Find the Latest Status about तहमीना कौन थी 1 point from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तहमीना कौन थी 1 point.
tahmeena khatoon
मैं पानी में गिरी रेत नही, जो सहम के एक कोने में बैठ जायगी मैं सागर में फेंकी शराब हूँ जो सभी को ही बहका के जायगी #हक़ #lost #तहमीना
NONNY
सवेरे से लेके रात होने तक,मैं जिसे सोचता रहता था,, कोई पूछता है तो सोचता हूँ,वो कौन थी कैसी दिखती थी,, कौन थी।
कौन थी।
read moreBlack writer
Aankho me aanshu smundar me nao dube h, khali h dil jkhmo me pao dube h, kahi trs rhe h log pani ke liye... or yha lahro me pura gao dube h ©writer chandni 1 point ...think everything.
1 point ...think everything. #विचार
read moreJack Sparrow
कहा हो कैसे हो कुछ तो जवाब दो कई सालोंसे कोई खबर नही तुम्हारी पहले मिल जाते थे बाजारमे कीसी चुडीयोंकी या हलवाईकी दुकानमे कभी दिख जाती थी काॕलेजकी सहेलीयोंमे सिग्नलपे रास्ता पार करते हुए कभी चाट के ठेलेपे,चाट खाते हुए काॕलेज कँपसमे वक्त बिताते हुए दिख जाया करती थी कभी,अपनीही दरवाजेकी चौखटमे सुखे पत्तोंको झाडती आँगनमे,दिख जाया करती कभी सहेली संग पनघट जाते हुए,आते हुए, कभी किसीकी शादी जलसे मे,कभी गलीने रखे जश्न मे नाचती,खेलती,हसती मुस्कुराती दिख जाया करती थी अक्सर वो बाईकपे सवार यहा वहा,बेमतलब पेट्रोल जलाती घुमती अब नजर नही आती कही भी मै हर वो जगह हो आता हु,जहा तुम्हारे होनेकी उम्मीद हो सारे शहरभर घुमता हु के एक नजर हो पुछ बैठा हु सहेलीयोंसे पता ठिकाना,वो चौकके देखती है शक्ल मेरी वास्ता देकर टालती है,कहती है गई है मेरी अक्ल मारी सब छाना,सब टटोला सब कुछ ढुँढा पर कुछ नही,जैसे तुम कभी थी ही नही लोगोंने कहा,की ये सब मेरा वहम था,ऐसी कोई थी ये मेरा भरम था अगर भरम था तो बताओ वो बाजारमे,चुडीकी दुकानमे उस सिग्नलपे,चाटके ठेलेपे काॕलेज कँपसमे,घर आँगनमे वो दरवाजेकी चौखटपे खडी सुखे पत्ते झाडती,हसती-मुस्कुराती कौन थी...? Ct.JackOcean ©Jack Sparrow #कौन थी#whowasher?
HP
कौन थी शबरी शबरी की कहानी रामायण के अरण्य काण्ड मैं आती है। वह भीलराज की अकेली पुत्री थी। जाति प्रथा के आधार पर वह एक निम्न जाति मैं पैदा हुई थी। विवाह मैं उनके होने वाले पति ने अनेक जानवरों को मारने के लिए मंगवाया। इससे दुखी होकर उन्होंने विवाह से इनकार कर दिया। फिर वह अपने पिता का घर त्यागकर जंगल मैं चली गई और वहाँ ऋषि मतंग के आश्रम मैं शरण ली। ऋषि मतंग ने उन्हें अपनी शिष्या स्वीकार कर लिया। इसका भारी विरोध हुआ। दूसरे ऋषि इस बात के लिए तैयार नहीं थे कि किसी निम्न जाति की स्त्री को कोई ऋषि अपनी शिष्या बनाये। ऋषि मतंग ने इस विरोध की परवाह नहीं की। ऋषि मतंग जब परम धाम को जाने लगे तब उन्होंने शबरी को उपदेश किया कि वह परमात्मा मैं अपना ध्यान और विश्वास बनाये रखें। उन्होंने कहा कि परमात्मा सबसे प्रेम करते हैं। उनके लिए कोई इंसान उच्च या निम्न जाति का नहीं है। उनके लिए सब समान हैं। फिर उन्होंने शबरी को बताया कि एक दिन प्रभु राम