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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#fathers_day पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते #मोटिवेशनल

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने । कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।। असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने #शायरी

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White ग़ज़ल :-

दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने ।
कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।।
असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में
रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने ।।
हँसते गाते बीते जीवन इस खातिर 
पूजे हैं राहों  के भी कंकर मैंने ।।
यह सच्ची निष्ठा है  एक सनातन की ।
 कण-कण को भी माना है शंकर मैंने ।।
पत्थर से अरदास लगाऊँ क्या अब मैं ।
देख लिये इंसान यहाँ पत्थर मैंने ।।
लाशों के अम्बार लगे दोनों जानिब 
हँसते देखे उन पर  कुछ जोकर मैंने ।।
शीश झुका कर  आता है मेरे आगे ।
उसको बनाया है अपना नौकर मैंने ।
अपना वादा काश निभाने आते प्रखर 
कितना  रस्ता देखा है मुड़कर मैने ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने ।
कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।।
असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में
रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#motherlove गीत :- रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा । त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।। रहूँ सदा मैं माँ की ग #कविता

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गीत :-
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा ।
त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।।
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ....
इस जीवन का मोल अदा हो , मातु-पिता की कर सेवा ।
इस सेवा से ही पहले तो , हमने चखा बहुत मेवा ।।
बिन कर्म किए फल मिले हमें , नहीं किया था अभिलाषा  ।
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ....
तुम ही जननी तुम जगदम्बा , मुझको कर दो अब श्रीधर ।
पड़ा रहूँ मैं शरण तुम्हारी , मातु हमें अब दे दो वर ।।
मैं भी सेवा करूँ तुम्हारी , उठती मन में अभिलाषा ।
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी ...।
तुम ही साथी तुम ही देवी , तुमसे आज छुपाऊँ क्या ।
शीतल पावन दूध तुम्हारा, पीकर मैं इठलाऊँ क्या ।।
जो बनकर लहू दौड़ता है , क्या दूँ उसकी परिभाषा ।
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी .....
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा ।
त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #motherlove 

गीत :-
रहूँ सदा मैं माँ की गोदी , जीवन की है जिज्ञासा ।
त्याग तपस्या और बलिदान , देख लिया माँ की भाषा ।।
रहूँ सदा मैं माँ की ग

Neetu Sharma

प्रेम की परिभाषा ❤️🥀Satyaprem Upadhyay Namit Manak desai SIDDHARTH.SHENDE.sid Arshad Siddiqui #Poetry

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neetu sharma

©Neetu Sharma प्रेम की परिभाषा ❤️🥀Satyaprem Upadhyay Namit Manak desai SIDDHARTH.SHENDE.sid Arshad Siddiqui

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता

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चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

Madhu Singh

मेरी प्यारी सासु मां... एक मां जिसने पति खोकर संपत्ति खोकर बड़े संघर्ष से ना घर परिवार बच्चों को संभाला.. लेकिन एक सांस को खुश कर पाना मेरे #विचार

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चौधरी पंकज सिंह

#navratri रामनवमी की शुभकामनाएं :- —————————— आप समस्त देशवासियों को चौधरी लीगल सर्विसेज की तरफ से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जन्मोत् #भक्ति #advocatepankajsingh

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Mahadev Son

जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह #Bhakti

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White  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते...

मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि
मुश्किल या मालूम ही नहीं....


       मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार।    
           जीवन की अंतिम परिणति है। 

मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के
संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है!

आत्मा को जीवन, मृत्यु और
पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से
मुक्त करता है!

©Mahadev Son  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह

Anjali Singhal

"अब क्या ही परिभाषा दूँ मैं प्यार की! ख़ुशबू जाती ही नहीं रूह से उसके एहसास की!!" shayripage shayari quotes love loveshayari lovequot

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anup.ji.star

#holikadahan आज का दिन हमें अनेकों ज्ञान की परिभाषा बताता है #समाज

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