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वंदना ....

#प्रेम अट्रैक्शन मोह माया कुछ भी नहीं है..... #प्रेम सर्वोच्च समर्पण है जैसे भक्त का ईश्वर की प्रति भक्ति.......🤗🤗🌹🌹🌹

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जब तक प्रेम मुक्त है आज़ाद है......
तब तक  हि प्रेम आपका है

©वंदना ....  #प्रेम अट्रैक्शन मोह माया कुछ भी नहीं है.....
 #प्रेम सर्वोच्च समर्पण है
जैसे भक्त  का ईश्वर की प्रति
भक्ति.......🤗🤗🌹🌹🌹

khushbu Mavar

नितिन कुमार 'हरित' sheetal pandya मेरे शब्द ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) Rohit Romun POETICPOOJA

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thank you nojoto team

©khushbu  नितिन कुमार 'हरित'  sheetal pandya मेरे शब्द  ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)  Rohit Romun  POETICPOOJA

Bhupendra Uikey

बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

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बारिश की एक
 बूंद सागर की तलाश में
🌺👰

©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

White 
✍️["बरसों की तन्हाई"]✍️
"आज मैं उस शख़्स से मिला,
जिससे मिलने की बचपन से ख़्वाहिश थी।
बातें हुईं कुछ यूँ कि लगा,
जैसे बरसों की तन्हाई थी।"
💕💕 💕💕 💕💕
✍️["चाँदनी की आरज़ू"]✍️
"ऐ काश, चाँद की बाहों में
एक चाँदनी भी होती,
रात की ख़ामोशी में
बस उसी की रोशनी होती।"

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #Moon ["#चाँदनी की #आरज़ू"]
["#बरसों की #तन्हाई_और_.....# #shayari love

Indian Kanoon In Hindi

न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

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न्यायपालिका की विशेषताएँ :- 

* स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं

* संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं.

* दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है.

* न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती

©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

gauranshi chauhan

#GoodNight शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है, महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

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White 
day - 456
शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है,
महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

©gauranshi chauhan #GoodNight शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है,
महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

@howToThink

#भाषा की महत्ता

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Unsplash "भाषा एक ऐसा प्रकाश है जिसे 
यदि शालीनता से नहीं पहना गया
तो संपूर्ण व्यक्तित्व ही अंधकारमय
हो जाता है......।"

©@howToThink #भाषा की महत्ता

Parasram Arora

दर्द की चुस्कीया

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White दर्द अपना बाँटने 
की कई बार कोशिश 
की थीं हमने 

लेकिन इस दर्द को 
लेने को
 कोई भी 
तेयार नहीं हुआ 

लिहाज़ा अपने दर्द की
 चुस्कीया हम ताउम्र पीते रहे

©Parasram Arora दर्द की चुस्कीया

Parasram Arora

झूठ की चाबीया

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White सच पर  तालो की 
 लम्बी कतारे  हैँ 
जबकि झुठ के दरवाज़े
 खुले हुए हैँ 
और उनकी चाबीया 
किसी काम  भी  
नहीं आ रहीं हैँ
 
इसलिए तुम चाहो 
तो सच के तालो 
को झूठ की उन 
स्वचंड चाबीयो से 
खोल कर सच से 
रूबरू हो सकते हो

©Parasram Arora  झूठ की चाबीया

काली स्याही डिटेक्टिव

रसोई की सफाई.. उम्र की बड़ाई..

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