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Ek villain
गंभीर अवस्था में अस्पताल आने वाले रोगियों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेज में बेड सहित वालों की उपलब्धता गाड़ी सिंपल बोर्ड लगाने की व्यवस्था में निश्चित ही बड़ी राहत मिलेगी चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू की है जो व्यवस्था बनाई जा रही है उनके अनुसार मेडिकल कॉलेज में डिस्प्ले बोर्ड में यह सूचना लगातार प्रदूषित होती रहेगी कुल कितने बेड है और कितने खाली अभी इमरजेंसी में मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वाले मरीज को यह पता नहीं चल पाता कि जहां पर वह उपचार के लिए पहुंचे हैं उनकी पीड़ा के निदान के आधार पर साधन उनकी उपलब्धता है या नहीं कई बार रोगियों को इमरजेंसी में भर्ती के बाद उसे चालू करना पड़ता है कई बार दौड़ दौड़ भाग में काफी देर हो जाती है लोग भी मेडिकल कॉलेज से आते हैं निजी अस्पतालों में जाना पसंद करते हैं किंतु सभी के लिए ऐसा संभव नहीं है जैसे विषयों के लिए सरकारी अवस्थाओं पर ही निर्भर है ©Ek villain #चिकित्सा सुधार अस्पतालों में #VantinesDay
Yadav Ravi
binker raj
OMG INDIA WORLD
दुनिया का अंत देखो कैसे हो रहा है राजनीति में कानून खत्म, स्कूलों में पढ़ाई खत्म, अस्पतालों में आक्सीजन खत्म, और सब से ज्यादा परिवारों में रिश्ते खत्म.... ©OMG INDIA WORLD दुनिया का अंत देखो कैसे हो रहा है राजनीति में कानून खत्म, स्कूलों में पढ़ाई खत्म, अस्पतालों में आक्सीजन खत्म, और सब से ज्यादा परिवारों में
Mahesh Yogi
#5LinePoetry ये देखो दुनिया का अंत कैसे हो रहा है, राजनीति में कानून खत्म, स्कूलों में पढ़ाई खत्म, अस्पतालों में आक्सीजन खत्म, और सबसे ज्यादा तो परिवारों में रिश्ते खत्म....!! ©Mahesh Yogi ये देखो दुनिया का अंत कैसे हो रहा है, राजनीति में कानून खत्म, स्कूलों में पढ़ाई खत्म, अस्पतालों में आक्सीजन खत्म, और सबसे ज्यादा तो परिव
Prashant Badal
"डर लगने लगा है अब" रूह कांप जाती है, दवाइयां देखकर अब वो हॉस्पिटल वाली खुशबू, वो वेंटिलेटर और आई सी यू, डर लगने लगा है अब हॉस्पिटल नाम सुन कर भी रूह कांप जाती है अब, दवाइयों और हॉस्पिटल के नाम से जिस्म छलनी होता रहता है अस्पतालों में, कैसे कह दूं इलाज हो रहा है अस्पतालों में रूह कांप जाती है, अब हर रोज नए मर्जों के बढ़ने से "ठहर जाता हूं अक्सर एक सुकून की तलाश में लेकिन वहां पर भी अस्पताल और दवाइयों का जिक्र हो ही जाता है।।" "डर लगने लगा है अब" रूह कांप जाती है, दवाइयां देखकर अब वो हॉस्पिटल वाली खुशबू, वो वेंटिलेटर और आई सी यू, डर लगने लगा है अब हॉस्पिटल नाम सु
kavi Vishal Brahmbhatt Vish'u
हालात की इस आंधी से बिखर जाओगे घर में रहो वरना गुजर जाओगे! कितनो को जाते देखेंगे इस बार तुम तो बचो इससे, बच जाओगे!! इस महामारी का प्रकोप पेचिन्दा है जब तक घर में है,जिंदा है! सेनिटाइजर, मास्क लगाना तुम मुझे तुम अपनो की भी चिंता है!! हवा बिक रही आज ऑक्सीजन सिलेंडर में सांसो की माला कब टूट जाए, जी रहे डर में!! मेने अमीरों को भी भटकते देखा कही लोगों को तड़पते देखा! भीड़ लगी है अस्पतालों में मेने सैकड़ो लाशों को जलते देखा!! शायर,कवि विशाल ब्रह्मभट्ट माण्डलगढ़ ©shayar Vishal Brahmbhatt Vish'u #corana #coranavirus #coranalockdown हालात की इस आंधी से बिखर जाओगे घर में रहो वरना गुजर जाओगे! कितनो को जाते देखेंगे इस बार तुम तो बचो इस
पण्डित राहुल पाण्डेय
*रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं, कोराना पॉज़िटिवीटी रेट घट रहा हैं, अस्पतालों में लगातार बिस्तर भी बढ़ रहे हैं, आक़्सिजन भी बढ़ रही है, इंजेक्शन का बड़ा उत्पादन शुरू हो गया है,* *मदद के लिए रेल एक्सप्रेस दौड़ रही है ,वायु यान उड़ रहे है,आयुर्वेद और योग हमें शक्ति दे रहा हैं, धेर्य रखें हम जीत रहें हैं। आत्मविश्वास बनाए रखना है और सकारात्मक समाचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए ताकि समाज में एक अच्छा मैसेज जाए |* *माना कि अंधेरा घना है फिर भी दिया जलाना कहां मना है..........* 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻 ©पण्डित राहुल पाण्डेय *रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं, कोराना पॉज़िटिवीटी रेट घट रहा हैं, अस्पतालों में लगातार बिस्तर भी बढ़ रहे हैं, आक़्सिजन भी बढ़ रही है, इंजेक्शन का
विलुप्त आवाज़
कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा तेरा घर-बार बिकता है। बड़े अफसर का सौदा हाँ भले लाखों में होता हो सिपाही दस में और सौ में तो थानेदार बिकता है। वही मुंबई जहाँ टाटा अम्बानी जैसे बसते हैं वहीं पर जिस्म कईओं का सरे बाज़ार बिकता है। चुने जाते ही नेता सारे वादे भूल जाते हैं यह वोटर किस छलावे में भला हर बार बिकता है। ये कलियुग है ठगी की इन्तेहाँ होती नहीं कोई सुना है नेट पर दिल्ली का क़ुतुब मीनार बिकता है। करप्शन इस कदर हावी शहर के अस्पतालों में दवा के वास्ते हर रोज़ ही बीमार बिकता है। अभिनव अरुण ©विलुप्त आवाज़ कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा
Sunil itawadiya
एक सच जो शायद सब को नहीं पता है जब कोरोना शुरुआत में आया था तब मंदिरों के पट ईसी लिए बंद हुए थे क्योंकि सभी मंदिरों के भगवान सफेद कपड़े पहन कर अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे थे....!! एक सच जो शायद सब को नहीं पता है, जब कोरोना शुरुआत में आया था तब मंदिरों के पट ईसी लिए बंद हुए थे क्योंकि सभी मंदिरों के भगवान सफेद कपड़े