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Ek villain
वसंत पंचमी के दिन वाग्देवी की आराधना हर्षोल्लास से की जाती है यह आराधना पार अपार विद्या की अधिष्ठात्री वेद में भगवती शारदा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्राणों देवी सरस्वती भारतीय परम चिंतन है सरस्वती के रूप में यह हमारी बुद्धि प्रज्ञा मनोवृति के संरक्षक है हम में जो आचरण और मेघ है उसका आधार भगवती सरस्वती ही है देवी भागवत पुराण के अनुसार माघ शुल्क पक्ष की पंचमी को मां शारदे मानव की डीहा प्रवास कर अपना आशीर्वाद प्राणी मात्र को प्रदान करती है विद्वानों का कहना है कि जो मन सैनिकों के लिए विजयदशमी का है व्यापारिक के लिए लक्ष्मी पूजन का है वही स्थान विद्या आरंभ होते ही उत्सुक बालक बालिका कवि नाटककार का गायकवादी का नित्य एवं समाज के लिए सरस्वती की आराधना उपासना कहां है उसको वाग्देवी शारदा भवानी देवी बागेश्वर भगवती आदि नामों से जानने और पुकारे जाते हैं माता सीता को खोजते खोजते बसंत पंचमी के ही दिन श्री राम और लक्ष्मण माता शबरी के आश्रम में पधारे थे रिद्धि ने अपने पति कामदेव को पुनर्जीवित करने के लिए 40 दिवस कठोर तपस्या की जिससे पद से प्रसन्न होकर महादेव ने बसंत पंचमी के दिन ही रहती के कामदेव को प्रणाम मात्र के मन में आना ग्रुप में सदैव उपस्थित रहने का वरदान देकर आज अमर कर दिया इस दिवस पीले वस्त्र एवं पूर्व का विशेष महत्व होता है यह समृद्ध सूचक और मंगलकारी माना जाता है हल्दी से सरस्वती पूजा एवं उसी का तिलक लगाने का विधान है घरों में पीले व मिठाई के सर के साथ पके चावल खाने का संचरण कुछ राज्यों में देखने को मिलता है इस पवित्र दिवस में सरस्वती पूजा की विधि विधान से करने से अभिव्यक्त फल की प्राप्ति शास्त्रों में वर्णित मिलती है ©Ek villain #वाग्देवी की आराधना माता सरस्वती #proposeday
Shailendra Singh Yadav
तुम जैसा कोई नहीं तुम सुन्दरता की प्रतिमा। सुन्दर जुल्फें तन मन सुन्दर चेहरे पर सुरम्य लालिमा। रात में जब तुम चलती हो हट जाती है रात कालिमा। तेरा जब तेरा दीदार करें तो तुम दिखती हो चाँद पूर्णिमा। शायर:-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी तुम सुन्दरता की प्रतिमा।
Arora PR
क्या मनुष्य की किसी दिन देवतुल्य प्रतिमा बन सकेगी? वो मनुष्य जो जीवन भर नर्क की. मिट्टी मे पला बड़ा पोषित हुआ है उसकी देवतुल्य प्रतिमा बनाने के लिये तो जरुरी है कि देवलोक की मिट्टी धरती पर लाइ जाय क्योकि धरती की मिट्टी तो सारे रसायन पहले से ही. ख़ो चुकी है तभी तो यहां आदमी रक्त स्वेद्द और आसुऑ का उपयोग खेतो की सिंचाई के लिये.करने हेतु विवश हुआ है ©Arora PR देवतुल्य प्रतिमा
Kumarchitra
इतक्या धूसर वातावरणातही निसर्गाच्या प्रतिमा तितक्याच नितळ.. पण आज मानवजातीच्या प्रतिमा मात्र बिनचेहऱ्याच्या ..इतक्या धूसर !! ©️कुमारचित्र #प्रतिमा #image
Arora PR
White मंदिर में ख़डी वो प्रस्तर प्रतिमा खडे खडे ज़ब थक गई तो उसका क्रोध फुट पड़ा....लगा जैसे वो कुछ कहना चाहती हो कि मै भी सड़क के पथरों की तरह मूक हु .. लोग यहां आकर सिर झुकाते हैँ मन्नते मांगते आभार प्रकट करते हैँ. अफ़सोस मै उनके आभार के प्रति उन्हें कोई सांत्वना सन्देश नही दे सकती"j ©Arora PR प्रस्तर प्रतिमा