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Jit
पुजारा खाना बहुत धीरे-धीरे खाते हैं क्यू कि धीरे-धीरे खाने से टेस्ट आता है और वो भी टेस्ट के वह खिलाड़ी हैं। ©Jit टेस्ट का नहीं टेस्ट का है मामला
Mukesh Poonia
White व्यक्ति का सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला खुद का हो तो वह बेचारा नहीं, आत्मनिर्भर बनता है . ©Mukesh Poonia #Free #व्यक्ति का #सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला #खुद का हो तो वह #बेचारा नहीं, #आत्मनिर्भर बनता है
#काव्यार्पण
White खता गर कम करूं फिर भी सजा नहीं घटती कि रातें अब तुम्हारी याद बिन नहीं कटती । मेरे महबूब की तस्कीन में सबकुछ तो दिखता है खुदा दिखता है मुझको पर वफा नहीं दिखती । लिपट जाती हैं मुझ पर जब लताएं रायेगानी की हुई बरसात हो फिर भी घटा नहीं दिखती । तगाफुल में महज इतना इज़ाफा कर लिया हमने खफा होकर भी मैं उसको खफा नहीं दिखती । मेरी रूह मुझको देख कर थर्रा के बोली है कि प्रज्ञा आजकल तू जिस्म में नहीं दिखती । वो मेरी आंखों से काजल बहाकर आज बोला है तुम्हारे पांव में पायल भी अब नहीं दिखती । अलग से देखने का शौख मत पालो जहां वालों मैं उसकी रूह हूं उससे जुदा नहीं दिखती। मेरी मां ने भी मुझको एक अर्से बाद देखा है मैं कमरे के भी बाहर आजकल नहीं दिखती । मेरी लेखनी से अब शिकायत है जमाने को मोहब्बत से इतर मैं और कुछ नहीं लिखती । ©#काव्यार्पण वफा नहीं दिखती: प्रज्ञा शुक्ला #Kavyarpan #काव्यार्पण #हिंदी #सीतापुर #Pragyashuklakikavita #emotional_sad_shayari ꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂ K
#काव्यार्पण
book lover
जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं ©book lover धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है
INDIA CORE NEWS
Bharat Bhushan pathak
पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश
#काव्यार्पण
हम तुम दोनों मिला करेंगे सीतापुर में प्यार के चर्चे किया करेंगे सीतापुर में, लखनऊ वाली चाय तो अब बेस्वाद हो गई कॉफी शॉपी पिया करेंगे सीतापुर में। कब तक सीधे रहें कब तलक नैन झुकाए नैन मटक्का किया करेंगे सीतापुर में। फोर व्हीलर की सीट को फौरन आग लगाओ हम बाइक पर सफ़र करेगे सीतापुर में। छप्पन भोग के भोग ना मुझको भाते हैं गौरव ढाबा चला करेंगे सीतापुर में। हजरतगंज में गंजिग करके बोर हो गई पगडंडी पर चला करेंगे सीतापुर में। काजू पिस्ता हरगिज भूल मैं जाऊंगी मूंगफली तुम रोज खिलाना सीतापुर में। अब तक चूना बहुत लगाया तुमने सबको मेरी मांग में अब सिंदूर लगाना सीतापुर में। तेरा चेहरा देख के अपना व्रत तोड़ेंगे फिर चंदा को तका करेंगे सीतापुर में। अपने जैसे संस्कार देने की खातिर बच्चे अपने पढ़ा करेंगे सीतापुर में। तेरी बाहों में ही अपना दम तोड़ेंगे मर जाएंगे सांस ना लेंगे सीतापुर में। प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण sitapur mein...!! #Sitapurpoetry #सीतापुर #hunarbaaz #Nojoto #poetry #lakeview