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Eklakh Ansari
GRHC~TECH~TRICKS
White अनजान पक्षियों उड़ते हुए देखना, एक अफसाना सा बन जाता है, जब आप के ऊपर मिठी सी गुज़ से गुजरते हैं। यही पक्षी का आपके पिंजरा के शिकार हो चुके हैं।तो आपके विश्वास से उड़ कर आते हैं अवश्य आते हैं पुनः आपके पास. ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #City शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Mili Saha Anil Ray gk Mohammed Jakir S.k Sanjana Vaibhav's Poetry Anu Verma Neha
Sethi Ji
White 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 💞 दिल की मुस्कान , दिल की पहचान 💞 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 मुस्कराते बहुत हो तुम , कभी ख़ुश भी रहा करो चाहते हैं तुमको अपनी जान से ज़्यादा कभी तुम भी हमको हमारी तरह चाहा करो ढूंढ़ते हैं तुम्हारी हसीं ज़माने भर में कभी भूल कर हमारी गली भी आया करो सोचते हैं दिन रात तुमको हमारे ख्यालों में कभी तुम भी हमारा साथ अपने ख़्वाबों में पाया करो 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 ©Sethi Ji 🩷🩷 ज़िन्दगी की अदा 🩷🩷 🩷🩷 ज़िन्दगी की वफ़ा 🩷🩷 दिल से दिल का रिश्ता कोई समझ नहीं पाया ज़िन्दगी में कोई हमसे वफ़ा कर नहीं पाया ।। बढ़ते रहे हमेशा
Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
INDIA CORE NEWS
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ
zindagiesagar
White ये खूब है करिश्मा की सांझ बाकी है पंछियों का घर लौटना भी अभी बाकी है ठहर कर इंतजार करना थोड़ा मुमकिन हो अभी ना जाने किसका इंतजार बाकी है ©zindagiesagar #intezaar #Panchi #saanjh #evening ये खूब है करिश्मा की सांझ बाकी है पंछियों का घर लौटना भी अभी बाकी है ठहर कर इंतजार करना थोड़ा मुमकिन हो
DRxHitesh sagar
Gopal Pandit
White दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था मुझे सारे शहर के आगे । क्या फिर से जी पाऊंगा तेरे शहर में मैं उठाकर अपने सर को।। #गोपाल_पंडित ©Gopal Pandit #Road दिल करता है हम लौट चलें फिर से तेरे शहर को । फिर ख्याल आता है क्या बसा पाएंगे हम अपने पुराने घर को ।। तूने बेईज्जत करके तो निकाला था म