Find the Latest Status about चक्की कार्टून from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चक्की कार्टून.
AwadheshPSRathore_7773
White . बची थी जो शेष जिंदगी उसी को विशेष बनाने के चक्कर में कब यह जीवन भूत से वर्तमान,वर्तमान से भविष्य में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा... तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा न मै..मेँ रही,ना तुम.. तुम रहे तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ का नाम दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम जबकि अपना शीशे सा दिल कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा.. एक मुलाकात के इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया... पता ही नहीं लगा.... दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया पता ही नहीं लगा...पता ही नहीं लगा... ©AwadheshPSRathore_7773 #nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत
bhim ka लाडला official
Srinivas
भाग्य साहसी पर मुस्कुरा सकता है, लेकिन यह श्रम की चक्की है जो सफलता की धार को तेज करती है। ©Srinivas #luck #labour भाग्य साहसी पर मुस्कुरा सकता है, लेकिन यह श्रम की चक्की है जो सफलता की धार को तेज करती है।
अदनासा-
संवेदिता "सायबा"
शीर्षक - माँ हे माँ! तुम निर्मल-कोमल हो, इसका तात्पर्य नहीं, अबला। है सहन-शक्ति तुझमें इतना, नवजीवन करती सृजन देख! माँ! तुम मेरी श्रद्धा हो! हो त्याग सरलता की मूरत, हे जननी! हम सब तेरे ऋणी, करती न्योछावर अंग देख! कैसे निर्धारित करें कोई, हो 'मातृ दिवस' बस क्यों एक दिन? मेरे तो प्रतिदिन तेरे माँ, मुझ पर वारे हर रंग देख! ममता के आँचल से हे माँ! इस जग से हमें बचाते हो, माँ बना रहे आशीष तेरा, सर्वस्व समर्पित चरण देख! हमने तुझको प्रतिदिन देखा, जीवन की चक्की में पिसते! बस एक दिन तुझे समर्पित हो, क्यों समझे ना जन मन देख! माँ तुझ पर वारूँ हर एक पल, जब तक चलती है श्वास मेरी! हे माँ मैं तुझसे अलग नहीं, तेरी प्रतिछाया है तन-मन देख! हे माँ तुम पर मैं लिख दूँ क्या, रचना तुमने तो मेरी की! हर नारी में तुम विद्यमान, इस रचनाकार का संग देख! ©संवेदिता "सायबा" शीर्षक - माँ हे माँ! तुम निर्मल-कोमल हो, इसका तात्पर्य नहीं, अबला। है सहन-शक्ति तुझमें इतना, नवजीवन करती सृजन देख! माँ! तुम मेरी श्रद्धा ह
Bharat Bhushan pathak