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INDIA CORE NEWS
Prerna Singh
हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं परिणाम दोनों के अलग आएंगे उस दिन कहां जाएगा शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं अगला पिछला कुछ होता नहीं जो होता हैं इसी जन्म का होता है तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा जैसे मैंने काटे थे बेटी के रुप में जन्म लेकर मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर जैसे अब दबाया जा रहा हैं मलबे में पुरानी वस्तु समझकर मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव लालची बन कर ©Prerna Singh हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा द
Manish Jakhmi
कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को रखकर देखते है क्यूंकि लोग इस तरह के उदाहरण दूसरों पर सुनना ही पसंद करते है, परंतु यह पसंद और न पसंद करने का सवाल नहीं उठता क्योंकि कुछ इस तरह की अनगिनत चीजे व्यक्ति के जीवन हो जाती है जिससे भिड़कर वह अपने आप के एक आदमी बनाता है, अब एक आदमी कैसा हो ये प्रश्न भी बनता है, परंतु यह तो अक्सर नियती पर निश्चित होता है क्यूंकि परिस्थिति तो मात्र श्रेणी बदलती है, जीवन में पड़ावों को पार करते करते ही कुछ इस तरह (कविता में दिए गए) के निर्णय लेने होते है, जिनका ख्याल मात्र दो बार आता है एक निर्णय लेते वक्त और दूसरा उस परिस्थिति के अंत में परिणाम के वक्त। मनीष जख्मी ©Manish Jakhmi कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को र
Manish Jakhmi
एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड़े बड़े प्रवचन ही क्यों ना सुनाते हो एक दूसरे को समझते वक्त। देखा जाए तो होता सब कुछ है बस एक शब्द शर्त किरदार निभाता है व्यक्ति उस शर्त को पूरा भी कर सकता है जिसमें वो धैर्य है कि वह परिस्थिति के परिणाम का इंतजार कर सके। परंतु उसके लिए आपको विद्वान बनना होगा और एक विद्वान बुरी परिस्थिति में कभी भी बैरागी नहीं होता अपितु वह उस परिस्थिति में कोई झलक भी नहीं दिखाता जिससे उसे कोई सहानुभूति का अनुभव हो तभी वह एक सटीक जीवन का आनंद ले पाता है या मान लो सब कुछ सुलझा हुआ दिखता है।बाकी व्यक्ति की प्रवर्ती पर निर्भर करता है। ©Manish Jakhmi एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड
N S Yadav GoldMine
Men walking on dark street {Bolo Ji Radhey Radhey} हम यहां मनोवन्थन के लिए, इस धरा पर आए है, मगर हम आज मनोवन्थन करने कि जगह, इस अनमोल सांसो, का खजाना, मनोरंजन में युही खर्च करने में लगे हैं, पता नही क्या परिणाम होगा।। ©N S Yadav GoldMine #Emotional {Bolo Ji Radhey Radhey} हम यहां मनोवन्थन के लिए, इस धरा पर आए है, मगर हम आज मनोवन्थन करने कि जगह, इस अनमोल सांसो, का खजाना, मन
Nilu Kumari
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. जीवन में जो कुछ भी काम किए हैं, उनके परिणाम इसी जीवन में सामने आएंगे और जो होना है वो तो होकर ही रहेगा। ©Nilu Kumari #holi2024 जीवन में जो कुछ भी काम किए हैं, उनके परिणाम इसी जीवन में सामने आएंगे और जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Vishnu Bhagwan दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।। मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै । सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।। विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने । स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।। २९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क
Vikrant Rajliwal
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जब मेघनाथ ने विभीषण पर चलाया यम अस्त्र आज, मैं उसी के बारे में आपको बता रहा हूँ !! 🌞🌞 आपका एन एस यादव :- यम अस्त्र:-🌅 मेघनाथ अपने पिता रावण की आज्ञा का हमेशा पालन करता था व उनके गलत होने के पश्चात भी उसने हमेशा उनका साथ दिया था। जितना वह अपने पिता का सम्मान करता था, उतना ही वह अपने चाचा विभीषण से द्वेष रखता था, क्योंकि उसके चाचा विभीषण ने उसके पिता, कुल, समाज व देश के साथ विश्वासघात किया था। 🌅 जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्तिबाण के प्रहार से मुर्छित कर दिया था, तब वह बहुत प्रसन्न था, लेकिन विभीषण ने लंका के वैद्य सुषेण की सहायता से लक्ष्मण को स्वस्थ कर दिया था। इसके अलावा भी मेघनाथ को विभीषण के द्वारा श्रीराम की सेना की कई प्रकार से सहायता करने के कारण क्रोध था, जिसका बदला वह लेना चाहता था। आज हम उसी के बारे में आपको बताएँगे। जय श्री राम जी:-मेघनाथ का विभीषण पर आक्रमण:- 🌅 मेघनाथ युद्ध में जाने से पहले लंका के गुप्त स्थान पर बने अपनी कुलदेवी माता निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था, जिसके पश्चात उसे हरा पाना असंभव था, लेकिन विभीषण को इसका पता चल गया था। यदि यह यज्ञ सफल हो जाता तो युद्ध का परिणाम कुछ और होता। किंतु विभीषण ने लक्ष्मण के साथ मिलकर उस यज्ञ को असफल करवा दिया था, जिसके कारण मेघनाथ विभीषण के प्राण लेने को आतुर हो उठा। मेघनाथ विभीषण संवाद:-🌅 यज्ञ के असफल होने के पश्चात जब वह युद्ध भूमि में आया तो विभीषण को देखकर अत्यंत क्रोधित हो उठा। उसने विभीषण को कई कटु वचन कहे व अपने कुल से विश्वासघात करने के लिए उसे धिक्कारा। विभीषण ने भी उसे अधर्म का साथ देने के लिए आलोचना की। इससे क्रोधित होकर मेघनाथ ने अपना शक्तिशाली यम अस्त्र निकाला व विभीषण पर चला दिया। लक्ष्मण को कुबेर ने बतायी थी इसकी काट:-🌅 रावण के बड़े व सौतेले भाई कुबेर ने लक्ष्मण को पहले ही इस बारे में सचेत कर दिया था, कि रावण के पुत्र मेघनाथ ने यम अस्त्र को बचाया हुआ है, जिसे वह युद्ध भूमि में विभीषण को मारने के लिए छोड़ेगा। इसलिये कुबेर ने उस अस्त्र की काट पहले से ही लक्ष्मण को बता के रखी थी। लक्ष्मण ने काटा यम अस्त्र:-🌅 चूँकि श्रीराम ने विभीषण की सुरक्षा का भार लक्ष्मण को ही सौंपा हुआ था व कुबेर पहले से ही उन्हें इस अस्त्र की काट बता कर चला गया था। इसलिये जैसे ही मेघनाथ ने विभीषण पर यम अस्त्र को छोड़ा उसी समय लक्ष्मण ने भी मंत्र पढ़कर उस अस्त्र को काट डाला। इस प्रकार विभीषण के प्राणों की रक्षा हो सकी। ©N S Yadav GoldMine #watchtower {Bolo Ji Radhey Radhey} जब मेघनाथ ने विभीषण पर चलाया यम अस्त्र आज, मैं उसी के बारे में आपको बता रहा हूँ !! 🌞🌞 आपका एन एस यादव :-