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Ashutosh Mishra
White एक पत्र ऐसा भी हर बार हां रह बार तुमने खुद को सही और मुझे गलत साबित किरना तुम्हारी आदत रही रह बार हां हर बार मुझे नीचा दिखाने में कोई कसर ना छोड़ी तुमने मैं भी ईंट का जवाब पत्थर से दे सकती थी पर मैं इस घर की बहू और तुम्हारी पत्नी होने का धर्म निभा रही थी सब की सहमती से तुम मुझे मेरी ही नजरों से गिराना चाहते थे और बेचारे बच्चे जब हिम्मय जुटा उसका विरोध करते तो उन्हें भी तुम और तुम्हारा परिवार डरा धमका कर प्रताड़ित करते और बरबस चुप रहने और सहने को विवश करते आखिर क्या गलती थी मेरी और उन मासूमों की दहेज ही तो कम दिया था मेरे बाबा ने इसमें क्या गलती थी मेरी और उन मासूमों की कभी पूछा खुद से या अपने परिवार से इतने पर भी मुझसे आपके या आपके परिवार की सेवा में कभी कोई कमी आई पूछना इस पर भी विचार करनख अंतिम प्रणाम स्वीकार करो🙏 अलविदा😔😢😢 अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #sad_quotes एक पत्र ऐसा भी #हिंदीnojoto #हिंदी_कविता #सैडकविता #पत्र #एक_एहसास #आशुतोषमिश्रा R...Ojha cute pari neelu chanda sharma poo
Ravendra
Ravendra
Arora PR
White इस युग की सीता भी स्वर्ण मृग की ख्वाहिश इस युग के राम के सामने ज़ाहिर कर सकती हैं पर मुझे लगता हैं आधुनिक जगत के राम सीता की इस कामना क़ो सम्मान नहीं दे पाएंगे ©Arora PR स्वर्ण मृग
Shivkumar
जय हो तेरी ऋषि कात्यायन पुत्री मां कात्यायनी, स्वर्ण जैसे सुनहरी तन वाली आभा तेरी मन मोहिनी । ब्रह्मा,विष्णु व महेश के तेज से चतुर्थी को उत्पत्ति, उस दिन से असुरों पर आई बहुत बड़ी विपत्ति । कात्यायनी मां का छठे दिवस करो तुम ध्यान, सब बाधाएं दूर करें मां है कृपा निधान । लाल चुन्नी व मधु है मां को अत्यंत प्रिय, ध्यान रखना मिलेगा तुम्हें शौर्य । जग की तारणहार देवी का कात्यायनी नाम, मन से करो आराधना मिलेगा मोक्ष धाम । चार भुजा धारी करती सिंह की सवारी, दुःखों को तुम हरती हम हैं तेरे आभारी । सब देवी-देवताओं को थी तुमसे बहुत आस, दशमी को किया असुर महिषासुर का विनाश । कोई बाधा है अगर तुम्हारे विवाह में, हो जाएगी पूरी देवी मां की चाह में । हे ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी, रखना ध्यान तेरे चरणों में है यह कवि । मां कात्यायनी रोग,शोक, संताप,भय नाशिनी, मां कात्यायनी अर्थ,धर्म, काम,मोक्ष दायिनी । ©Shivkumar #navratri #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जय हो तेरी ऋषि कात्यायन पुत्री मां कात्यायनी, स्वर्ण जैसे सुनहरी तन वाली आभा तेरी मन #मोहिनी । #ब्रह्मा
Bulbul varshney
प्रेम पत्र जब लिखा था हमने जब उनसे पहली बार पहली मुलाकात और पहली मोहब्बत का एहसास हुआ था। ©Bulbul varshney #Likho #love प्रेम पत्र लिखा है हमने।
ANOOP PANDEY
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी रात को जागकर मैंने उसको लिखा नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा उसने अक्षर नहीँ मेरे अहसास थे जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा आज आती हँसी तेरी हर सोच पर तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर गया क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे जिसमें खंजर अनौखा मुझी पे चला दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की ना ही आँसू बहाए ना मिन्नत ही की तू मेरी थी चाहत बस इतना हीं सुन ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ ही तू चुन मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ जिस तलक तू न पहुंचे वो ख्वाब हूँ दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ ©ANOOP PANDEY #पत्र💚
Ravendra
Divuu.writes
हमें मोहब्बत तो अब तभी होगी गालिब जब ज़माना प्रेम पत्र वाला लौटेगा ©Divuu.writes #wholegrain प्रेम पत्र
||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, धारण किए चंद्र चमक रहा मस्तक, जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र। पर्वतपुत्री शोभित न्यारी कनक बसन कंचुकी सजाए, स्वर्ण आभूषण शोभा भाए, हृदय में शिव को बसाए, एक ही हठ वर बने शिवशंकर जाती कैलाश शिखर निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए शैल सुता पूजती शिवलिंग, अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग, वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम जागृत, किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित। ©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।