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Parasram Arora
बच्चों क़े खिलोनो की तरह लुड़का रहा है परमात्मा उन मीठे सपनो को मेरी नींद मे जिनकी खूबसूरती से मै अभिभूत हू फिर क्यों न मानू मै अपना सौभाग्य उन मीठे सपनो को.? क्या एक उजड़े हुए मन क़े लिए ये उपहार किसी लॉलीपॉप से ज़रा भी कम है? ©Parasram Arora लॉलीपॉप.....।
लॉलीपॉप.....।
read moreDeepak Prajapati
वो अब मेरा नही पर उसके बिना गुजारा नहीं अगर वो सादी सुदा है तो मैं भी तो कुवारा नही ©Deepak Prajapati #लॉलीपॉप #OneSeason
Radhe Chandan jha
जिंदगी सिमट गई एक खोखा में । भुल गए वो गांव की रौनक जी रहे शहरी लॉलीपॉप की धोखा में।। ©Radhe Chandan jha शहरी लॉलीपॉप #धोखा #कविता
Ashish dubey
Bobby(Broken heart)
#Joker एक लॉलीपॉप पकड़ा देने से जनता खुश हो जाती है सिर्फ एक लाइन है लेकिन समझने को बहुत कुछ है💔💔 😜😜😜😜 Bobby broken heart ये एक उड़ता तीर है 😝😝😝😝 ©Bobby(Broken heart) बात समझने की है शायद बहुत लोगों को समझ में आ जाए और जिस जिस को ना समझ आए उनके हाथ में लॉलीपॉप तो है....#bobby_sadeyes #Joker
बात समझने की है शायद बहुत लोगों को समझ में आ जाए और जिस जिस को ना समझ आए उनके हाथ में लॉलीपॉप तो है....#bobby_sadeyes #Joker #शायरी
read moreप्रियदर्शन कुमार
काव्य संख्या-209 =========== आरक्षण =========== चलो, उसने कुछ तो दिया, नौकरी न सही, आरक्षण तो दिया,
काव्य संख्या-209 =========== आरक्षण =========== चलो, उसने कुछ तो दिया, नौकरी न सही, आरक्षण तो दिया,
read moreRicha Mishra
" भारतवर्ष की गाथा " ( ब्रिटिश से कोरोना काल तक ) व्यतीत हुए १५० वर्ष ... अंग्रेजो की गुलामी में ! कभी देशभक्ति , कभी प्रेमभक्ति में ... समर्पित हुए लाखो जन ! ईस्ट इंडिया की अगुवाई में ...
व्यतीत हुए १५० वर्ष ... अंग्रेजो की गुलामी में ! कभी देशभक्ति , कभी प्रेमभक्ति में ... समर्पित हुए लाखो जन ! ईस्ट इंडिया की अगुवाई में ...
read moreRicha Mishra
" भारतवर्ष की गाथा " ( ब्रिटिश से कोरोना काल तक ) व्यतीत हुए १५० वर्ष ... अंग्रेजो की गुलामी में ! कभी देशभक्ति , कभी प्रेमभक्ति में ... समर्पित हुए लाखो जन ! ईस्ट इंडिया की अगुवाई में ...
व्यतीत हुए १५० वर्ष ... अंग्रेजो की गुलामी में ! कभी देशभक्ति , कभी प्रेमभक्ति में ... समर्पित हुए लाखो जन ! ईस्ट इंडिया की अगुवाई में ...
read more✍️ लिकेश ठाकुर
सत्ता के गलियारों में,कुछ भूखे बैठे सियार हैं। छदम लालची वाणी से,मतों का करते व्यापार हैं। आस लगा बिठाये गद्दी में,सत्ता के नशे में मशगूल हैं। अब दलबदल के खेल में,बिकते नैतिक मूल्य हैं। किसानों की लाचारी अब,मुद्दों में फूंकती जान हैं, नेताजी पैसा चट कर गए,बनाते हीरे जड़ित मकान हैं। वादों से मुकर जाते मियां,अब दर्शन भी दुशवार हैं। सरकारी अब निजी हो रहा,घर-घर बैठा बेरोजगार हैं। आरोप प्रत्यारोपों में ही,रातों रात गिरती सरकार हैं। नींद खुलती चुनाव के पहले,कुछ वादे हो जाते साकार हैं। घोषणाओं की झड़ी लगाकर,बस खिलाते लॉलीपॉप हैं। कोरे अधूरे सपनें दिखाकर,करते विकास का जाप हैं।। सत्ता के गलियारों में,कुछ भूखे बैठे सियार हैं। छदम लालची वाणी से,मतों का करते व्यापार हैं।। ✍️©लिकेश ठाकुर सत्ता के गलियारों में, कुछ भूखे बैठे सियार हैं। छदम लालची वाणी से, मतों का करते व्यापार हैं। आस लगा बिठाये गद्दी में, सत्ता के नशे में मशगू
सत्ता के गलियारों में, कुछ भूखे बैठे सियार हैं। छदम लालची वाणी से, मतों का करते व्यापार हैं। आस लगा बिठाये गद्दी में, सत्ता के नशे में मशगू #कविता #raindrops
read moreSrishti Singh
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो। वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो। वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो । वो अपने घर का दीपक है, तुम जलती हुई किटपतंगा हो । कितना भी तुम चीख़-चीख़ उन पर आरोप लगाओगी। कैंडल मार्च करोगी पर इंसाफ़ कभी ना पाओगी। वो आज़ाद निर्भीक घूमेगा,तुम दोगी दम तोड़ प्रिये । कैसे विकसित हो देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये। वो बेरोजगारी का लॉलीपॉप, तुम भूखे बेरोजगार प्रिये। वो बिना पढ़े सत्ता भोगी,तुम पढ़ लिखकर बेकार प्रिये । वो 370 की धारा है,तुम पत्थर खाते जवान प्रिये । वो नेता जी की बेबाक बात,तुम बम में होते विस्फ़ोट प्रिये। तुम देश की अर्थव्यवस्था हो,वो देश बेचकर खाते है । तुम भोली भाली जनता हो,वो नेता का झूठा वादा है। तुम बीपीएल कार्ड का राशन हो,वो चोरी करता गल्ला है। तुम सीधा साधा सा किसान, वो ग्राम प्रधान निठल्ला है। अगर इस तरह चुप-चुप कर, तुम सब कुछ सहते जाओगे। तो एक रोज़ सेवक बनकर,वो चुना तुम्हें लगायेंगे। नीरव मोदी के जैसा वो भागेगे विदेश प्रिये। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो #देशप्रेम #srishti1305 #कैसे_हो_विकसित_देश_प्रिये
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