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कवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य संस्थान 30/04/2024 ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता मत मांगो खालिस्तान ये पूरा हिंदुस्तान तुम्हारा है
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसमें बांटके नफरते *दरकारें नहीं चलती//२ *तास्सुब न कर,गर इक सुखनवर बेबाक कहदे के हक बात में हुजूर फटकारें नहीं चलती//३ बेबस चश्म में अश्को के बेशुमार अंबार लिए, ऐसी *आहफुगा की हुकूमत हमारे नही चलती//४ "शमा"ये तख्ते हिंदुस्तान है,इसपे किसी एकतरफा *नाअदल नवाब की दरबारे नही चलती//५ #shsmawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ramnavmi *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ *जनतंत्र*जनता सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसम
Pinki Khandelwal
होली.... आया आया फागुन मास, छा गई रंगों की बौछार, रंग बिरंगे रंगों से, रंग रहा हिंदुस्तान, मिलो दो उसमें थोड़ी प्यार की मिठास, तो छा जाए चारों तरफ हर्षोल्लास, आ गया होली का त्यौहार, सब हो गये रंग लगाने को बेकरार, तो क्यों न करें इस बार कुछ अनोखा, रंगों की जगह, मिला दें अपनेपन की खुशबू, और घुल मिल जाए, प्यार के, खुशी के रंगों में, और मनाए सबके साथ ये पर्व, न हो जहां कोई, बड़ा या छोटा, न गोरा या काला, सब रंगे हो प्यार के रंगों में, और मिल कर बनाए ये त्यौहार, और भूल जाएं सब मनमुटाव, और रंग जाए मस्ती के रंगों में, जहां न कोई तकरार, और सब हो जाए, फिर एक साथ। ©Pinki Khandelwal होली.... आया आया फागुन मास, छा गई रंगों की बौछार, रंग बिरंगे रंगों से, रंग रहा हिंदुस्तान, मिलो दो उसमें थोड़ी प्यार की मिठास, तो छा जाए चा
Devesh Dixit
अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से मिल रही, खबर देख हर बार।। कई तरह के जुर्म हैं, जिसको दें अंजाम। बिना डरे ही ये करें, दहशत वाले काम।। जीना ही दुश्वार है, शैतानों के बीच। कर्म करें ये कौन सा, जाने कैसे नीच।। अपराधों से है भरा, देख आज अखबार। कितनों की गिनती करें, छोड़ें भी हर बार।। प्रेम जाल में जो फंँसी, हो श्रृद्धा सा हाल। अपराधों में यह जुड़ा, हुआ देख विकराल।। सख्त हुआ कानून है, फैंका ऐसा जाल। मुजरिम को फिर है धरा, खींची उसकी खाल।। न्याय मिले जब देर से, परिजन हैं लाचार। अपराधी हैं घूमते, पीड़ित करें गुहार।। न्याय प्रणाली चुस्त हो, अपराधी भयभीत। जुर्म मिटे तब हों सुखी, तभी मिले फिर जीत।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अपराधों_की_श्रृंखला #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से