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Prashant Mishra
समझ में यह नहीं आता कि वे क्यों दूर भागे हैं क्या इतने थे बुरे हालात हो मजबूर भागे हैं मुझे दिल्ली का मुम्बई का प्रशासन इतना उत्तर दे हुआ क्या था अचानक जो सभी मजदूर भागे हैं --प्रशान्त मिश्रा प्रवासी मजदूरों का पलायन
anish11jethwar
सफ़र की थकान का बिछौना करके वो सांस लेता भी होगा तो किसी पेड़ों की छांव में, कल तक तो सुना था कि छाले सिर्फ ज़ुबान पे पढ़ते हैं लेकिन अब तो छाले पड़ने लगे हैं पांव में। मजदूरों का पलायन #AarzuKiShayari #AarzuShayari.Com #MyLifeLine
Ek villain
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा निगा उत्तर प्रदेश से लगी हुई है जहां ना केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 57 कि 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की तीसरे कार्यकाल की संभावना भी दांव पर है ममता बनर्जी की सफलता से उत्साहित होकर विपक्षी दल कुछ ऐसी वैसी पटकथा यूपी में तैयार करने में लगे हैं जैसे उन्होंने बंगाल में लिखी थी पहले मोदी और योगी के बीच मनमुटाव परियों की और केशव प्रसाद खाओ का टकराव उसके बाद भाजपा से ब्राह्मण की गति नाराजगी और भाजपा के पिछड़े दलित के बयान को उछाला जा रहा है लेकिन यह पटकथा चुनावी बक्सा ऑफिस पर हिट होगी या नहीं चुनाव के मौके पर स्वामी प्रसाद मौर्या धर्म सिंह सैनी द्वारा सिंह चौहान समेत करीब 10 भाजपा नेता सपा में चले गए इस भाजपा के विरोधी माहौल बना तो जरूरी लेकिन मतदाता जनता है कि ऐसे में दल बदल हो रही है आधार पर नहीं वरना निजी हित की आते क्या ऐसे नेताओं की परिवर्तन से समर्थ के लिए बदलते हैं आम चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तब अखिलेश और मायावती भी अपने समर्थन को अपने साधना रखे थे तो छोटे नेताओं की क्या हैसियत पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधियों का दावा करने वाले नेता भूल जाते हैं कि उन जातियों के युवाओं में भी राजनीति का महत्व की अपेक्षा है क्या केवल एक नेता के परिवार के लोग ही आगे बढ़ेंगे या उस समाज के सारे लोग आगे बढ़ेंगे क्या सकते नहीं है कि भाजपा छोड़ने वाले नेता अपने संबंधियों को टिकट न मिलने को लेकर आशंकित थे ©Ek villain # नेताओं के पलायन का सर #apart
Parasram Arora
मेरे लिए तो मेरा गाँव से नगरीय . पलायन पीड़ादायी साबित हुआ है क्योंकि बहुत कुछ है जो पीछे छूट गया है मसलन वो आँगन मे खड़ा हुआ नीम का दरख्त और परिंदों क़े वे चहचहाते हुए नीड मिट्टी की सौंधी सुगंध वाले फर्श और दीवारें और उन पर थोंपे. हुए गोबर क़े ओटले. कदाचित अब नहीं हो पाऊंगा मुख़ातिब शादी ब्याह क़े पारम्परिक लज़्ज़तदार गीतों भजन और रतजगों से इसके अलावा भी बहुत कुछ स्मृतियोंक़े अवशेष जो मैंने अर्जित किये थे बचपन से जवानी तक क़े सफर मे ©Parasram Arora पलायन
संजीव निगम अनाम
रस्ता और गाँव पथ है भूला गाम का,शहरों जिसका वास, बूढ़ा बरगद कब तलक,जोड़े बैठे आस। अॉगन सूने गाम के,बरखा जाती रूठ, शहरों होती चाकरी,पेड़ भये सब ठूठ। - अनाम संजीव #पलायन