्शन मार्गदर्शन मद अंहकार शमन नाशकं मानव धर्म सर्वोपरि रक्षकं।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद २२नवमबर२०२३ शुक्राचार्य राजाबली संवादप्राण पण महादानी असूरराज ©Shailendra Anand #ChainSmoking मदनशा अंहकार बोलता है और मुमकिन है दानकीमहत्ता और विषयासक्त आसक्तं नशा मानवदेह विष औरअमृत जीवन महत्व कारकं।।््शैलेन्द़ आनंद ््
Shailendra Anand
रचना दिनांक ५,,,११,,,२०२३ वार रविवार समय ््सुबह आठ बजे ्््् शीर्षक ्् शीर्षक छाया चित्र में दिखाया गया भावचित्र प्रेम शब्द से बिन्दु से सजाया गया छाया चित्र वीथिका शीर्षक है।। ्््््् बिन्दु में एक अनोखा अंतर्मन दंव्दं चलता है,, जो अपनो से उपर अलग होकर भी एक होता है।। लेकिन अंहकार बोलता है हम सुनते है,, जो हमारी विवशता दर्शाता है।। जो अपनो की वजह से वो हम खामोशी से देखते है ,, लेकिन सब कुछ भाग्य की किरणों में प्रकाश बिन्दु,, की कल्पना में एक जीवंत प्रयास कर रहे आशा की किरणें उत्पन्न होती है जिसे अपने मकसद का नाम है।। जो कहते है ,, वो लफ्जो से भावना से मन की तरंगों से एकाग्रता से ध्यान की वंदना योग साधना का आज्ञा चक्र बन रेचक से आज्ञा चक्र में स्थित योगिस्थ होकर।। कूण्डलिनी जागृत कर समाधिस्थ मनोतेज होकर आत्मवायु को प्राणवायु में केन्दीत कर ,, मस्तिष्क में समाधिस्थ अभ्यास ही योगिराज परब्रह्म परमात्मा प्रभु में समविलीन आत्मबिन्दू में सदैव के लिए सम्पूर्ण लोक में भ़मण करती मेरी आत्मा का पूनर्रजन्म नहीं होता है ।। यह क़िया क़ियात्मक वेदोक्त पूराणोक्त ,, शाश्वत सत्य रोग पीडा नाशक कल्याण दायनी।। शक्ति प्रदायिनी जीवन चक्र बिन्दु से लेकर जीवन में,, कर्मयोग कुंडलिनी जागरण अभियान संवाद सम्बोधन से मजबूत हो।। यही ईश्वरीय परिदृष्य से मानवता का पाठ दर्शन ,, सनातन विचार का सैद्धांतिक रूप मूल दस्तावेज उदगम स्थल आयना नजरिया है।। ्््््् कवि शैलेंद्र आनंद ५,,, नवम्बर २०२३ ©Shailendra Anand #MoonShayari छाया चित्र बिन्दु पर योग साधना मोक्ष कारक ज्ञान यज्ञ शुभकारकं देवारपणं करिष्यामि।।
Ravi Shankar Kumar Akela
शनि दास्य वृत्ति का कारक है अत: छोटे काम करने वाले, परिश्रम करने वाले लेबर क्लास के लोग शनि के अंतर्गत आते है। शनि वृद्ध है, अनुभव समृद्ध है, परिपक्व है अत: वृद्धत्व, दु:ख, बीमारी, शोक, दारिद्रय, मृत्यु आदि शनि के कारकत्व में आती है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #umeedein शनि दास्य वृत्ति का कारक है अत: छोटे काम करने वाले, परिश्रम करने वाले लेबर क्लास के लोग शनि के अंतर्गत आते है। शनि वृद्ध है, अनुभव
rajkumar
ram ram ji ©rajkumar रविवार का दिन सूर्य देव को अर्पित है. ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा गया है. जीवन में तरक्की और बाधाओं से निजात पाने के लिए सूर
Ravi Shankar Kumar Akela
किस्मत या भाग्य उन घटनाओं को शामिल करता है जो वास्तव घटनाएँ हैं, उदाहरण के लिए एक व्यक्ति का जन्म स्थान, लेकिन जहां कोई अनिश्चितता शामिल नहीं है, या जहां अनिश्चितता अप्रासंगिक है। संवैधानिक भाग्य, अर्थात्, उन कारकों के साथ भाग्य, जिन्हें बदला नहीं जा सकता है। जन्म स्थान और आनुवंशिक संविधान विशिष्ट उदाहरण हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #MainAurMaa किस्मत या भाग्य उन घटनाओं को शामिल करता है जो वास्तव घटनाएँ हैं, उदाहरण के लिए एक व्यक्ति का जन्म स्थान, लेकिन जहां कोई अनिश्चित
Ravi Shankar Kumar Akela
"परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #DiyaSalaai "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। प
Ravi Shankar Kumar Akela
"परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #Gulaab "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्या
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१ यकीनन हम सोचा नही करते कभी अंजाम अपना, तो फिर आज हमे जल्लाद की*कयादत क्यूं है//२ ये महसूस तो करे के,रब रहता है हरदम करीब*रगे गूलू तो फिरआज हमे दर बदर भटकने की ज़रूरत क्यूं है//३ हम अपनी नाफरमानी,नादानी के खुद ही है*बाइस, तो फिर आज हमे खामखां औरो से शिकायत क्यूं है//४ जिस मिल्लत का*हामी हो अल्लाह और कूरान,तो फिर आज इस मिल्लत के हिस्से मे*ज़लालत कयू है//५ कुछ् संगदिलो के सीने मे है,उल्फत,तो फिर आज हम*बशर को बशर से इतनी नफरत क्यू है//६ बेशक हमको मयस्सर है बेशुमार तदादे कुव्वते बाजू,तो फिर आज हमे अबाबीलों के लश्कर की ज़रूरत क्यूं है//७ यकीनन देगा खुदा*फतेह,तू बस*इतेहाद से रह,जललाद खुद होगा खाक,फिर आज तेरे दिल मे *हताहत क्यूं है//८ ऐ मुसलमा न डर,तू*बातिले कसरत से,तेरी की थौ जंगे-बदर मे मदद वो खूदा आज भी है,फिर आज तू उस जात से*गफलत्त मे क्यू है//८* शमा की है उसी खुदा से दुआ,के दुश्मने इस्लाम को कर दाखिल, मजहबे इस्लाम् मे,तो फिर आज हमे इस जंग की*वजाहत क्यू है//९ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lonely चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१*अत्याचारी*भय यकीनन हम सोचा नही क