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Stories related to पारिवारिक कानूनी सलाह

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#leafbook ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं,यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१ जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे,खुद्दार मतलबी से सलाह म

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Unsplash ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं,
यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१

जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे,
खुद्दार मतलबी से सलाह मांगते नहीं//२

बज़्म ए सुखन में देख कर रानाइयाँ मेरी,
मारे हसद के लोग दाद मारते नहीं//३

समझाया मैने दिल को बचो इश्क़ -मुश्क़ से,
नादान दिल भी तो कहा मानते नहीं//४

ये दुनियाँ बहुत बड़ी है,शमा" बात याद रख,
के पसमादों पे कभी भी कमाँ तानते नहीं//५
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #leafbook ©चंद साल से जो लोग मुझे जानते नहीं,यूँ तक रहे हैं जैसे पहचानते नहीं//१

जो मतलबी हैँ,वो तो तन्हा ही रहेंगे,खुद्दार मतलबी से सलाह म

IG @kavi_neetesh

#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान

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Ashutosh Mishra

#Nojotoसे शिकायत #शिकायत #सलाह #हिंदीनोजोटो #हिंदीकोट्स #आशुतोषमिश्रा Sharma_N HINDI SAHITYA SAGAR Ganesha•~• Poonam वंदना .... KRI

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Rakesh frnds4ever

वो #पुरुष कैसे #संभाले खुद को जो कि ना तो #नशा करता है ना ही गाली देता है जिसका न कोई संगी #साथी है न की #प्रेमी न दुश्मन जिसके

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक मां पापा का सम्मान विधा विचारनुमा भाषा शैली हिन्दी . . भाव वास्तविक मन के भाव

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theABHAYSINGH_BIPIN

मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प

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White मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला?
एक शोर उठता है, रह-रह कर जो,
आख़िर खुद में ही क्यों दबा?

ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ,
सवालों का कभी जवाब नहीं मिला।
गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ,
मन में लिए कितने सवाल चला।

कितनों से बात की मैंने,
कितनों को बेहतर सलाह दी।
मिला दे मुझे खुद से या रब से,
एक मकसद को डर में फिरा।

सुना, गुनाह रब माफ़ करते,
मंदिर मस्ज़िद को निकला।
माफ़ कर सकूँ पहले खुद को,
खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला।

©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों प

KUMARI USHA AMBEDKAR

पारिवारिक सुझाव

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना शीर्षक विश्वासघातकं विश्वासघातकं कुलसम्बन्धं यावत् निर्दोषतायां स्वार्थः भवतु, यावत् वयं तेषां हितकराः स्मः, अन्यथा

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