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Ram Yadav

White ये सारे देवता,,, 
जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों....
के पास क्यों मिले????

क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए????????




ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । 
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।।


हरि ॐ

©Ram Yadav #Krishna #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण

Ram Yadav

White दुनियां में मौजूद लगभग हर धर्म की किताबें पढ़ रहा हूं।

लेकिन,

किसी भी किताब में 
नाग, पीपल, बरगद, गंगा, कैलाश, चिड़िया, चूहा, हाथी, शेर, चींटी आदि का पूजन नहीं लिखा मिला।।।।।

किस दर्जे के महान वैज्ञानिक रहे होंगे मेरे पूर्वज
जो जानते थे जैव श्रृंखला का नियम
यानी एक भी प्रजाति मिटी 
तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

और फिर जाने कहां से आए वो मूर्ख विकसित मानव
जिन्होंने इन परंपराओं पर धर्म की चादर लपेट दी🥹।।।।।।।

कितने अविकसित और तुच्छ बुद्धि के मानव रहे होंगे
जिन्होंने सभी जीवों को मानव जाति का सेवक बता दिया

#अध्यात्म #पर्यावरण #भारत

©Ram Yadav #Animals #पर्यावरण #भारत #अध्यात्म

Ram Yadav

White अच्छा रोज ये सफर में 
मौत के बाद जो रंग भर लेते हैं न???

अगर सूरज न होता 
तो इस कायनात को जगाता कौन?????

मोट्टो 
इसके आगे के किस्से तू सोँच 
मैं कहानियां सुनाता हूं😅

ईरान पहले आर्यान था
जो अग्नि यानि ऊर्जा की पूजा करता था

वैसे कितनी ही सभ्यताएं चली गईं न?
फिर भी भगवान????????????????????

और अब भी लड़ रहे हैं लोग...
भूमि,गगन,वायु,अग्नि,नीर
न पढ़ कर 
भगवान के लिए😒😌

छोड़ो भी, ये छोटी बातें....
कल भी सूरज जी आप आ जाना
मेरे जैसे आठ अरब लोग जीना चाहते हैं
अपने ख़्वाब
!!!!!!!!!!!!!!!
#पर्यावरण🥹#अध्यात्म 


हरि ॐ 
१८.०७.२०२४

©Ram Yadav #good_morning_quotes #अध्यात्म #पर्यावरण #भारत

Ram Yadav

White जब भी कोई सड़क मंजूर होती है....

पेड़ सिहर उठते हैं।।।।।।



दौलत शोहरत और लालची हवस से नंगे

ये इंसानों की कौम कुल्हाड़ी लिए आ रहे हैं

😭

©Ram Yadav #good_night_images #भारत #पर्यावरण #अध्यात्म

Ram Yadav

White एक दुनियां तुम्हारी बनाई
एक दुनियां उसकी बनाई

तुम्हारी दुनियां में तुम हो
उसकी दुनियां में हम सब हैं

अपनी लड़ाई में
हड़प्पा भी हारी 
मेसोपोटामिया भी हारी 
यूनान भी हारा
रोम भी हारा।।।।।।

पर उसकी लड़ाई में
पेड़ जीत गए
पहाड़ जीत गए
मिट्टी जीत गई
नदियां जीत गईं।।।।।।।।।।।।।

अच्छा
इस घमंड भरे मैं में
स्वर्ग या नर्क 
किसी ने देखा है??????????
ऐसी कहानियां क्यों लिखी गई होंगी??????????????


हरि ॐ
१२.०७.२०२४

©Ram Yadav #sad_dp #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण

Ram Yadav

ये पहाड़ नहीं दरक रहे ।।।।।


दरक रहा है वो इतिहास
जिसे पृथ्वी ने
करोड़ों साल लिखा

मानव नाम की जात को पैदा करने के लिए ।।।।।।।।।।।।।


हां
तो क्या बता रहा था??????

