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shayar_dillwala
सोचता हूं बहुत कुछ हर रोज, लेकिन हर बार उसे लिख पाता नहीं। देखता हूं उसे छुप छुप कर कई दफा, भिर भी ये मन भर पाता नहीं। सोचता हूं बहुत कुछ हर रोज, लेकिन हर बार उसे #लिख पाता नहीं। देखता हूं उसे छुप छुप कर कई दफा, भिर भी ये #मन भर पाता नहीं।
सुसि ग़ाफ़िल
हां मैं सुश हूं। मैं बाहर से कुछ नहीं देखता हूं । मैं गहराइयों में बोलता हूं , वहीं है दर्द की गांठ बस , उसी को ही खोलता हूं , हां मैं दर्द तोलता हूं ! हां मैं सुश हूं। हां मैं सुश हूं। मैं बाहर से कुछ नहीं देखता हूं । मैं गहराइयों में बोलता हूं , वहीं है दर्द की गांठ बस , उसी को ही खोलता हूं , हां मैं दर्
Mohammad Arif (WordsOfArif)
आजकल मुझे कुछ याद रहता नहीं एक तेरे सिवा कहीं दिल भी लगता नहीं देखता हूं जब भी तुझको मैं ख्वाबो में सब भूल जाता हूं मुझे कुछ मिलता नहीं तेरे सिवा दिल भी धड़कता नहीं था मेरा तेरे जैसा मेरे दिल को अब कोई चुराता नहीं आओगे फिर जब कभी तुम मेरे सामने अब क्यूं मुझको फिर तू गले लगाता नहीं क्या हुआ है दिल मेरा बेचैन इतना क्यूं है अब तू मुझको क्यू अपने घर बुलाता नहीं मैं आज भी वहीं हूं तू देखता नहीं मुझको आरिफ क्या है तुझसे दिल मेरा भरता नहीं आजकल मुझे कुछ याद रहता नहीं एक तेरे सिवा कहीं दिल भी लगता नहीं देखता हूं जब भी तुझको मैं ख्वाबो में सब भूल जाता हूं मुझे कुछ मिलता नहीं ते
tinku mansoori
मैं "उसको" नहीं देखता...? मैं उसका "देखना" देखता हूं
Sunil Kanojiya
मैं न इधर देखता हूं उधर नहीं देखता बहुत सोचने के बाद देखता हूं ©Sunil Kanojiya #मैं न इधर देखता #हूं न उधर देखता हूं#
MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar pandey "सपना में देखता हूं अपनी अोकत से भी बड़ा".। #सपनामें देखता हूं
kavirajupkashi
✍️लेख़क आनेश जैन 9685853332 इंशान हूं में दुनिया देखता हूं
Yogesh RJ05
मैं देखता हूं चांद को बादलों में खुद को छिपाते हुए, मैं देखता हूं रात को खामोशी से दर्द बताते हुए। मैं सुनता हूँ बेमौसम बरसात को अपना राग गाते हुए, मैं सुनता हूँ हवा को एक दर्दीली धुन बजाते हुए।। माहौल बडा ही गमजदा सा है, मैं देखता हूं अंज को नील पर अपना हक जताते हुए।। मैं देखता हूं पहर को पल पल कर जाते हुए।। मैं देखता हूं बारिश को थमते हुए, मैं देखता हूँ फ़िर एक कहानी बनते हुए। मैं देखता बूंदों को बेजान शाखों से छनते हुए, मैं देखता हूँ बसर में अरमान जगते हुए।। मैं देखता हूँ एक उम्मीद से रात के बादल छटते हुए।। . . Yogesh Sharma मैं देखता हूं उम्मीद