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Vinay Sonawane

रंग लगाके लेते हो । 
रंग, एक दुसरोपे उडाके देते हो ।
बहुरंग को अपने में समा के लेते हो ।
होली का दिन ढलने के बाद
नीला, पिला, हरा, भगवा में 
खुद को बांट लेते हो ।

©Vinay Sonawane होली का दिन ढलने के बाद ...
#होली #होळी #होली_की_हार्दिक_शुभकामनाएं #होलीकेरंग #holi

Akash Chaurasiya

तुम्हारी याद धीरे-धीरे आने लगी है लगता है अब दिन ढलने लगा है।।

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तुम्हारी याद धीरे-धीरे आने लगी है
लगता है अब दिन ढलने लगा है।। तुम्हारी याद धीरे-धीरे आने लगी है
लगता है अब दिन ढलने लगा है।।

sîdňôôr.

दिन ढलने के बाद घर से निकलने ना दिया जिस बाप ने ना जाने आज कैसे विदाई कर दी(तारो_की_छांव) में

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दिन ढलने के बाद घर से निकलने ना दिया जिस बाप ने ना जाने आज कैसे विदाई कर दी
       ____(तारो_की_छांव) में___

😢😢😢😢 दिन ढलने के बाद घर से निकलने ना दिया जिस बाप ने ना जाने आज कैसे विदाई कर दी(तारो_की_छांव) में

Bydreampost

Turn On Post Notification follow👇 LikeShare Comment Follow@bydreqmpost प्यार करने के लहज़े बदलने लगे है शायद। सच्ची मोहब्बत वाले वो दिन ढलन #Art #Food #Nature #Love #Happy #Summer #Family #Fun #Selfie #Fashion #Smile #Beautiful #friends #like4like #girl #cute #instalike #followme #prilaga #शायरी #likeforlike #instagood #photooftheday #instadaily #picoftheday #nojotophoto #repost #tbt #TagsForLikes

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प्यार करने के लहज़े बदलने लगे है शायद।
सच्ची मोहब्बत वाले वो दिन ढलन

Ankur tiwari

ढल जाता है सूरज भी दिन ढलने के साथ साथ घर के माहौल को हमने कभी ढलते नही देखा हम डांटकर सिखाते रहे बच्चो को अच्छी बातें बड़ो को कभी हमने अच्छ #friends #शायरी

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ढल जाता है सूरज भी दिन ढलने के साथ साथ
घर के माहौल को हमने कभी ढलते नही देखा
हम डांटकर सिखाते रहे बच्चो को अच्छी बातें
बड़ो को कभी हमने अच्छा बनते नही देखा
और बातें करते रहते थे जो हमसे अक्सर ही
अंजान संस्कृति, सभ्यता और संस्कारो की
उनके भीतर ही खुद कभी हमने 
उन संस्कारो को नही देखा

©Ankur tiwari ढल जाता है सूरज भी दिन ढलने के साथ साथ
घर के माहौल को हमने कभी ढलते नही देखा
हम डांटकर सिखाते रहे बच्चो को अच्छी बातें
बड़ो को कभी हमने अच्छ

Gaurav Yadav

#OpenPoetry क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे…२ क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे! में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगा, दिन ढलन

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#OpenPoetry क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे…२
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!

में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगा, दिन ढलने के बाद…२
खोलो सारे दरवाज़े और आबाद करो मुझे! #OpenPoetry क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे…२
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!

में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगा, दिन ढलन

Ajay Dudhwal

आँखें नम थी काजल का पहरा कैसे ठहरता, वहाँ बाते बस तुम्हारी हो रही थी, मैं उस महफ़िल में और कैसे ठहरता।। लारियों का आना जाना लगा रहता है, बस #Dark #शायरी

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आँखें नम थी काजल का पहरा कैसे ठहरता,
वहाँ बाते बस तुम्हारी हो रही थी,
मैं उस महफ़िल में और कैसे ठहरता।।


लारियों का आना जाना लगा रहता है,
बस तुम ही लौट कर नहीं आए हो,
दिन ढलने पर पंछी भी घर को लौट जाते है,
तो मैं उस स्टेशन पर और कैसे ठहरता।।

©Ajay Dudhwal आँखें नम थी काजल का पहरा कैसे ठहरता,
वहाँ बाते बस तुम्हारी हो रही थी,
मैं उस महफ़िल में और कैसे ठहरता।।

लारियों का आना जाना लगा रहता है,
बस

Shayaraa

क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे, क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!! में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगी दिन ढलने के बाद, खो #मिस_शायरा

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क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे, 
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!!

में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगी दिन ढलने के बाद,
खोलो सारे दरवाज़े और आबाद करो मुझे!!

मोहब्बत एक दरिया है, डूबना सभी को है जिसमे,
क्यों डरते हो मुझसे, कूदो और पार करो मुझे!!

छोड़ो सारी दुनिया को पीछे, दुनिया ज़ालिम है, 
मैं वफादार हूँ, आओ और प्यार करो मुझे!!#मिस_शायरा क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे, 
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!!

में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगी दिन ढलने के बाद,
खो

Vedantika

दिन ढलने को है अब घर लौट आओ भटकने से पहले ही घर लौट आओ पुकारते है तुम्हें ज़िंदगी के तजुर्बे पुकार सुनो और घर लौट आओ देह थक रही है फिर भी चल

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कविता
घर लौट आओ

दिन ढलने को है अब घर लौट आओ
भटकने से पहले ही घर लौट आओ
पुकारते है तुम्हें ज़िंदगी के तजुर्बे
पुकार सुनो और घर लौट आओ

(अनुशीर्षक में पढ़े )
 दिन ढलने को है अब घर लौट आओ
भटकने से पहले ही घर लौट आओ
पुकारते है तुम्हें ज़िंदगी के तजुर्बे
पुकार सुनो और घर लौट आओ

देह थक रही है फिर भी चल

Vedantika

दिन जैसे जैसे ढल रहा था वैसे-वैसे उसकी चिंता बढ़ रही थीं। वो चाहती थीं कि दिन ढलने से पहले वो अपने घर के अंदर महफूज़ हो जाए लेकिन ऐसा करना उसक

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एक अनजान सी कशमकश
एक बदनाम कहानी 

(पढ़े अनुशीर्षक में) दिन जैसे जैसे ढल रहा था वैसे-वैसे उसकी चिंता बढ़ रही थीं। वो चाहती थीं कि दिन ढलने से पहले वो अपने घर के अंदर महफूज़ हो जाए लेकिन ऐसा करना उसक
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