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Arun kr.
लूंगी भुइंया वजह आपके बंजर में भी हरियाली आई साथ मे गांववालों के जीवन में खुशहाली आई आसान नही था अकेले कर पाना पर हर नामुमकिन संभव हुआ 30 वर्ष लगे 3 किलोमीटर नहर बनाने में पर वक़्त न लगा आपके जय जयकार होने में उम्मीद औऱ आश जगा रहा सार्थक होगा ये सपना यही आश लिये इसमें लगा रहा बहुतों ने आपके मन को तोड़ा होगा अकेला नही कर पाएगा बोला होगा पर जुनून न छोड़ी आपने सच कर दिया सपना सबके सामने है आप जनजीवन के प्रेरणा स्रोत नमन है आपको आपके हौसलो पर जो माँ,माटी और मानुष को शीतल किया फिर से दशरथ मांझी के बाद बिहार का नाम रौशन किया। #लूंगी भुइयां
Abeer Saifi
दुअरा पर अंहार करीं, ओकर महलवा में अंजोर बा अँजोरिया के اا दुअरा - घर, अंजोर - उजाला, अँजोरिया- चांदनी राम राम जी अपने सभे जन के। आज कय #collab बाटे #हमजेकराखातिर #आपनभोजपुरी #yqbabuaa #YourQuoteAnd
Abeer Saifi
दुअरा पर अंहार करीं, ओकर महलवा में अंजोर बा अँजोरिया के اا दुअरा - घर, अंजोर - उजाला, अँजोरिया- चांदनी राम राम जी अपने सभे जन के। आज कय #collab बाटे #हमजेकराखातिर #आपनभोजपुरी #yqbabuaa #YourQuoteAnd
Alok Vishwakarma "आर्ष"
नेह करत हृद मोर, सनेही मनुकाव्या अंजोर । समर्पण प्रीति परम् मिष्ठान, दीप्तिमय नाद अधर संज्ञान ।। नेह करत हृद मोर, सनेही मनुकाव्या अंजोर । समर्पण प्रीति परम् मिष्ठान, दीप्तिमय नाद अधर संज्ञान ।। #alokstates #essentiallydeep #स्नेह #love
_Ram_Laxman_
कस्तुरी मृग से मिले के आस लगाय रहिथे । चांदनी रात में चंदा अंजोर चहूंओर बगराय रहिथे । वइसने मोर मयारु हा अपन मया के बरसा, मोर जिवरा अऊ जिनगी मा अड़बड़ बरसाय रहिथे ।। ©_judwaa_writes_ कस्तुरी मृग से मिले के आस लगाय रहिथे । चांदनी रात में चंदा अंजोर चहूंओर बगराय रहिथे । वइसने मोर मयारु हा अपन मया के बरसा, मोर जिवरा अऊ जि
तुषार"आदित्य"
मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन गाँवव। तोर आसीस से अतका मैं बल बुद्धि पावव। तोर हरियर चुनरी ला अऊ हरियर कर जावव। हरेली म खेलों गेड़ी,बइला पोरा म दउड़ावव। जब आवये आठे तोर मैं किसना बन जावव। मोर भुइयां, मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर वो,महतारी तोर अचरा के छाँव। तोर माटी मोर माथा के टिका बन जावय। तोर आघू सब्बो सुख मन फीका पड़ जावय। सौभाग दे अइसन "आदित्य" छितिज तक जावय। छत्तीसगढ़ और गढ़िया दुनियां म नाम कमावय। मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन