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Lakhan Singh Chouhan
#Labour_Day सर से उनके छत उठ गई रोजी छीन गई हाथों की, ना रहा खाने को दाना नींद उड़ गई रातों की। पुलिस ने उनको मारे डंडे और खदेड़ा सड़कों से, सरकारों को क्या करना है गांव के ऐसे कड़को से। उनकी गलती ,जो थे आए भरने पेट वो शहरों में, सिर पे ढोते बोझा देखो जेठ की भरी दोपहरों में। जूते चप्पल नहीं मिले तो बांध ली बोतल पाओं में, लक्ष्य एक है, कैसे भी वो पहुंचे अपने गाँवो में। तुमने भेजे उड़न खटोले उन्हें बुलाया देशों में, जो स्वार्थ के कारण भागे भारत छोड़ विदेशों में। मजदूरों का दर्द ना समझा जाने क्यों सरकारों ने, जमा रुपए भी लूट लिए बीच में कुछ गद्दारों ने। धन्य जिन्होंने पानी पूछा, और दी रोटी खाने को, पैदल ही थे निकल पड़े जो अपने घर जाने को। ठा. लाखन सिंह चौहान मजदूरों की व्यथा।
AMIT
Life quotes in hindi थकने कि नहीं इजाज़त है.. रुकने का नहीं हमको हक है, हम तुम्हें विदा कर सोएंगे.. जागे कितने हम बेशक़ हैं, इन नन्हे-मुन्ने चेहरों पर..हम हंसी सजा कर भेजेंगे, इन सूनी-सूनी आंखों में..हम खुशी जगा कर भेजेंगे, तुम खाली पेट भले आए.. हम खिला पिलाकर भेजेंगे, जो मीलो चलकर आई है.. वो थकन मिटा कर भेजेंगे, जिस माटी में खेले कूदे..वह धरा बुलाती है तुमको, उन यारों संग हंसना गाना..जो याद सताती है तुमको, सबको उनके घर भेजेंगे.. हमने भी ये ज़िद ठानी हैं..! है हाथ जोड़कर विदा तुम्हें.. फिर अगली ट्रेन भी आनी है..!! -------अमित मजदूरों की घर वापसी
Lokesh Kumar Sharma
~कविता~ "मजबूरी है साहब" भटक रहा है मज़दूर दर ब दर सर छुपाने को आज कोई आशियाना नहीं जलती सड़कों पर चलना नंगे पाओ मजबूरी है साहब....कोई सहारा नहीं पेट की इस जलन से तड़पते जिस्मो को दो वक़्त का नसीब आज खाना नहीं सूखे कंठ से हजारों कि.मी. तय करना मजबूरी है साहब....कोई सहारा नहीं बीच राहों में जन्म देती माओं को आज सरकार का कोई सहारा नहीं दर्द से करहाते छोटे बच्चो का नेताओ को कोई अंदाज़ा नहीं क्योंकि मजबूरी है साहब....कोई सहारा नहीं। *लोकेश कुमार शर्मा* ©Lokesh Kumar Sharma #footsteps मजदूरों की बेबस ज़िन्दगी
कवि होरी लाल "विनीता"
मजदूरों को मजदूरी करते बीत रहे हैं सालों साल आर्थिक स्थिति नहीं सुधरती एक रोटी के लिए करते काम मजदूरों की दयनीय स्थित है।। सुबह से लेकर शाम तक काम कोई दिन ना करें आराम जान को जोखिम डाल हमेशा भांति भांति का करता काम मजदूरों की दयनीय स्थिति है।। गांव में कोई काम न मिलता निकल रहे हम दिल्ली बांबे शहर में काम की मारामारी मुंशी कर देते गद्दारी रोक पगार करवाएं बेगारी मजदूरों की दयनीय स्थिति है।। काम के बदले दाम न मिलता आधी उम्र में जान गंवाता गरीब और गरीब हो रहा ईश्वर को मजदूर कोसता मजदूरों की दयनीय स्थित है।। ©Hori lal Vinita मजदूरों की दयनीय स्थित #Nofear
Pawan
जय श्रीकृष्ण ©Pawan बन्द सुरंग में मजदूरों की अवस्था
Hariom Sharma
बड़ा गुमान था ए सड़क तुझे अपनी लंबाई पर मेरे देश के गरीब मजदूरों ने तुझे पैदल हि नाप दिया lockdown me मजदूरों की घर वापसी
Dr Jayanti Pandey
क्या हुआ जो अपने स्वेद कणों से इन नगरों को सींचा है विपदा की इस कठिन दौर में शहरों ने हाथ ही खींचा है। पलक पांवड़े गांव विछाता अपने पुत्रों की दुविधा में, मक्कारी है शहर दिखाता राजनीति की स्पर्धा में। धरती पुत्रों की मेहनत ही शहरों का मुख चमकाती है, पर हर मुश्किल में याद उन्हें अपनी मिट्टी ही आती है। अब जबकि तुम देख रहे हो निष्ठुर तिकड़म सिस्टम के, पग के छाले अम्मा के और सूखे चेहरे बच्चों के। आज जो तुमको भेज रहे हैं षड़यंत्रों के साए में, कल फिर तुम्हें बुलाएंगे मीठे शब्दों के छलावे में। भूल न जाना तिरस्कार की गहरी निर्मम खाई को, सहला लेना अपनी मिट्टी अपनी सहन और अमराई को। कर्मवीर हो कर्म करोगे जहां भी अपनी मस्ती में, बना ही लोगे खुशहाल नज़ारा अपने गांव और बस्ती में। #मजदूरों की व्यथा #coronalockdown #yqdidi #yqhindi #jayakikalamse
Pawan
जय श्रीकृष्ण ©Pawan टर्नल में फंसे मजदूरों की बड़ी खुशखबरी