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Musafeer K S Adhikari
फुर्सत मिले तो आना.. कभी दिल की गलियों तक..! हम धड़कनों में अपनी तुम्हारा नाम सुनाएंगे..!! #लोट #आवो
ꢺᖙᎥקαk..✍
रबी की फसलों में, जानवरो का बखेरा.... अमराई की गहराई में, खेलों का डिंडोरा.... सब मीत रहे हैं गर्मी के रस में, छन भर ही सही चलो हम भी मीत जाए.... आवो फिरसे गाँव बनाए.... आवो फिरसे गाँव बनाए.... #poetry
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धर हथेली चप्पल, सर में है घमेला.... खेतो की ओर चली देखो, गाँव की महिला.... कई दिन बित गए, बिना स्पर्श कीए जमीन.... देख दिहाती शहरी बोले, हम तो है अमीर.... नई सोच है यारों, नई सोच दिखलाए, शहरों की अमीरी चलो नैका में बहाए.... आवो फिरसे गाँव बनाए.... #Poetry आवो फिरसे गाँव बनाए....
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खेतो की पकडंडिया अकसर लिजाती हमे मिलो दुर.... राहों में मिलजाते अक्सर हमे, इमली और बेरो के बुन.... सोर सराबा है इन, शहरों की गलियों में.... कई लोगों को अपनो से छिना, इन कॉन्क्रीट की गलियों ने.... नई सोच है यारों, नई सोच दिखलाए, शहरों की कॉन्क्रीट नष्ट कर, चले गांवों को फिर गोबर से लिप आए.... आवो फिर से गाँव बनाए.... #NojotoQuote आवो फिर से गाँव बनाए....
ꢺᖙᎥקαk..✍
सांझ - सबेरे सरोवर किनारे, वो पंछियों की कुह - कुहार.... घर आंगन में गोबर लेह से, बच्चों की खिल - खिलार.... भूल गए शहरी वासी, वो बच्चपन के दिन.... मित रहे शहरी बच्चे, अब आधूनीकता मे लिन.... नई सोच है यारों, नई सोच दिखलाए, शहरों की आदते त्याग कर, चलो गावों की रित निभाए.... आवो फिर से गाँव बनाए.... #NojotoQuote आवो फिर से गाँव बनाए....
Gurudeen Verma
शीर्षक - आवो पधारो घर मेरे गणपति -------------------------------------------------------------- (शेर)- तुम्हारी पूजा के बगैर गणपति, कोई काम शुरु नहीं होता है। हर शुभ काम गणपति, तुम्हारी पूजा से ही शुभ होता है।। ------------------------------------------------------------------- आवो पधारो घर मेरे गणपति। सुनकै हमारी विनती तुम गणपति।। आवो पधारो घर-----------------।। सुख- समृद्धि के हो, तुम देवता। बुद्धि और ज्ञान के हो, तुम देवता।। वक्रतुण्ड महाकाय और विघ्नहर्ता। तुम्हारा है स्वागत मेरे घर गणपति।। आवो पधारो घर-------------------।। रिद्धि- सिध्दि- बुद्धि के स्वामी हो तुम। शुभ कार्य से पहले हो, पूजनीय तुम।। सुखकर्त्ता, गणेश्वर और सिद्धिविनायक। सुनो शिव- गौरीपुत्र तुम गणपति।। आवो पधारो घर --------------------।। तुमको पसन्द मोदक- मूषक की सवारी। शुभ- लाभ- संतोषी है, संतान तुम्हारी।। कार्तिक-अय्यप्पा के तुम, छोटे भ्राता। मानो ज्योति- मनसा के बीर गणपति।। आवो पधारो घर------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #आवो पधारो घर मेरे गणपति