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Stories related to sipai revolt

    LatestPopularVideo

Sipai Abbas

sipai Abbas killer boy #Shayari

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એના માટે મને માન        હતું,
પણ એને થોડુક અભિમાન હતું !!
sipai Abbas sipai Abbas killer boy

YASHVARDHAN

#Revolt 💞 #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz हम वर्षों पुरानी सड़ांध मारती
व्यवस्था से क्यों नहीं निकल पा रहे हैं,
दुनिया की हर एक लड़की मेरी उम्मीद है,और 
मैं चाहता हूँ कि 
उस व्यवस्था को बदलने की 
शुरुआत तुम करो,
क्योंकि पुरुष को अपने पुरुषत्व का अहंकार है और 
वो ये बदलाव कभी नहीं चाहेगा ... 

                                                  --YASHVARDHAN #revolt 💞

Sipai Abbas

sipai Abbas killer boy #Shayari

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બહુ અજીબ છે તારી યાદો પણ,
ક્યારેક હસાવે તો ક્યારેક રડાવી દે છે !!

sipai abbas sipai Abbas killer boy

Mahesh Dubey

Leveen bose

Educate! Empower!
(ReVolt)
ReVote! #educate #empower #revolt

Suhail Amrohvi

और सब भूल गए हर्फ़-ऐ-सदाक़त लिखना
रह गया काम हमारा ही बगावत लिखना

©Alffaaaazzz #word_of_truth
#revolt

#vacation

Arunima Anant

Revolt!! #yqbaba #yqtales #yopowrimo

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Words came to rescue of the broken soul
And thus began a rhyming reverie to say the untold 
The worldly life is a mask on broken  dreams 
Poetry brings out the strife that's often unseen 
I couldn't stand against the wishes that have suffocated me night and day
The lyrical revolt is my answer to 'what will the world say' Revolt!! #yqbaba #yqtales #yopowrimo

BIDISH GOSWAMI

फासीवाद

फासीवाद सिर्फ तभी नहीं
जब ज़ुल्मो से अपना केहर छा दू,
तब भी तो कहलाएगा ये
खुद को जब मैं खुदा मान लू।

फासीवाद सिर्फ तभी नहीं
जब कानून का मज़ाक बनाता हूं,
तब भी तो कहलाएगा ये
जब बलात् नए कायदे अमल में लाता हूं।

फासीवाद सिर्फ तभी नहीं
जब मैं भाषण देने जाता हूं,
तब भी तो कहलाएगा ये
जब आवाज़ उनकी बंद करवाता हूं।

फासीवाद सिर्फ तभी नहीं
जब में गिद्ध की तरह शिकार करू,
तब भी तो कहलाएगा ये
जब तहजीब अपनी महान और बाकी सब तुच्छ कहूं।

फासीवाद सिर्फ तभी नहीं
जब में बस तबाही पे उतर आऊ,
तब भी तो कहलाएगा ये
जब मैं इन तरीकों को पावन पाऊं।
 #फासीवाद #fascism #anti #revolt 
#raiseyourvoice

MISS QUEEN

Ben Beck

#Santhalhul Celebrating 166th anniversary of Santhal Revolt

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संथाल हूल 
खो गई है आदिवासियों की एकता,भूल गए हैं करना हूल,
अपनी ही स्वर्णिम इतिहास से है अनजान, भूल जो गए है 1855 की संथाल हूल।

यह है अमर कहानी, ऐसी जो ना दोबारा होनी,
अनगिनत वीर, वीरगनाँए ऐसे जिसके नहीं कोई सानी,
बचपन से ही आजादी के थी जो दीवाने,
आजादी के असली मायने,उन्होंने ही तो थे जाने।

बात है 1832 के दामिन-ए-कोह की,
अपनी ही जमीन पर कर्ज चुकाने की,
अंग्रेजों के अत्याचारों से होकर त्रस्त,
थक हार के, हो गए थे सभी पस्त।

सूझ नहीं रहा था किसी को भी हल,
अपनी भूमि पर कर्ज देकर चलाते थे हल,
भरकर पूरे जोश में, संथालों ने किया हूल,
ठान लिया, एकत्र होकर सब ने बजाया बिगुल।

सिद्धू,कान्हू, चाँद, भैरव, फूलो, झानो ने,
उठाया बीड़ा, करने नेतृत्व सबलोगों का,
30 जून 1855, को संथालो ने भरा हुँकार, किया हूल,
अंग्रेजों को भी लगा डर, हो गए वो भी गुल ।

थे नहीं हथियार, तीर- धनुष- भालों से किया सामना, 
गोलीबारी- तोप के सामने भी जान देने से ना किया मना,
जानते थे कि मार दिए जाएंगे, फिर भी रहे डटे,
आजाद भविष्य के लिए नहीं किया समझौता,पीछे ना हटे।

दिया अपना प्राण- बलिदान, बना दिया खुद को ही नींव,
बनाने आदिवासियों का आधार, आजाद भविष्य के जीव,
बढ़ाया मान, बनाया कीर्तिमान आदिवासियों के नाम,
मगर हम तो गए भूल,ना सीख पाए उनके मूल-मंत्र जो थे बड़े काम के।

हमने सिर्फ बनवा दी चौक-चौराहे,उनके नाम की मूर्तियाँ,
केवल करते है नाम के लिए याद,पहनाने के लिए माला, सिर्फ खानापूर्तियाँ,
आखिर कब सीखेगें हम उनसे सामुदायिकता, जीने की कला,
एकत्रित रहने का ढंग, प्रकृति से सामंजस्य की कला?

हम कहते हैं खुद को आधुनिक, 
यथार्थ से बेखबर, वे (हमारे पूर्वज) तो थे गुणों के धनिक, 
खो गई है आदिवासियों की एकता,भूल गए हैं करना हूल,
अपनी ही स्वर्णिम इतिहास से है अनजान, भूल जो गए है 1855 की संथाल हूल।

©Ben Beck #Santhalhul
Celebrating 166th anniversary of Santhal Revolt
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