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Parasram Arora

धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ

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कोई  पुरखो को   पानी  पहुंचा  रहा हैँ  कोइ गंगाओ मे  पाप  धो रहा हैँ   कोई  पथर की प्रतिमाओं  के सामने  बिना भाव  सर  झुकाये बैठा हैँ 
धर्म  के  नाम पर  हज़ार  तरह  की मूढ़ताएं  प्रचलन मे हैँ धर्म से  संबंध तो   तब होता हैँ जब  आदमी  जागरण की  गुणवत्ता  हासिल कर लेता हैँ  
जहाँ  जागरण  होगा  वहा अशांति  कभी  हो ही नहीं सकती  
क्यों कि  जाग्रत  आदमी  विवेकी  होता हैँ      इर्षा  क्रोध  की  वृतियो  से  ऊपर  उठ  चुका होता हैँ औदेखा  जाय तो  धर्म औऱ  शांति पर्यायवाची  शब्द  हैँ धर्म  औऱ  शांति...... पर्यायवाची  शब्द हैँ

Parasram Arora

यथार्थ का सामना?

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Bharat Ratna संशय का  दमघोटू  धुआँ  छाया  हैँ   वातायन पर 
तुम स्वछ  स्वस्थ  साँसे   लोगे  कैसे?  
और  जब  आँखे    तुम्हरी  जलने  लगेगी  धुए से 
तुम  अस्तित्व  का ये  अघोर   विस्तार  देखोगे कैसे?  
तनिक देखो  तो  उस  अजनबी  को   अपने  दर्पण मे
जो  तुम्हारी   बखिया  उघाड़ने मे  निरंतर व्यस्त  हैं 
तुम  उससे  आँख  अपनी  मिलोगे कैसे?  
क्या होगा  तुम्हारे  उन  अनुरागी   सपनो का 
जो तुम्हे   और  आगे  धकाने को  ततपर  हैँ  किन्तु 
आचरण  तुम्हारे  उन्हें  तुमसे   दूर  ले  जाते हैँ
खंड  खंड  चेहरे से  तुम उस  यथार्थ का   सामना  करोगे  कैसे? यथार्थ  का  सामना?

Parasram Arora

जीवन का यथार्थ #विचार

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अब न कोई यात्रा है 
न कोई तीरथ
अब तो मैं ही अपना मंदिर हूँ.
मैं स्वयं ही अपना तीर्थ भी
मेरा प्रारम्भ ही मेरा अंत भी
कदाचित जीवन का यथार्थ
मैं  समझ गया हूँ

©Parasram Arora जीवन का यथार्थ

Parasram Arora

#अकेलेपन का यथार्थ.......

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ये  अकेलापन 
कोई दोज़ख का  अभिशाप नहीं  है 
ये  तो   ज़न्नत  का  वरदान  है 
ताकि  तुम  उससे  जुड़  सको  जो 
अब तक  तुमसे  जुड़ा नहीं था 
ये  अकेलापन  तुम्हारी ही प्रतिछाया  है 
तुम्हारा ही  प्रतिबिम्ब है  जो तुम्हारे ही  आईने से 
प्रकट होकर तुम्हारी   ही  समृद्दि  की 
अभिवृद्धि  है  t
अब  देखलो  तुम  स्वयं को क़ि 
तुम कितने   संयत   अचंचल और  सजग  हो  
चुके हो  और  अपने ही तराज़ू . मे  खुद को  
तोल  पारहे हो जहाँ    तुम  दोनों पलड़ों मे 
यथार्थ. का वजन    बराबरी  पर देख 
पा रहे हो

©Parasram Arora #अकेलेपन का  यथार्थ.......

Parasram Arora

अकेलेपन का यथार्थ

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अकेलेपन की  गहन  प्रतीती  मे छुपी  हुईं  है  मुक्ति 
यही है  वो जगह  जहाँ  मिल  सकती है   
हर पहेली को  सुलझाने   की  युक्ति अकेलेपन  का  यथार्थ

Shravan Goud

काश शब्द यथार्थ से परे है।

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काश शब्द यथार्थ से परे है। हम चाहे तो उसे सार्थक कर सकते हैं पर समय चलें जाने के बाद उसकी अहमियत कम हो जाती है। काश शब्द यथार्थ से परे है।

Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

Nandita Tanuja

#dodil #समय का यथार्थ# #कविता

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Sanjay Kumar Jha

#HumptyKavya जीवन का यथार्थ #विचार

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manoj kumar jha"Manu"

धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

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धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम।
धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।।

सुधा दे रही है वसुधा हमें तो,
भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।।

"भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"*
वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।।
(स्वरचित)
* माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
(अथर्ववेद १२/१/१२)

 धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
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