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Sangeeta Kalbhor
गोष्ट एका प्रेमाची प्रेमाने मी मांडते प्रेम जोवर लेखणीत लेखणी सुखावते साजरा होतो ऋतू मनामनात काजवा प्रेम भरल्या मनाचा सदैव कौल उजवा नटते धरा नटते अंबर नटते अवघी सृष्टी प्रेम मनात असणाऱ्याची प्रेमळ बनते दृष्टी चराचरात एकची नाद प्रेम पुरुन उरते हाकला कितीही आठवणींना प्रेम स्मरते विठ्ठू माऊलीच्या चरणी प्रेममळा रंगतो वारकरी घेऊनी वीणा जय जय हरीत रंगतो भूक कुठे नि कुठे तहान प्रेम प्रेमात असताना करावी लागत नाही खंत प्रेम शीतलता देताना नात्यांना येते कुंदन रुप बळकटी जाम देते संकट येता एकजूटीने संकटाला दूर नेते लेखणी होती न्हातीधुती साजशृंगार आगळा तो शब्द उमटता काळजावर प्रेमप्रेम सोहळा तो..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor गोष्ट एका प्रेमाची प्रेमाने मी मांडते प्रेम जोवर लेखणीत लेखणी सुखावते साजरा होतो ऋतू मनामनात काजवा प्रेम भरल्या मनाचा सदैव कौल उजवा नटते ध
GoluBabu
Dileep Bhope
सखे सृष्टी... स्वामित्वाच्या दंगलीतत व्यस्त बहू, चेहरे त्यांचे म्लान होते.. सोबती आले फार थोडे जगण्याचे ज्यांना भान होते. दुष्काळाच्या सावटाला खरे तर द्यायचे आव्हान होते तुझ्याभोवतीच आयुष्य मला सजवायचे छान होते.. ©Dileep Bhope #सखे सृष्टी
Sarita Prashant Gokhale
येता पहिला पाऊस देतो मनाला गारवा, सृष्टी सजताना सारी शालू नेसते हिरवा.! येता पहिला पाऊस नाचे मोर रानामध्ये, पिसे गळताना दाटे रडू सारे मनामध्ये.! येता पहिला पाऊस होतो शेतकरी बाप, देतो जगाला आधार दिसे घामाचा प्रताप.! येता पहिला पाऊस वारा भरे दान असं रानी वनी हिरवळ तेव्हा ओठी भरे हसं.! ©Sarita Prashant Gokhale शीर्षक:- पहिला पाऊस येता पहिला पाऊस देतो मनाला गारवा, सृष्टी सजताना सारी शालू नेसते हिरवा.! येता पहिला पाऊस
Ravendra
N S Yadav GoldMine
जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बात है जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला हुआ था। उस समय वे अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में रह रहे थे। एक दिन भगवान श्रीराम माता सीता के साथ अपनी कुटिया के बाहर उनकी गोद में सर रखकर लेटे थे। तब इंद्र पुत्र जयंत को एक शरारत सूझी व उसने कौवे का रूप धारण कर लिया। वह कौवा बनकर उनकी कुटिया के पास आया व विचरने लगा। आज हम उसी घटना के बारे में जानेंगे। माता सीता को मारी चोंच :- 💡 जयंत की उद्दडंता तब हुई जब उसने माता सीता के पाँव में चोंच मारी। माता सीता के द्वारा उसे बार-बार हटाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने चोंच मारनी जारी रखी। इसके कारण माता सीता के पैर से रक्त बहने लगा। जब भगवान राम ने माता सीता को इस तरह परेशान होते देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा। माता सीता ने उन्हें अपना पैर दिखाया व कौवें के द्वारा परेशान करना बताया। भगवान राम ने चलाया ब्रह्मास्त्र :- 💡 भगवान राम कौवे की इस हरकत से अत्यंत क्रोधित हो गए। चूँकि भगवान राम अत्यंत धैर्यवान व विनम्र स्वभाव के व्यक्तित्व वाले थे किंतु माता सीता को पहुंचे आघात के कारण उन्होंने अपना संयम खो दिया। उन्होंने उसी समय अपना ब्रह्मास्त्र निकाला व उस कौवें पर चला दिया। जयंत भागा तीनों लोकों में :- 💡 भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रहार करने पर इंद्र पुत्र जयंत वहां से भाग गया लेकिन ब्रह्मास्त्र ने उसका पीछा नही छोड़ा। वह अपने प्राण बचाकर तीनों लोकों में दौड़ा किंतु कोई भी उसे नही बचा सका। अपने पिता के देव लोक में भी किसी के अंदर उसे बचाने का साहस नही था। तब नारद मुनि ने उससे कहा कि उसे केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते है। जयंत ने मांगी श्रीराम से क्षमा :- 💡 तब जयंत भागता हुआ वापस चित्रकूट की उसी कुटिया में आया व भगवान श्रीराम के चरणों में गिर पड़ा। उसने अपने अपराध के लिए भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने उसे ब्रह्मास्त्र को अपना कोई अंग देने को कहा। तब जयंत के कहने पर प्रभु श्रीराम ने उनकी दायी आँख फोड़ दी व उसे क्षमा कर दिया। ©N S Yadav GoldMine #snowfall जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बा