उनके द्वार पर आयेंगे। ऋषि मतंग के स्वर्गवास के बाद शबरी ईश्वर भजन मैं लगी रही और प्रभु राम के आने की प्रतीक्षा करती रहीं। लोग उन्हें भला बुरा कहते, उनकी हँसी उड़ाते पर वह परवाह नहीं करती। उनकी आंखें बस प्रभु राम का ही रास्ता देखती रहतीं। और एक दिन प्रभु राम उनके दरवाजे पर आ गए। शबरी धन्य हो गयीं। उनका ध्यान और विश्वास उनके इष्टदेव को उनके द्वार तक खींच लाया। भगवान् भक्त के वश मैं हैं यह उन्होंने साबित कर दिखाया। उन्होंने प्रभु राम को अपने झूठे फल खिलाये और दयामय प्रभु ने उन्हें स्वाद लेकर खाया। फ़िर वह प्रभु के आदेशानुसार प्रभुधाम को चली गयीं। शबरी की कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? आइये इस पर विचार करें। कोई जन्म से ऊंचा या नीचा नहीं होता। व्यक्ति के कर्म उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं। हम किस परिवार मैं जन्म लेंगे इस पर हमारा कोई अधिकार नहीं हैं पर हम क्या कर्म करें इस पर हमारा पूरा अधिकार है। जिस काम पर हमारा कोई अधिकार ही नहीं हैं वह हमारी जाति का कारण कैसे हो सकता है। व्यक्ति की जाति उसके कर्म से ही तय होती है, ऐसा भगवान् ख़ुद कहते हैं। कहे रघुपति सुन भामिनी बाता, मानहु एक भगति कर नाता। प्रभु राम ने शबरी को भामिनी कह कर संबोधित किया। भामिनी शब्द एक अत्यन्त आदरणीय नारी के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रभु राम ने कहा की हे भामिनी सुनो मैं केवल प्रेम के रिश्ते को मानता हूँ। तुम कौन हो, तुम किस परिवार मैं पैदा हुईं, तुम्हारी जाति क्या है, यह सब मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता। तुम्हारा मेरे प्रति प्रेम ही मुझे तम्हारे द्वार पर लेकर आया है। कौन थी शबरी
कौन थी शबरी
read moreआनन्द मानव
जलमग्न लंका में वो चिता की आखिरी काष्ठ जैसी, लिए गुब्बारे रंगीन वह हाथ उठाती ,चीत्कार करती। काशी अपनी धरती पर इक और कबीर दिखलाती, पथभ्रष्ट जनों को यथार्थ मार्ग का फिर एक बार परिचय करवाती। हे मानव! तू कर विचार और अब बता कि कौन थी वह? ..5.. (*कौन थी वह* कविता से) कौन थी वह
कौन थी वह
read moredevarshi
क्या वो चांद थीं मेरे जीवन की या थीं उसकी परछाई, क्या तब वो मेरी ही थीं या हमेशा से ही थीं पराई, ना जाने किस बात की मुझे मिली इतनी बड़ी सजा, कि यहां छाया था मातम और वहां बज रहीं थीं शहनाई। वो कौन थी
वो कौन थी
read moreबी एल सोनी
#बे मेल प्यार # बनके लहू नस नस में समाती चली गई । नैनो में सुनहरे ख्वाब सजाती चली गई । मैं खोया था प्यार में उसके कुछ इस तरह, वो मेरे अरमानों को और बढ़ाती चली गई । वो कौन थी । आई वो मेरे जीवन में बहार की तरह । सावन की किसी ठंडी फुहार की तरह। जाते ही ले गई वो सब कुछ समेट कर, ,भारत,हुआ तनहा किसी शिकार की तरह। वो कौन थी । जय हिंद । ©Bharat Lal Soni # वो कौन थी #
# वो कौन थी #
read morePhool Romio
सब रोए उसकी मौत पर बस एक इस रोमियो को छोड़कर फिर क्या था इतनी सी बात पर मुझे कातिल समझ लिया गया ©Phool Romio वो कौन थी?
वो कौन थी? #Shayari
read more