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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
माँ ममता का मानसरोवर, माँ का स्नैह अनंत गगन से भी अपार हैं, माँ के लिए श्रद्धा जिसके हृदय में, समझो वो दुनिया के सब विघ्नो से दूर, समस्त पाप पुण्यो से पार हैं। सभी माताओं को मातृत्व दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं सह प्रणाम 🙏🙏🙏🙏 ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
राहें पथिक तू देखता किसकी, संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही। श्यामतन सा बंधा यौवन तेरा, धर हाथों में आलोक का हथौड़ा, कर तिमिर राहों की अगवानी। आएंगी राहों में आपदाएं लाख चाहें, कातर हो पथिक राह तूम तज ना देना, बन प्रतिरूप तितिक्षा का आततायीयों से जा भिड़ना, बसुधा को शमन प्रदान कर ही आना। राहें पथिक तू देखता किसकी, संघर्षरत जीवन हैं मिलेंगी राहें कठिन ही। (श्यामतन-साँवला रंग, कृष्ण रुपी।बंधा- संयमपूर्ण। आलोक-प्रकाश। तिमिर- अंधकार। कातर-भयभीत। तज-छोड़ना। तितिक्षा-सहनशीलता। आततायीयों -उपद्रवकारी। बसुधा-पृथ्वी,धरती। शमन-शांति) ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। मुग्ध-हुलास को में मैं तिरोहित हो मन में बांट अगोरती, अस्तगमित महिमा समाज की, दुर्मद अवार चढ़ाये हुए हैं सब यहाँ, और कोपाकुल हो हमें ही है बस निहारती, कराल है व्यथा हमारी, मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। परिपाटी अजीब है इस कुदेश की, नारियों पर ही केवल क्यों हैं लांक्षन लगती, बलि-कृति-कला कि स्वरुप नारी, फिर अनल के कोढ़ में ही क्यों हैं समाती, मैं नारी अंर्तमन में रजत-स्वप्नों का अंतरिम आस लिए जुझती। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
तु साथी तु हमराही, तु जीवन कि धारा, तु प्रीता है हमारा, तु सुख का अभिनंदन, तु दुःखी मन में तिलक-चंदन, ऐ मेरी प्यारी कविता सुन, तु राग तु धुन, तु प्रेम विरह में शब्द गहरे चुन। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
रिश्तों में जो आशाएँ हो तो अच्छा, गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा, आशाऔं भरी रिश्तों में रिश्ता स्वयं ही आशातीत, जड़-चेतन क्या इन रिश्तों में मतलबी रिश्तें कयी प्रकार, रिश्तों में जो हो आशाएँ, निंस्वार्थ भाव से रिश्तों में प्रेम का जिसने भी गाया गाना, श्री सुख-सागर का जीवन में गुंथ दिया उसने ताना बाना, बदल दिया रिश्तों में आशाऔं का धरकर रूप नाना, रंग दिया हृदय को स्वर्ण-पात से जिसने सुधि-विहाना (विहान), रिश्तों में आशाएँ हो तो अच्छा, गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
सुना है तेरे शहर में भी एक चाँद निकलता हैं, लेकिन क्या पता है तुम्हें उसकी चाँदनी का चकोर भी हमसा ही कोई होता है, दुर्मद जो हो तुम गुलशन में तेरे मधुमास की चंन्द्रमल्लीका का सौरभ चतुर्दिक फैलता हैं, उसका मृदुवात भी हमारे मदिर स्मित-भास्वर से ही होता हैं, तुझसे जो प्रेम था अविरल, ये जो तेरे मन के कुलिस सार्थवाहों ने, मेरे रजत-स्वप्नों का उन्मान लगाया, उर्ध्व तितिक्षा ने मेरे ये भी अंगीकार किया, जब इस मुग्ध-प्रेम पर तुमनें खुद ही अन्चिन्हा अवार है चढ़ाया, फिर तेरे प्रेम-विग्रह पर संशय कैसा, फिर तुझसे प्रतिकार क्या। ©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " #फक्कड़
Neha Jain
#emotionalstory सिन्टु सनातनी "फक्कड़ " Jagwinder Singh …My Matter बाबा ब्राऊनबियर्ड अं_से_अंशुमान Sethi Ji
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