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दर्शनप्रशांत

Manish Rohila

politics poetry #poem

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World Poetry Day 21 March कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है| politics poetry

Manish Rohila

politics poetry #poem

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World Poetry Day 21 March आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
 अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे
 
 तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
 आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे
 
 एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
 चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे politics poetry

Manish Rohila

politics poetry #poem

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World Poetry Day 21 March जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे
 कमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे
 
 ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर
 मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे
 
 सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे
 वो अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे politics poetry

सुन्दरम दुबे

सावरकर को गाली देते, बौनी सोच रखने वाले,
रावण बन कर घूम रहे, राम नाम जपने वाले,
काल से उनको भय भी नहीं है, लूट रहे हैं जनता को,
पत्रिकारिता बड़ी कर रही, अल्प सोच की सत्ता को,
जनता के कार्यों को समझ रहे हैं भार,
कुछ भी पूंछो, एक ही उत्तर पूर्वज जिम्मेदार।


स्वच्छ मिशन के साथ रे भैया, हृदय स्वच्छ रखना होगा,
महादेव के असली रूप को, एक दक्ष रखना होगा,
राजनीति में राज जगा है, नीति नहीं अब बाकी है,
किसान की मेहनत सरकारों ने, नोटों से अब आंकी है,
नेता जेल में मसाज करा रहे, हद हो गई है पार,
कुछ भी पूंछो, एक ही उत्तर पूर्वज जिम्मेदार।

©सुन्दरम दुबे #Politics #Nojoto #Poetry #poetry_by_sundram 

#Politics

dipu_with_you

politics poetry #Quote #nojotophoto

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 politics poetry

Karan Tripathi Avichal

#adamgondvi poetry poetry #Politics

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तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है 
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है 

उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो 
इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है 

लगी है होड़ सी देखो अमीरी औ गरीबी में 
ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है 

तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के 
यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

©अदम गोंडवी #adamgondvi #poetry #poetry #politics

talent_hunt14

अब कुछ ही कदमों पर है वो दूरी,जहां ना समझे कोई मजबूरी,
यहां साथ की कभी ना कोई बात हुई, यहां मौत पे भी सियासत हुई,
हर वो सवाल पर हुई बवाल जहां वो खुद को सही ना पा सके,
यहां डॉक्टर भी हड़ताल करें,यहां नव शिशु की जान घूंटे,
यहां अपना रंग रंगने को वो काला रंग भी प्रचार करें,
मंदिर मस्जिद का खेल बनाकर अब वो राष्ट्रवाद भी निभाने लगे... #politics #poetry #writer

Roshan Sah

#Politics poetry life

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छालो के निशान थे, पसीनों की महक थी ।
खून की नदियां बही थी, गरीबों की महफ़िल लगी थी ।
राजनीती की गद्दी ,
इनकी जिंदगी से उपर लग रही थी ।

सुन सान रास्तों पर अपनो की आश थी ,
तेज धूप में नंगे पाओ की , साथ थी
और , आंखों में प्यास भुझाने की निराश थी ।
AC भी मुस्करा रही थी,मानो खिड़की से बाहर झांक रही थी ।।
उनकी आंखों में थी एक चमक ,
दूसरों के घर मेंहफुज कर ,
नंगे पाओ लौट चले अपने घर ।।

इस डगर का ना था कोई अंत ,
ना ही छालों पर कोई मरहम ।
ना ही AC का कोई साथ ,
ना ही गद्दी पर बैठे लोगों से कोई आश ।
थी तो बस आंसुओं के बीच, अपनो की याद
हो गया था दर्द से प्यार ।।

प्रभु भी देख रो पड़ा , पूछ बैठा खुद से ,
खुदा हूं मै? मैने क्या है बनाया?
खुद को मान बैठा ख़ुदग़र्ज़ तू ।।

दर्द के आसुओं को पीने , एक मसीहा हाथ जोड़े ,
उम्मीदों की सड़कों पर,अपनो के संग निकल पड़ा
घर में बैठे खुद,देश के हीरो ,पर एक तमाचा जड़ गया।।

हाथ फैलाए , अपनो को बाहों में भर लिया
प्यार का संदेशा , उम्मीदों की किरण
अपने-पन का भाव , अपनो के घर तक पहुंचा गया ।। #politics #poetry #life

गुरविंदर सिहँ राठोर

अब सिर्फ  देख मत अत्याचार  तू आवाज उठा, 
अब नहीं बन कर रहना लाचार  तू आवाज उठा। 

डरो मत  धर्मों से, ये सब  विज्ञान से बड़े  नहीं, 
बस अब  बंद करो ये व्यापार  तू आवाज उठा। 

जो मन में है वो कर निडर बेबाक हो अब चल, 
सोच मत क्या कहेंगे लोग चार, तू आवाज उठा। 

बाबाओं  मौलानाओं को दूर से जोड़ो उल्टे हाथ, 
मिटा दो अंधविश्वासी अंधकार, तू आवाज उठा। 

अब धरा को जरूरत है तेरे जैसे महान वीरों की, 
सिर्फ धर्म नहीं बचा पाएंगे संसार तू आवाज उठा।  #nojotohindi #poetry #politics
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