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K R SHAYER
दीपा साहू "प्रकृति"
White बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है। दूर बहुत हम आ निकले हैं तुम तक साँसे ठहर गई है। ये हर्फ़ मेरे पढ़ा करोगे,इश्क़ हमारा हुआ है तुमसे सुनाएंगे तुमको ग़ज़ल हमारी,लिखी कभी जो ठहर गई है। बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है ©दीपा साहू "प्रकृति" #mountain #बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है। दूर बहुत हम आ निकले हैं तुम तक साँसे ठहर गई है। ये हर्फ़ मेरे पढ़ा करोगे,इश्क़
Dev Rishi
एक वसंत आई थी एक नदी बनाई थी बह निकले हम भी उसी में किनारा क्यों नहीं बनाई थी.. ©Dev Rishi #बह निकले हम भी....
INDIA CORE NEWS
Ganesh Joshi
धर्म की रक्षा के लिए अपने अंदर करंट पैदा करो क्योकि जिन तारो पर करंट नहीं होत उनपर लोग कपङे सुखाते हैं ©Ganesh Joshi #धर्म की रक्षा के लिए अपने अंदर करंट पैदा करो क्योकि जिन तारो पर करंट नहीं होत उनपर लोग कपङे सुखाते हैं #story #status #sanaatan
omkar432
हम अपनी जिंदगी के सुलझे हुए पन्नों को खुद ही उलाज लेते है, और हां अपनी जिंदगी के अनसुलझे हुए पन्नो को भी हम खुद ही सुलझ लेते हैं, और जनाजा कैसे ना निकले मोहब्बत करने बालों का, मोहब्बत को सब कुछ समझ लेते है। ©omkar432 #boatclub जनाजा कैसे न निकले मोहब्बत करने....
AJAY NAYAK
आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं ऐसा रंग चढ़ाऊं मेरा खुद का श्याम रंग भी लागे फीका फीका। तू जितना उतारे रगड़ रगड़ के वो चढ़ता जाए बिच्छू विष समाना। तेरे लाल होठों को छू के एक एक करके बस निकले गालियां। मेरे लिए तो बस यही है तेरी वो बलायियां। जिसे सुनने को जिसे पाने को मैं हर बार जनम लू यहां । जब भी मिले रंग दूं मैं धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां। ऐ मेरी राधा आ रंग दूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं
Ujjwal Kaintura
घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्होंने उठाया था, अपने कई सपनो का गला उन्होने दबाया था। इस फरेबी दुनिया के तानों से, घर के बाहर जाना था। कहा सोचा था फिर, वापस आने का रास्ता फिर कठिन था। घर से निकले थे जो कहकर ! जिम्मेदारी पापा अब हम आपस में बांट लेंगे। भूल गए थे देखना उन नम आंखो में , जिसने पूछा था सवाल ? बेटा कही तुम जाकर वापसी का रास्ता तो ना भूल बैठोगे? ©Ujjwal Kaintura #GingerTea घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्ह