एक उल्का ने पृथ्वी से जीवन खत्म कर दिया
फिर दो महाद्वीप टकराए
और हिमालय का निर्माण किया
इन पहाड़ों से टकरा कर धूल के बादल बारिश करने लगे
और पृथ्वी को जीवन लायक बनाया।।।।।

फिर मानव पैदा हुआ
🥹


वैसे क्या सच में कैलाश जीवंत हृदय है
पृथ्वी में स्पंदन पैदा करता
नदियों को जल देता।।।।।।।।


हरि ॐ 
१०.०७.२०२४

©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण #हिमालय

Ram Yadav

मत दिखावा करो पेडों के लिए

अपनी जगह में लगाओगे नहीं
दूसरे की जगह में बचाओगे नहीं

ये पेड़ किसी न किसी विकास के आड़े आ ही जायेंगे..
काटोगे, जड़ों में तेजाब डालोगे या जला दोगे!!

घर के पास वाला विशाल पीपल एक्सप्रेस वे ने निगल लिया.....
एक प्रिंसिपल की सनक ने मेरे के.वी में झूमते बूढ़े बरगद काट दिए।।।

शायद पचास ही सालों में ये विकास की अंधी दौड़ ................

शरीरों की जरूरत खत्म करके
मानव आत्मा आज़ाद कर देगी

सच बताओ ना, पेड़ तुम्हारे लिए कब अहमियत होंगे????

©Ram Yadav #भारत #पर्यावरण #अध्यात्म

Ram Yadav

उन लोगों के जीवन पर धिक्कार है!!!!!!!!


जिनकी आंखों में सामाजिक लाज का भाव न हो.......
जिनमें नैतिक संवेदना और परपीड़ा का एहसास न हो।।।।।

हरि ॐ 
३०.०६.२०२४

©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण #अहिंसा

Ram Yadav

White एक गंवार भारत भी है! 

जो कॉरपोरेट सत्ता का पेट भरने, उनके लिए मशीनों से आधुनिक विकास करने और बिना जमीनी आंकड़ों वाली जीडीपी चलाने के लिए..
जंगल, जमीन, नदियों, आकाश, हवा वाले देवताओं का आह्वान करता है।
वो शहरों का पेट भरने के लिए बारिश और अच्छी फसलों की प्रार्थना करता है ताकि ये शहर उसके बच्चे को स्कूल, अस्पताल और नौकरियां दे सके। अंततः उसको भी विकसित कहा जाए।

बेचारा गंवार, अशिक्षित, बदबूदार, मैला कुचैला, असभ्य, बीमार होता, शहरों में हांफता, यूरिया और पेस्टिसाइड के कुचक्रों से जूझता, इंडिया में अपना अस्तित्व ढूंढता एक भारत।

©Ram Yadav #good_evening_images #पर्यावरण #भारत

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

सूखी धरती फटी दर्द से करती है चित्कार यह।
मेरी हरियाली लौटा दो कर दो तुम उपकार यह।।

हरे भरे जो वृक्ष रहेंगे जन-जीवन मुस्काएगा।
धरती झूमेगी खुशियों से मस्त पवन लहराएगा।।

सुखी रहूंगी मैं सुख से जो तुम भी तो सुख पाओगे।
मेरे साथ नहीं तो तुम भी ऐ मानव दुःख पाओगे।।

वृक्ष अगर होंगे तब ही तो शुद्ध हवा  जल पाओगे।
आज सुखी खुशहाल रहोगे तुम कल भी सुख पाओगे।।

वृक्ष न होंगे धरती पर तो श्वाँस कहाँ से लोगे तुम।
छाया ठंडी कहाँ पाओगे कैसे फल पाओगे तुम।।

हरे भरे ये वृक्ष हैं गहने वृक्ष है धरती का सिंगार।
मानव जीवन को प्रकृति का मिला है ये अनुपम उपहार।।

धरती की रक्षा करनी है पर्यावरण बचाना है।
आओ यह संकल्प करें हम घर-घर वृक्ष लगाना है।।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #पर्यावरण
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