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AnkitPalWriter
वो मजबूर थी दो रोटी, चोरी करने में, बच्चों को क्या पता ही नहीं। मां ने पैर खो दिया, उनका पेट भरने में।। ©AnkitPal writer #maa #मां #ममतामयी
insta@words from heart99
#5LinePoetry गंगा किनारे बैठा रहा में तेरे इंतजार में तू नही आई मिलने मुझसे लेकिन मेरी मां मुझे ढूंढते हुए नंगे पाव भाजी आई थी ©Yash Agrawal(The Poet) #मां #प्यार #बेटा👦 #ममतामयी #सच्ची चाहत #5LinePoetry मारुफ आलम wordsoftwinkle Vijaya Singh vivek1vivek Brown Boi
MANJEET SINGH THAKRAL
न मिले भगवान धरती आसमान में भगवान है साक्षात ममतामयी माँ में।। #मातृ_दिवस_की_शुभकामनाएं #happymothersday ©MANJEET SINGH THAKRAL न मिले भगवान धरती आसमान में भगवान है साक्षात ममतामयी माँ में।। #मातृ_दिवस_की_शुभकामनाएं #happymothersday #MothersDay2021
Vandana
जिस तरह मंदिर अधूरा है पुष्पों के बगैर, उसी तरह जीवन भी अधूरा है, ईश्वर के बगैर,,,, जगमगाती दिय की बाती वातावरण को खुशनुमा बनाती,, भांति भाति की धूप अगरबत्ती, आलौकिक एहसासों से भर देती,,, सुगंधित कर देते घर का कोना कोना, प्राणों को छू देने वाला तन मन में रक्त, प्रवाह को नये संचार भर देने, वाला चैत्र का महीना,, स्वच्छता और सजावट से महका देते अपने आशियाने को,,, शाम की संध्या में तुलसी के आगे घी का दिया जलाते,, आरती और मंत्र उच्चारण की, ध्वनि से होता नवचेतना का उद्धार, मिट जाते तन मन के विकार, जीवन में आ जाती खुशहाली,, फसलें भी खेतों में पक जाती, नवयुग नव वर्ष नव चेतना का, आगमन होता,,,,, "प्रकृति माँ स्वरूप है इसीलिए इस महीने हम माँ की पूजा करते हैं शक्ति की पूजा करते हैं प्रकृति से जो भी जन्मा है उसमें ममतामयी रूप है ईश्वरीय
Sachin Pratap Singh
“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 😢🙏 ©Sachin Pratap Singh #LataMangeshkar “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला क
Kumar.vikash18
नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी तू । कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू , कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू । कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू , कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू । कभी काली कभी ममतामयी सी तू , कभी बंजर कभी हरिता से पूर्ण सी तू ।। नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी तू । कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू , कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू । कभी सख्त पत्थर कभी मौम
साहस
तेरे पल्लू से बंधकर,बिताए दिन और राते, पूरी उम्र तूने सौंप बांट अपने सपने दी। क्या बचा उस मां का दर्शन,जिसने किए थे मर्दन,पूरी आस्था ही हमने भी दे दी।। मुझको मिलती जन्नत की खुशियाँ, माँ तेरे आँचल के तले। नहीं कोई तुमसा दूजा जिसकी, ममता में कोई निर्भीक पले।। :- काव्य पथिक Team 👉आइए आज लिखते
Luv Sharma
“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 🙏 शतः शतः नमन 🌹 ©Luv Sharma “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
हृदय आनंदित होते हैं, तेरे आँचल के तले जब आता हूँ, हर ग़म से बेगाना होकर, मैं ख़ुद को सुरक्षित पाता हूँ। भगवान भी तरसते हैं, जिनकी ममता की छाँव को, उस छाँव को पाकर मैं भी, हर दुःख को भूल जाता हूँ। मैं खुशकिस्मत वालों में नहीं, जिस पर माँ का साया हो, बस चन्द दिनों के भाग्य पर, मैं मन ही मन इतराता हूँ। मुझको मिलती जन्नत की खुशियाँ, माँ तेरे आँचल के तले। नहीं कोई तुमसा दूजा जिसकी, ममता में कोई निर्भीक पले।। :- काव्य पथिक Team 👉आइए आज लिखते