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Adesh gupta

जेहि के जेहि पर सत्य सनेहु ! सो तेहि मिलहि न कछु संदेहू !! ( श्री राम चरित मानस सिद्धांत ) #Journey

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atrisheartfeelings

हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम #atrisheartfeelings #ananttripathi #Sundarkand jai_shree_ #Motivational #jai_shree_ram

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Naresh Chandra

हरि कोदंड कठिन जेहि भंजा तेहि समेत नृप दल मद गंजा खरदूषण त्रिषरा अरू बाली बंधे सकल अतुलित बलशाली। जय श्री राम लक्ष्मीनरेश #लक्ष्मीनरेश

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हरि कोदंड कठिन जेहि भंजा
तेहि समेत नृप दल मद गंजा
खरदूषण त्रिषरा अरू बाली
बंधे सकल अतुलित बलशाली।
जय श्री राम हरि कोदंड कठिन जेहि भंजा
तेहि समेत नृप दल मद गंजा
खरदूषण त्रिषरा अरू बाली
बंधे सकल अतुलित बलशाली।
जय श्री राम
लक्ष्मीनरेश
#लक्ष्मीनरेश

Raj_Basti

नाचहि नीचहि नर अधम सम। तेहि बुध मानहि बुधि शूद्र तम|| चित्र रचहि चरित निज छाणी। जानेउ तेहि अधमाघिक प्राणी॥ तन श्रृंगार बहुत विधि कीन्हे #doha #दोहा

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Sagar vm Jangid

हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम! राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम!! आलस्य के कारण आप अपने मुकाम हासिल नहीं कर पा रहे हैं तो आ #Ram #sagarvmjangid

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हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम!
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम!! हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम!
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम!!


आलस्य के कारण आप अपने मुकाम हासिल नहीं कर पा रहे हैं तो आ

chandraveer singh rajput

मधुकर! स्याम हमारे चोर। मन हरि लियो सांवरी सूरत¸ चितै नयन की कोर।। पकरयो तेहि हिरदय उर-अंतर प्रेम-प्रीत के जोर। गए छुड़ाय छोरि सब बंधन दे गए #nojotophoto

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 मधुकर! स्याम हमारे चोर। मन हरि लियो सांवरी सूरत¸ चितै नयन की कोर।। पकरयो तेहि हिरदय उर-अंतर प्रेम-प्रीत के जोर। गए छुड़ाय छोरि सब बंधन दे गए

दि कु पां

चरण पखार हर्षित मन होई केवट.. भ्राता लक्ष्मण सिया सहित प्रभू नाव बैठाए पार तेहि नदी कराएं केवट जोरी हाथ प्रभू चरण शीश नवाए.. उतराई लिन्ह से #YourQuoteAndMine #yqkanmani #கவிதை_பலகை #கதை_

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चरण पखार हर्षित मन होई केवट.. भ्राता लक्ष्मण सिया सहित प्रभू नाव बैठाए
पार तेहि नदी कराएं केवट जोरी हाथ प्रभू चरण शीश नवाए..
उतराई लिन्ह से करी इन्कार बोले प्रभू सिर्फ है आशीष कय दरकार...
बोलो.. प्रभू श्री राम की जय.. जय जय श्री राम...जय सियाराम.. चरण पखार हर्षित मन होई केवट.. भ्राता लक्ष्मण सिया सहित प्रभू नाव बैठाए
पार तेहि नदी कराएं केवट जोरी हाथ प्रभू चरण शीश नवाए..
उतराई लिन्ह से

Vikas Sharma Shivaaya'

शनि गायत्री मंत्र: .-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् || -ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच #समाज

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शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रचोदयात ||

-ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात ||

सुंदरकांड:   दोहा – 1

प्रभु राम का कार्य पूरा किये बिना विश्राम नही
हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥
हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छुआ,
फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की –
रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहाँ? ॥1॥
श्री राम का कार्य जब तक पूरा न कर लूँ,
तब तक मुझे आराम कहाँ?
श्री राम, जय राम, जय जय राम

सुरसा का प्रसंग
देवताओं ने नागमाता सुरसा को भेजा
जात पवनसुत देवन्ह देखा।
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥1॥
देवताओ ने पवनपुत्र हनुमान् जी को जाते हुए देखा और
उनके बल और बुद्धि के वैभव को जानने के लिए॥
देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा।
उस नागमाताने आकर हनुमानजी से यह बात कही॥

सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।
सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं।
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥2॥
आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया।
यह बात सुन, हँस कर हनुमानजी बोले॥
मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊँ और
सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥

हनुमानजी ने सुरसा को समझाया कि वह उनको नहीं खा सकती
तब तव बदन पैठिहउँ आई।
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥3॥
फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा।
अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा।
मै तुझे सत्य कहता हूँ॥
जब सुरसा ने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया,
तब हनुमानजी ने कहा कि,
तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥

सुरसा ने कई योजन मुंह फैलाया, तो हनुमानजी ने भी शरीर फैलाया
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥4॥
सुरसाने अपना मुंह, एक योजनभरमें (चार कोस मे) फैलाया।
हनुमानजी ने अपना शरीर, उससे दूना यानी दो योजन विस्तारवाला किया॥
सुरसा ने अपना मुँह सोलह (16) योजनमें फैलाया।
हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (32) योजन बड़ा किया॥

सुरसा ने मुंह सौ योजन फैलाया, तो हनुमानजी ने छोटा सा रूप धारण किया
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥5॥
सुरसा ने जैसे-जैसे मुख का विस्तार बढ़ाया, जैसा जैसा मुंह फैलाया,
हनुमानजी ने वैसे ही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥
जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया,
तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर लिया॥

सुरसा को हनुमानजी की शक्ति का पता चला
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥6॥
छोटा स्वरुप धारण कर हनुमानजी,
सुरसाके मुंहमें घुसकर तुरन्त बाहर निकल आए।
फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥

उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की –
हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था,
वह तुम्हारे बल और बुद्धि का भेद, मैंने अच्छी तरह पा लिया है॥

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच

AB

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी l पाठ करे सो पावनहरी ll पुत्र होन कर इच्छा कोई l निश्चय शिव प्रसाद तेहि होइ ll ll🌸ll ॐ नमः

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..... ऋनिया जो कोई  हो अधिकारी l पाठ करे सो पावनहरी ll
पुत्र होन   कर इच्छा कोई l निश्चय शिव प्रसाद तेहि होइ ll

                      ll🌸ll ॐ नमः

Vikas Sharma Shivaaya'

करमनास जल सुरसरि परई-तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई। उलटा नाम जपत जग जाना-वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना।। कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यद #समाज

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करमनास जल सुरसरि परई-तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना-वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना।। 

कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए।
🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' करमनास जल सुरसरि परई-तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना-वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना।। 

कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यद
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