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humaara_albela
Tulika Dixit
रात के इस अंधेरे में गुम है कहीं बारिश की बूंदों की टिप टिप में वो घनघोर सन्नाटा! हैं यहां बस मैं, मेरे दर्द, मेरी तन्हाई और बारिश की बूंदों की टिप टिप को चीरता हुआ ये बेरहम सन्नाटा! ©Tulika Dixit बारिश और सन्नाटा
Sanjay Ni_ra_la
नशा ईन आँखों में सिर्फ तुम्हारा ही पसरा था एहसासों का रंग मेरी आँखों में गहरा था तुम क्या जानो जज़्बात और एहसास की कदर तुम्हारे लिए तो महज एक बियाबान सहरा था 19 अप्रैल 2023 ©Sanjay Ni_ra_la नशा ईन आँखों में सिर्फ तुम्हारा ही पसरा था एहसासों का रंग मेरी आँखों में गहरा था तुम क्या जानो जज़्बात और एहसास की कदर तुम्हारे लिए तो महज ए
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
निम्मी की कलम से
कौन सुनेगा कौन समझेगा सन्नाटे की आवाज को! बिना शब्द से सजे गीत को, बिना सुर से सजे साज को!! ©निम्मी सन्नाटा
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह
Aishwarya