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musical life ( srivastava )
सुनों मुझे एक बात कहनी हैं इस बार मैं तुम्हारी शुक्रगुजार हूँ ( भ्रम ) बातों का क्या हैं वो तो हर बार बनते बिगड़ते रहते हैं पर तुमने इस बार मेरी उलझन सुलझाई हैं ( परम कर्तव्य) हर बार हम तुम्हारी परेशानियों मे खड़े होते थे इस बार तुमने परेशानियाँ सुलझायी हैं ( गलती से) आपकी इसी हरकतों पर हमारा दिल जी जाया करता हैं 🤐🤨 चलों एक बार फ़िर से हम उन दिनों को याद करते हैं फ़िर से उन्हीं सड़को पर अपनी रफ्तार पकड़ते हैं 🏍 जिन पर तुम और हम साथ चला करते थे आये हाये क्या दिन थे जब डण्डा लिये पुलिस वाले दौड़ाया करते थे 👨✈️ कुछ भी कहो क्या दिन थे... मस्त होकर बेफ़िक्र जिया करते थे ....🤹♂️🤹♀️ कुछ अनमोल शब्द ( मज़बूरी ) हर बार तेरी मोहब्बत भरी नज़रों को देख हम नज़र चुराया करते थे पर इस बार तेरी मोहब्बत मे ख़ुद ब ख़ुद अपनी नज़रों मे मोहब्बत लिये तुझे इज़हारे मोहब्बत बयां किया हैं ....!! ©# musical life ( srivastava ) #Barsaatइश्क़ एक अजनबी N अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Suresh Gulia
musical life ( srivastava )
कुछ महिनों की बच्चीं.... गोल मटोल सी.... गाल इतने फूले कि जैसे मुँह में रसगुल्ले भरे हों ..! जो भी उसे देखे गाल खींचने से खुद को रोक ना पाये....... उस बच्चीं की माँ जो अपने सर पे लकड़ी का गट्ठर लिये उस बच्ची के पास आती हैं और उसे दूर से पुचकारते हुए लकड़ी का गट्ठर जलते चूल्हें के बगल मे रखतीं हैं। और वो नन्हीं शैतान जिसके पैरों मे कुछ था... माँ पास जाके उसको दुलारती हुई उसके पैरों मे बँधे रस्सी को खोल गोद मे उठाती हैं.... वो लीची का पेड़ जिसमें उस बच्ची की बँधे पैर हमेशा उसको जलते चूल्हें से दूर रखती थी... वो पेड़ भी माँ की तरहां उस बच्ची को सम्भाले अपनी छाँव दिया करती थी। जैसे जैसे उस नन्हें पैरों की ज़िम्मेदारी उस पेड़ पर बढ़ती गयी... वो लीची का पेड़ भी उस बच्ची को सम्भाले झुकती गयी। लीची का पेड़ भी अब माँ की ममता को समझती थी। अपनी नन्हीं सी डाल को बच्ची के लिये झुकाया करती थी। हालाँकि बच्ची भी बहुत शैतान थी..... जब आयी वो घुटनों पे... तो शैतानियों की लिस्ट बढ़ती गयी... एक दिन ऐसा आया की पूरा घर अशांत हो गया। घर का हर सदस्य उस बच्ची को ढूँढने के ख़ातिर पूरे घर के दस चक्कर लगाया। सब जगह ढ़ूँढ़ने के बावजूद जब बच्ची आयी ना किसी को नज़र... तो सबके आँखों में उस बच्ची के लिये आँसू भर आया.... फ़िर बाबा की दिमाग़ की बत्ती जली... ना किसी से कुछ कहा... ना किसी की फिक्र की.... बस दौड़ लगाते उस जगह पहुचें... जहाँ उन्हें एक आखिरी आस थी....! देखा ....... सारे देवी- देवता धरती पे विराजमान हैं और उनकीं छोटी नन्हीं शैतान भगवान की सेज पे अच्छे से विराजमान थी। सोती हुई नन्हीं परकाला अभी शान्त लग रही थी पर उसके कारनामे ...... पैदा होते ही शुरु थी। ©# musical life ( srivastava ) #Aasmaan खुशियों की एक अजनबी अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर N