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Anjali Jain
White प्यारे मोदी जी, आप अद्भुत हैं!अप्रतिम हैं!अनूठे है! आपके जोड़ का व्यक्तित्व इस देश में क्या, पूरे विश्व में नहीं मिलेगा!जब इतिहास लिखा जाएगा तब कलम भी रोते- रोते, कांपते आपकी जीवन गाथा लिखेगी कि कहीं आपके साथ अन्याय न हो जाए,पर इस देश के कुछ निकृष्ट,अति स्वार्थी व्यक्ति आपके साथ अन्याय करते किंचित न झिझके ! अयोध्या जिसका नाम लेने में भी मोक्ष प्राप्ति की अनुभूति होती थी आज उसके बारे में सोचना भी हृदय विदारक हो रहा है!क्या जनता इतनी स्वार्थी और संवेदनहीन हो सकती है?ऐसी बुद्धिहीन, निर्दय और स्वार्थी जनता आपको यह बता रही है कि हम तो अपने बच्चों का हित नहीं सोच सकते, इतनी छोटी सोच है हमारी, आप हमारे लिए इतना संघर्ष और मेहनत करके अपना जीवन दांव पर न लगाएं! ©Anjali Jain #election_results 05.06.24 भाग 01
#election_results 05.06.24 भाग 01 #विचार
read moreAnjali Jain
White प्याज़- लहसुन कौन सस्ते करेगा?पेट्रोल डीज़ल की कीमतें कौन कम करेगा? नल -बिजली कौन मुफ्त में देगा? कौन मुफ्त में राशन- पानी, पेन्शन देगा? अपना नेता और देश का भाग्यविधाता चुनते समय इतनी तुच्छ बातें और चीज़ों के बारे में सोचना अपनी तुच्छता और बुद्धि हीनता को दिखाना है! हम धरती पर क्या बोझ बनकर पड़े रहेंगे?कोई काम धंधा नहीं करेंगे।अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार काम करें और अपनी आमदनी के अनुसार खर्च करें।गाड़ी में पेट्रोल भरवाने की हैसियत नहीं है तो क्या किसी के सिर पर थोड़े भार डालेंगे!माना अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की होती है तो कुछ जिम्मेदारियों हम जनता की भी होती होगी थोड़ा उनका भी तो निर्धारण करें हम! क्या अकर्मण्यता ही हमारा अधिकार है? पढ़- लिख कर बेटा कुछ दिन में नौकरी नहीं पा लेता तो वह भी हमें बोझ लगता है फ़िर हम जीवन भर सरकारों पर बोझ क्यों डालना चाहते हैं? ©Anjali Jain #sad_shayari 19.05.24 भाग 2
#sad_shayari 19.05.24 भाग 2 #विचार
read moreदिनेश
भाग दौड़ भी जरूरी है साहब पर अपनी सेहत और अपना घर भी जरूरी है, इसके बिना मेरे दोस्त सारी कायनात अधूरी है। इस कदर सारी उम्र भाग - दौड़ में बिताओगे , क्या खोया , क्या पाया इसका हिसाब कब लगाओगे ? ©दिनेश #sunrisesunset भाग-दौड़
#sunrisesunset भाग-दौड़ #कविता
read moreDev Rishi
ऋतु के बाद फलों का रूकना डालों का सड़ना है मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है देते तरू इसलिए कि रेशो में मत कीट समायें रहे डालियां स्वस्थ और फिर नये नये फल आयें... ©Dev Rishi #रशमिरथी ,(भाग 4)
Harpinder Kaur
लेकिन वो मर्द नहीं नामर्द होता है...... जिसे माँ- बहन लगती है सिर्फ एक गाली बेहद भद्दी गाली चाहे फिर वो माँ- बहन अपनी हो या दूजे की नामर्द के लिए सिर्फ एक गाली है क्योंकि गाली में छुपाता है वो अपनी कमज़ोरी.......................... ! ©Harpinder Kaur # भाग-3....... ✍️
# भाग-3....... ✍️ #Poetry
read moreHarpinder Kaur
लेकिन पुरुष की सोच में वो हिस्सा केवल एक वस्तु है जिसे प्रयोग करता है वो गाली रूप में.... अन्य उसके द्वारा दी गई माँ - बहन की गालियाँ उसे माँ- बहन, औरत का अपमान नहीं लगती उसे लगती है अपने मर्द होने की निशानी जिसे देने के बाद वो फूलाता है अपनी छाती यूँ जैसे कोई महान कार्य को किया गया हो ©Harpinder Kaur # भाग-2...... ✍️
# भाग-2...... ✍️ #Poetry
read moreHarpinder Kaur
गाली पुरुष को लगता है कि गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है उसकी मर्दानगी है एक औरत के नाम पर दी गाली में वो अपना पौरूषार्थ समझता है माँ - बहन की गालियों को वो अपने गुस्से का सुकून समझता है वो देता है......... औरत के उस हिस्से को गाली जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है और अपना वंश बढ़ाता है ©Harpinder Kaur # भाग -1 ..... ✍️
# भाग -1 ..... ✍️ #Poetry
read moreAnjali Jain
Village Life बार बार रोकने के बावजूद जब सीता स्वयं चलने लगी तो लक्ष्मण के मन में यह विचार क्यों नहीं आया कि दोनों साथ ही चले जाएं ताकि पीछे सीता की चिंता ही न रहे । या नहीं...सब कुछ इतनी सहजता से घटित होता चला गया कि... यहाँ यह समझ में आता है कि-" होनी कितनी प्रबल और अटल होती है?" होने से पहले हमारी बुद्धि को ही हर लेती है या यह कहना भी सही नहीं है क्योंकि हमें तो जो हो रहा है या हम जो करना चाह रहे हैं उस समय की परिस्थिति के अनुसार सही ही लगता है लेकिन वही घटनाक्रम स्वतः होनी को सामने ले आते हैं जो हमें असह्य,असम्भावित व अघटित लगती है। सच है, जो होना होता है वह होकर ही रहता है।उसके आगे हम सब निरुपाय व किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं!! जय श्री राम!!! ©Anjali Jain #villagelife 24.03.24 भाग 02
#villagelife 24.03.24 भाग 02 #विचार
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Village Life श्रीमद रामायण में अभी सीता-हरण प्रसंग चल रहा है स्वर्ण मृग को पाने व लाने के लिए राम व सीता का वार्तालाप, तर्क -वितर्क इस तरह गूंथा गया है कि किसी का भी विचार या तर्क अनुचित या अनावश्यक नहीं लगा। अंततः राम का मृग के पीछे चले जाना, मारीच का बीच -बीच में "लक्ष्मण, सहायता करो" की पुकार के बाद,सीता का राम की चिंता में लक्ष्मण से संवाद, वाद विवाद,इसमें भी कोई असंगत बात नहीं। सीता पहले भी राम को भेजने के लिए आतुर, अब लक्ष्मण को भेजने के लिए व्याकुल व आतुर! हम दर्शकों के मन में भी तरह तरह-तरह के विचार व विकल्प उठते रहते हैं। राम को जब मृग की माया का पता चला तो वो उसे छोड़कर लौट क्यों न पड़े? ©Anjali Jain #villagelife 24.03.24 भाग 01
#villagelife 24.03.24 भाग 01 #विचार
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