Nojoto: Largest Storytelling Platform

New बिजली कड़के Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about बिजली कड़के from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बिजली कड़के.

    LatestPopularVideo

Shishpal Chauhan

#बिजली कड़के #कविता

read more
बिजली कड़के,
म्हारो छाती धड़के।
जद ओल्यूं बलम की आवे,
आंख्या की नींद गायब हो जावे।
काऴी-काऴी रात अंधियारी,
किनै बताऊं मैं दुखियारी।
यो जोबन बित्यो जावे,
शरीर म्हारो अंगड़ाई खावे।
जद सखियां संग पाणी लेवण जाऊं,
लाज-शर्म से मरी-मरी जाऊं।
दिल न कियां समझाऊं,
मनड़े री बातां कि न बताऊं।
सावन री रिमझिम पाणी री बूंदां ,
मैं तो बड़ी दुखी होगी होकर थां सूं होकर जुदां।
"एस.पी.चौहान"

©Shishpal Chauhan #बिजली कड़के

Anu

मेरे आँगन में खिला है गुलाब कान्हा तेरे स्वागत में मैने किया है साज श्रृंगार कान्हा तेरे स्वागत में माखन मिश्री का भोग लगाया हाँ भोग #Krishna #kavishala #nojotohindi #nojotonews #mypost #3star #nijotoenglish #kalakach #bhajn

read more
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
मैने किया है साज श्रृंगार  
कान्हा तेरे स्वागत में 
माखन मिश्री का भोग लगाया 
हाँ भोग लगाया 
तुम देर न करना गोपाल 
मेरे घर आने में 
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
चारो दिशाओं में बिजली कड़के 
हाँ बिजली कड़के  
यमुना भी मारे उफान 
कान्हा तेरे स्वागत में
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
सबकी अँखियाँ तरस गई है 
हाँ तरस गई है 
तुम आना यूं ही दिन रात 
मेरे घर आँगन में 
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
जन्म से पहले जगराता हैं 
हाँ जगराता है 
कोई सोयेगा नहीं आज रात 
कान्हा तेरे स्वागत में 
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
गरजे बदरा बरसे  बरखा
हाँ बरसे बरखा 
मैने सजाया हैं पालना गोपाल 
जल्दी आ जाना
मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में
आप सभी को हमारी और से कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं🎂🎂🎂🎂🍫🍫🍫🍫🎊🎊🎉🎉🍹🍹 मेरे आँगन में खिला है गुलाब 
कान्हा तेरे स्वागत में 
मैने किया है साज श्रृंगार  
कान्हा तेरे स्वागत में 

माखन मिश्री का भोग लगाया 
हाँ भोग

jagmag

जब कभी बादल गरजेगा नीर अंम्बर से बरसेगा जब कभी कोयल गूंजेगी लहलहाती हरियाली में तार सारे बज जाएंगे सफेद फूलों और कलियों की चमक में खो जाने प

read more
जब कभी बादल गरजेगा
नीर अंम्बर से बरसेगा
जब कभी कोयल गूंजेगी
लहलहाती हरियाली में
तार सारे बज जाएंगे
सफेद फूलों और कलियों की
चमक में खो जाने पर
और‌ धीरे से मेरे
कानों में आकर कह जाने पर
भौंरौ का एक झुंड 
सर से जब गुजर जाएगा
जब कोई मासूम बच्चा
मूंगफली के दानों ‌के संग
केतली से गरम निकली
चाय पी सो जाएगा
जोर से बिजली कड़केगी
और किताबों पर रखा
ऐनक चट से टूट जाएगा
तब कहीं एक कसक 
के संग तुम मुझे फिर याद आओगे
सनसनाती हवा चलेगी
और बादल फट जायेंगे
एक कलेजा ही चीखेगा
जो नहीं तुम सुन पाओगे
हर दफा बारीश में लेकिन
याद फिर भी तुम आओगे

©Harshita Srivastava जब कभी बादल गरजेगा
नीर अंम्बर से बरसेगा
जब कभी कोयल गूंजेगी
लहलहाती हरियाली में
तार सारे बज जाएंगे
सफेद फूलों और कलियों की
चमक में खो जाने प

