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vikas agrawal
आज हमारी सभ्यता। किस ओर जा रही है। इसकी भनक भी नहीं हमें। मुन्नी बदनाम हुई। शीला जवान हुई। ऐसे ऐसे गाने। आज हमारे बीच परोसे जा रहे हैं। और हम हैं कि। अपनी ही बर्बादी का जश्न मना रहे हैं। ©vikash इंसानियत कब जागेगी।
इंसानियत कब जागेगी।
read morevibrant.writer
रूह की तलब जागेगी तब जब शरीर से मन और मन से एहसास तक तृप्ति की एक यात्रा होगी। #रूह की #तलब जागेगी तब जब #शरीर से मन और #मन से #एहसास तक तृप्ति की एक यात्रा होगी। #vibrant_writer #yqdidi
Shubham Gupta😊
आज कठिन है जीवन जो, ये तेरा ही अहंकार है, लगा कलंक है तुझ पर और तू स्वयं बना अभिशाप है। कहाँ सुनी थी करुण वेदना, इस धरती की, ऐ मानव! करने को लहूलुहान उसे, जब बना हुआ था तू दानव आज रचा है प्रकृति ने जब अपना जाल टूटा है अभिमान तेरा और हुआ है तू बेहाल जब तक तेरी, ऐ मानव! सोयी चेतना न जागेगी ये धरती तेरे गुनाहों का यूँही फैसला माँगेगी।। ~©शुभम् गुप्ता आज कठिन है जीवन जो, ये तेरा ही अहंकार है, लगा कलंक है तुझ पर और तू स्वयं बना अभिशाप है। कहाँ सुनी थी करुण वेदना, इस धरती की, ऐ मानव! करने क
आज कठिन है जीवन जो, ये तेरा ही अहंकार है, लगा कलंक है तुझ पर और तू स्वयं बना अभिशाप है। कहाँ सुनी थी करुण वेदना, इस धरती की, ऐ मानव! करने क #Nature #yqdidi #yqpoetry #coronavirus #quotebysh #quotebyshubh #poetrybyshubh
read moreBhupendra Rawat
मैंने अक्सर सत्ता में बैठे लोगों को मौन धारण करते देखा है चीरहरण की घटना पर नेत्रहीनों का जमघट देखा है नजाने कहां गया वो ग्वाला, जो भरी सभा मे आया था एक नारी के स्वाभिमान को राक्षसों से बचाया था। फ़क़त एक नारी का नही समस्त विश्व का अपमान है सत्ता में बैठे लोगों की कायरता का, यह परिणाम है नजाने कब सत्ता में बैठे धृतराष्ट्र की बुद्धि जागेगी? गांधारी कब अपनी आंखों से न्याय की पट्टी खोलेगी? विदुर नीति और भीष्म प्रतिज्ञा कब अपनी चुप्पी तोड़ेगी? अब हथियार उठा लो तुम अबला नही कहलाओगी सत्ता में बैठे कुशासित लोगों को तुम ही धर्म का पाठ पढाओगी। 23।07।2023 ©Bhupendra Rawat मैंने अक्सर सत्ता में बैठे लोगों को मौन धारण करते देखा है चीरहरण की घटना पर नेत्रहीनों का जमघट देखा है नजाने कहां गया वो ग्वाला, जो भरी
मैंने अक्सर सत्ता में बैठे लोगों को मौन धारण करते देखा है चीरहरण की घटना पर नेत्रहीनों का जमघट देखा है नजाने कहां गया वो ग्वाला, जो भरी #कविता
read moreDivyanshu Pathak
गुनगुनी धूप में खेतों की ओर विद्यालय की फ़सल बचानी है डर लगता है बुराई की धुन्ध से प्रदूषण से प्रकृति ही नही आत्मा भी बचानी है ! सुप्रभात। चल पड़े हम अपने सफ़र पर। #चलपड़े #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi..... संस्कारों को प्रदूषण मुक्त
सुप्रभात। चल पड़े हम अपने सफ़र पर। #चलपड़े #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi..... संस्कारों को प्रदूषण मुक्त
read moreअशेष_शून्य
इस गहरी निशा की इक मुकम्मल सुबह ज़रूर होगी ....। कल इक उम्मीद जागेगी और जिंदगी की नई भोर होगी ...! खुशियों की रश्मियां, गुलाबी पंखुड़ियों पर थिरकेंगी ..! ओस की चमकीली बूंदे सुकून पलकों तक ले आएंगी ...! अपने मेहनत की हरियाली खेतों में लहराएगी ... ऊर्जा इक मुस्कान के साथ पगडंडी पर गुनगुनाएगी..!! रूह तक मीठी यादें फिर खिलखिलाएंगी, कुछ ख़्वाब डाली पर चहकेंगे और जिंदगी एक बार फ़िर मुस्कुराएगी ...! प्रेम का सम्राज्य होगा , धर्म का सूर्य निकलेगा ....। असत्य के बादल छटेंगे , सत्य की पताका अवश्य लहराएगी...! इस गहरी निशा की इक मुकम्मल सुबह होगी ....। रेत से फिसलते वक्त की सूईयां एक दिन हमारी मुठ्ठी में जरूर होंगी ..!!- A.r Angel❤️ #जिंदगी_गुलजार_है❤️💐 इस गहरी निशा की इक मुकम्मल सुबह ज़रूर होगी ....। कल इक उम्मीद जागेगी और जिंदगी की नई भोर होगी ...! खुशियों की रश्मियां
जिंदगी_गुलजार_है❤️💐 इस गहरी निशा की इक मुकम्मल सुबह ज़रूर होगी ....। कल इक उम्मीद जागेगी और जिंदगी की नई भोर होगी ...! खुशियों की रश्मियां #yqquotes #besthindiquotes #yqinspiration #लवयूज़िन्दगी❤️ #सुकून_ए_दिल❤️
read moreAmit Mishra
◆ युद्ध ◆ पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए सदियों से मनुष्य और प्रकृति में युद्ध होता आ रहा है मनुष्य के हथियार हैं आरी, कुल्हाड़ी और बड़ी बड़ी मशी
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat डर लगता है! डर लगता है क्यूं? आज भी मौजूदं है , सब फिर भी डर लगता है क्यूं? बेटी बचाओ का नारा भ्रष्ट लगता है क्यूं? आज भी रात के सन्नाटे में खुद को देश द्रोह मान कर निकाती नहीं क्यू? इज्ज़त नीलाम होती है, ज़िन्दा जलाया जाता है क्यूं? डर के बावंडर कर्कश लगता है क्यूं? ज़िन्दगी के इतिहास में सुर्ख सुर्खियों में , रोज़ नया इतिहास रचा जाता है क्यूं? रोज़ एक नई सुबह में सुर्खियों में, हर नई लड़की का बलात्कार होता है क्यूं? कब इंसानियत जागेगी? कब इंसाफ के तराजू में ना तोल मोल कर फ़ैसले में तब्दीली आयेगी कब? डर लगता है अपने घर में #डरलगताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat डर
डर लगता है अपने घर में #डरलगताहै #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat डर
read moreEkta Gour
बात बंद हैं कही दिनो से (आगे पढ़िए) 👇 लगता हैं जैसे कुछ रहा नही हो जिंदगी में किसी और संग बात करना भी गवारा नही हमे तेरी कमी खलती हो जैसे, लगता हैं कि आज सुबहा का सुरज निकला ह
लगता हैं जैसे कुछ रहा नही हो जिंदगी में किसी और संग बात करना भी गवारा नही हमे तेरी कमी खलती हो जैसे, लगता हैं कि आज सुबहा का सुरज निकला ह #yqhindi
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