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Parasram Arora

आतंक का साया #विचार

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अब ये शहर  पराया लगने  लगा हैँ
क्योंकि ये शहर  भूत पिशाचो  के चंगुल मे
जकड़ा जा चुका हैँ
उनके बदसूरत इरादे  उनकी खूखार आँखों
से साफ नजर आ रहेहैँ
पर्यायवाची  शब्दों मे अगर इनका जिक्र करना हो तों इन्हे मौत का  सौदागर कहना जयादा llउचित होगा
क्योंकि यहां सुनाई पदने लगी 
 हैँ अंतहीन  करुंन पुकारे 
चीखे और  करहने की आवाज़े....कहीं दूर से  बम
फटने की कान फाड़   देने वाली  गुजे 
जबकि यहां के  बाशिंदो ने. अपने घर को  ही
अपनी कब्र बना रखा हैँ.... और शाम होते ही लोग दर दरवाज़े खिड़कियां  बंद कर देते हैँ और शहर मे मातमी सन्नाटा
पसर जाता हैँ

©Parasram Arora आतंक  का साया

Paramjit Singh landran

मोहब्बत का साया #लव

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Namrta vishwakarma

#परिवार का साया

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मध्यम वर्गीय परिवार ख़ुशकिस्मत हूँ मैं  
जो माँ बाप का साया है मुझपर ,
ख़ुशनसीब हूँ मैं 
जो मेरे माँ बाप के भी माँ बाप का साया है मुझपर 
भाई बहनों का साया भी 
किसी मुराद़ से कम नहीं, 
शुक्रिया ख़ुदा का🙏🏻🙏🏻🙏🏻,
अब किसी बात का गम नहीं।

©Namrta vishwakarma #परिवार का साया

Sanjeev gupta

उल्फतों का साया #Shayari #nojotophoto

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 उल्फतों का साया

N Singh

सैतान का साया #Quotes

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Manisha Keshav

#चाँद का साया # #विचार

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Anshul Gautam

चांद का साया #शायरी

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मैं उसे देख इंतजार करता रहा तेरा कोई मैसेज ना आया रहा ।
अनोखी रात थी, हलचल दोनो और जोरदार थी,
तेरे बस एक हां के इंतजार में पूरी रात में जगा रहा, 
सुबह तक बैठा रहा पर कोई परिंदा ना आया रहा ।।
बस रात भर एक चांद का साया रहा ।।




















।।

©Anshul Gautam चांद का साया

Bharti Sharma

पिता का साया #Life

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Abhay sharma

चाँद का साया #Shayari

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बाहों मे तेरी
जबतक मै सोया रहा.
चाँदनी चमकती रही. 
तारे टिमटिमाते रहे.
जबतक
जुल्फो मे तेरी मै खोया रहा.
रात भर इक 
चाँद का साया रहा.
(अभय❤️)

©Abhay sharma चाँद का साया

Parasram Arora

वातसल्य का साया...

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दुर्लभ हैँ  वो  वातसल्य का  साया पाना फिर से 
पर उसकी  आशीष का  हाथ रहा  हैँ सदा 
मेरे सिर पर 
जब कभी  खिले  फूलों जैसा व्यक्तित्व  देखता हूं मै 
आसपास  मंडराते हुए. 
आँगन  महक उठता हैँ मेरा  उसकी  ममतामयी 
खुशबू से. 
किस  विश्वास के  आदर से  जीवन जीया उसने  और 
यकीन के  जिन रंगो से  मेरे   जैसा  पोर्ट्रेट बनाया उसने 
आज   अचानक  . खुशामदीद    और  अलविदा  कह कर 
 न जाने  क्यों  रूठ tकर  चली गई  यहां से वातसल्य  का  साया...
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