Priya Kumari Niharika

नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में मेरी कलम पूछती है..... आखिर कब..... आखिर #Poetry #Love #story #me #Shayari #कविता

read more
(कैप्शन में  पढ़े)
नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में
 पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में
 मेरी कलम पूछती है.....
 आखिर कब..... आखिर कब समाज में जयशंकर प्रसाद जी के 
ये विचार सार्थक होंगे । क्या कभी वह दिन आएगा भी ?, जब नारी के अधिकारो को
 कुचला नहीं जाए?
 भेदभाव, शोषण, विषमता और अत्याचार से परे स्वतंत्र होकर क्या कभी वह
अपने अनमोल जीवन के चंद पलो का बेहतरीन  स्वाद को चख पायेगी ?
क्या कभी उसके मत में भी समाज की सहमति हो पायेगी? या सदियों जैसा
आज के दौर में भी समाज के मतानुसार उसे अपने जीवन की दिशा बदलनी होंगी
क्या आज भी वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं नहीं कर सकती?
क्या इतनी असहाय है वो, की समाज के थोपे गए फैसले का अनुकरण कर
 उसी भेड़ चाल में चलेगी बिना ये जाने की समाज का मत उसके लिए आखिर किस हद तक सार्थक है, और सार्थक है भी या नही? आखिर कब तक.......?
क्या  प्रतिबंधित और नियंत्रित होने के बावजूद भी उसे ये समाजिक नियम  अनुचित और पीड़ादायक नहीं लगते?
 ये कहना अनुचित नहीं होगा कि ये समाज, सम्बन्धी और संस्थान ने नारी के जीवन को फोरव्हीलर, और स्वयं को  ड्राइवर समझ रखा है, तभी तो अपने विचारों की
गति से उसे नियंत्रित कर रहा है या नई दिशा में मोड़ रहा है, जिस दिशा से उसका जीवन स्वयं भी अनजान है, यदि समाज रूपी ड्राइवर के विचार जिस दिशा में जा रही है वो राह कितनी भी जटिल क्यू ना हो उबड़ खाबड़ क्यू न हो,
नारी जीवन रूपी फोरव्हीलर को उसी राह से गुजरना होगा,
 तो जाहिर सी बात है.....फोरव्हीलर को जोखिमों का सामना करना पड़ेगा
 जिससे फोरव्हीलर रूपी नारी जीवन काफी प्रभावित और परिवर्तित भी होगा

 आखिर कैसा समाज है ये....? जिसने जगत रचैया को ही कठपुतली बना डाला
 आखिर कब समाज की दृष्टि बदलेगी.....?
क्योंकि जब समाज की दृष्टि बदलेगी, तभी ये सृष्टि बदलेगी

" नदियों को थाम न पाओगे, ना बारिश रोक सकोगे तुम
 न आंधी काबू में होगी, न सागर शोख सकोगे तुम
  जब बिजली कड़केगी तुमपर,और  बादल सिंह से गरजेंगे
 तो खौफ के साए से डरकर उसको न टोक सकोगे तुम "

" देवी का स्वरूप हो तुम,तुम्हीं बहन,तुम माता हो
 जगत रचैया तुम हो देवी, तुम ही सर्व सुख दाता हो
 तुम्हीं मनुज में सर्वश्रेष्ठ हो,  अतुल प्रेम का गागर हो
 ह्रदय तेरा प्रेम वाटिका, तुम ममता की सागर हो
 अत्याचारी जगत है देवी, पुरुषों का वर्चस्व यहां
 निर्बल तुमको समझ रही ये,  फैला है अंधत्व यहां"

©verma priya नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में
 पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में
 मेरी कलम पूछती है.....
 आखिर कब..... आखिर

Arora PR

बिजली #कविता

read more

kunti sharma

sweta kumari swati

बिजली #Sports

read more
हुस्न के जाम महफिल में छल खाने वाले लोग, 
तुम्हें क्या पता दर्द क्या होता है,
और जो इस जाम को होठों से सटा,
उस इंसान पर इसका असर क्या होता है,
बाहर के मौसम में पतझड़ क्या होता है,
के के समंदर में सिकंदर कौन होता है,
हुस्न के जलवों से बिजली गिराते हो,
तुम्हें क्या पता दीवानों पर इस बिजली का असर क्या होता है।

©sweta kumari swati  बिजली

Mohit Choudhary

Ashish Gupta

kabeer Qalb

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile