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~आचार्य परम्~
नवम् सरल सब सन छल हीना ।। 👇 ऐसी परिवेश की बात क्या करूँ जहाँ सरल सीधे लोगों को मूर्ख एवं मंदबुद्धि तथा उन्ही सीधे सादे लोंगों का अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करने वालो को चालाक कहा जाता हो ।अतः अपने स्वार्थ के लिए किसी भोले व्यक्ति का दुरुपयोग न करें और कर भी लें तो उसके सरलता का उपकार मानिये उसे मूर्खता की संज्ञा तो कदापि न दें। "परम् भाग्यम्" परहित सरिस धरम नहीं भाई । पर पीड़ा सम नहीं अधमाई ।।रा.मानस
Shravan Goud
अपना वही है जो समझता है कि परहित सरिस धर्म नाही। अपना वही है जो समझता है कि परहित सरिस धर्म नाही।
Dr.Ras Bihari Trivedi
Religion धार्यती इति धर्मः आत्मा रक्षितो धर्मः। परहित सरिस धरम नहीं भाई, पर पीढ़ा सो नहीं अधमाई।
Shravan Goud
परिहित सरिस सुख नाही। इससे हमारे विचार में देने की भावना बढती है। परिहित सरिस सुख नाही। इससे हमारे विचार में देने की भावना बढती है।
Vedantika
परहित सरिस धरम नहिं भाई आनंद हृदय का कहिं नहिं जाई विकट समय जब हृदय अकुलाना करो उपकार तुम संग समाना ख्याति हो जगत जब जानी परहित से ही सब सुख मानी ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_139 👉 परहित सरिस धरम नहिं भाई लोकोक्ति का अर्थ --- परोपकार से बढ़कर और कोई धर्म नहीं। ♥️ इस पोस्ट को हा
Poetry with Avdhesh Kanojia
अब जागो और जगाना है शत्रु खड़ा है सीमा पर अब उसको मार भगाना है। हे भारत के आर्यपुत्र अब जागो और जगाना है।। शिशुपाल सरिस अपराध किये बहु हमने बहुत हैं क्षमा किए। कदाचित सुधरे अब वह दानव सोच के अवसर बहुत दिए।। दया बहुत दिखलाई हमने अब और नहीं दिखलाना है। हे भारत के आर्यपुत्र अब जागो और जगाना है।। हम वंशज हैं अजेय योद्धाओं के शत्रु से हार न मानेंगे। नाक रगड़वा देंगे भूमि पर नहीं कभी हम हारेंगे।। वास्तव में वीरता क्या है होती जग को यह बतलाना है। हे भारत के आर्यपुत्र अब जागो और जगाना है।। अब भीष्म सा ज्ञानी भी आ जाए तो शत्रु के प्राण बचाने को। तब हमको भी होना होगा विवश उसकी शरशैया बिछाने को।। बहुत सहा अन्याय प्रजा ने अब उसको न्याय दिलाना है। हे भारत के आर्यपुत्र अब जागो और जगाना है।। शत्रु खड़ा है सीमा पर अब उसको मार भगाना है। हे भारत के आर्यपुत्र #soldier #brave #war #true #bhgva #poem अब जागो और जगाना है ------------------------------- शत्रु खड़ा है सीमा पर अब उसको मार भगाना है। हे
Poetry with Avdhesh Kanojia
अमर शहीद अनुज अरविंद को उसकी पुण्यतिथि पर अनन्त श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🌹🌸💐🌷🌻🌺 हेडकांस्टेबल, बीएसएफ 24 जनवरी 2018/कूच विहार, पश्चिम बंगाल। जिसे माँ ने कष्टों से पाला। वह बन शत्रु का काल चला। हो कर अमर अरविंद यहाँ से भारत माँ का लाल चला।। युवा अवस्था उस महावीर की राष्ट्र के काम है आई। सीमा पर अपनी तत्परता उसने सदैव ही दिखलाई।। देश की सीमा रक्षा पथ पर देकर वह बलिदान चला। हो कर अमर अरविंद यहाँ से भारत माँ का लाल चला।। देश रक्षा के महायज्ञ में प्राणों की आहुती दे डाली। लोग रोगी होकर मरते हैं उसने गति पाई वीरों वाली।। उस परमधाम वैकुंठ धाम को बिना बताए हाल चला। हो कर अमर अरविंद यहाँ से भारत माँ का लाल चला।। अरविंद सरिस वीरों को केवल सिंहनी ही जनती है। ऐसे वीरों से ही हमारी होली व दीवाली मनती है।। देश के अनन्त आशीषों में वह हो करके निहाल चला। हो कर अमर अरविंद यहाँ से भारत माँ का लाल चला।। ✍🏻अवधेश कनौजिया© #bsf #indianarmy #myindia #poetry #poem #life अमर शहीद अनुज अरविंद को उसकी पुण्यतिथि पर अनन्त श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🌹🌸💐🌷🌻🌺 हेडकांस्टेबल, बीएसएफ 24
Poetry with Avdhesh Kanojia
. . #twinkletwinkle #twinklesharma #sad #sadquotes #sadness #ट्विंकल #poetry संसार त्याग वह चली गई (ट्विंकल की याद में) देखो इस निर्दयी संसार
Poetry with Avdhesh Kanojia
हिंदी दिवस हिंदी को भी रहने दो बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। हिंदी है मातृ भाषा हमारी यह तो माता समान है। और भाषाओं के सन्मुख क्यों इसका करते अपमान हैं? झूठा सम्मान पाने को देते अंग्रेज़ी उत्कोच है। क्यों उससे मस्तक ऊँचा क्यों हिंदी से संकोच है? अंग्रेजी है मेहमान सरिस मेहमान को वही बस रहने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। जैसे जैसे उपयोगिता यहाँ अब हिंदी की घटी है। वैसे वैसे ही संस्कृति की पूर्व सुगन्ध हटी है।। देशी भाषा त्याग के सब विदेशी लगे अपनाने। सम्मुख खड़ी कामधेनु तज गदही लगे दुहाने।। वह तुमसे कुछ कहना चाहती उसको भी कुछ कहने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। त्याग के हीरा टुकड़ा काँच का रखने का यह कृत्य क्या? हिंदी के बिन कैसा काव्य क्या है अर्थ साहित्य का? जैसे ललाट सुहागिन का है अपूर्ण बिन बिंदी। वैसे ही है रचना अपूर्ण है बिन मृदुभाषा हिंदी।। बहुत सहा है भेदभाव अब इसे और न सहने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। ✍️अवधेश कनौजिया© #हिंदी_दिवस हिंदी को भी रहने दो बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।।
Poetry with Avdhesh Kanojia
हिंदी को भी रहने दो बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। (पूरी रचना अनुशीर्षक में) #हिंदी #हिंदी_कोट्स_शायरी #hindi #hindipoetry #hindiquotes #hindiwriters #poem हिंदी को भी रहने दो बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने