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Saket Ranjan Shukla
New Year 2024-25 अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं नई उमंगों से भर कर चलो हम भी नए से हो जाते हैं, नए सपने संजोकर, उनमें उड़ान के नए पर लगाते हैं, करते हैं शुरुआत नए सफ़र की नए से कदम बढ़ाकर, नए से रास्ते तलाशकर उनमें नए तरीके से खो जाते हैं, जो बीत गई वो बात गई, मन में कड़वाहट रखना क्यों, आपसी अनबन भूल, रिश्तों को नई यादों से सजाते हैं, ये नया साल संग अपने, ढेरों नई-नई चुनौतियाँ लाएगा, स्वयं को कर नवजागृत, अंतर्मन में नई उत्साह जगाते हैं, किया परास्त मुश्किलों को, हारे भी कई दफा गत वर्ष हम, पराजय से ले सबक नए, स्वयं को नए सिरे से आजमाते है, प्राप्त करनी हैं अभी नई-नई ऊँचाईयाँ और नई कई मंजिलें, नवीन स्वप्नों के किलों पर नवीन विजय पताकाएँ फहराते हैं, जैसा बोया वैसा काटा, जैसा काटा वैसा पाया और खपाया, अब नए स्वेद से सिंच अपनी कर्मभूमि, नई फसल उपजाते हैं, नए-नए प्रयोग कर जीवनशैली पर अपनी, नए गुर सीखेंगे हम, नई स्याही ले नई विचारधारा की, आओ नया इतिहास बनाते हैं, इस नएपन में संभवतः कुछ नई घबराहटें भी हृदय को सताएंगी, जीवन रणभूमि में बिछाते हैं नई बिसात, नई रणनीति अपनाते हैं, शीतलहर की चादर ओढ़े, सूर्यदेव भी आज नवीन किरणें बिखेरेंगे, तो चलो लेकर नए संकल्प लक्ष्य प्राप्ति के सहृदय नववर्ष मनाते हैं। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla 🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻 . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻 . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
read moreSmruti Ranjan Mohanty
White ଯାତ୍ରା-25 ବାପା କିଛି ଦେଇନି ତମକୁ ଅବା କି ଅର୍ପିବି ଯାହା ପାଶେ ଜୀବନସାରା ହାତ ପତେଇଲି ଈଶ୍ୱରଙ୍କୁ କଅଣ ବା ପାରିବି ଦେଇ ଦୁଇ ହାତ ଟେକି? ଭାବେ କେବେ କେବେ କିଛି ଅର୍ପଣ କରିବାକୁ , ପ୍ରଳମ୍ବିତ ହାତ- ସନ୍ତର୍ପଣ ସଂକୋଚରେ ଫେରିଆସେ ପଛକୁ; ବାପା!! କାଳେ ତୁମେ କ'ଣ ଭାବି ବ ନି ତ!! ତମ ଛାଇ ତଳେ- ନିଘୋଡ଼ ନିଦରେ ନିଜକୁ ହଜେଇଥିବା ଅକିଞ୍ଚନ,ମୁଢ଼ ମଣିଷଟିଏ ମୁଁ- ଭୁଲି ଯାଇଥିଲି- "ଛାଇ ଛାଇ ଖୋଜେ ଶାନ୍ତିରେ ନିଶ୍ୱାସ ମାରିବାକୁ!" ତମ ନଭାଶ୍ଚୁମ୍ବୀ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ୱ ପାଖରେ ନିଶବ୍ଦ ହେଇଯାଇ ଥିବା ମୁଁ ପାରୁନି ଭାବି: "ଆକାଶ କି ସତେ ଖୋଜେ ମାଟି-ସ୍ପର୍ଶ, ଇପ୍ସିତା ଜହ୍ନ ଲୋଡ଼େ ପାପୁଲିର ନିବିଡ଼ ଆଶ୍ଲେଷ !" ମନକୁ ବୁଝାଏ, କଣବା ମୁଁ କରି ପାରିଥାନ୍ତି? ମୁଁ, ମୋ ସ୍ଥିତି, ଅବସ୍ଥିତି, ମୋ ଚାରିପାଖ ପୃଥିବୀ ସବୁତ ତମ ଅତୀତର କର୍ମ ଭୂମି: ସବୁକିଛି ତୁମ ତମ ସାଧନାର ମନ୍ଦାକିନୀ। କ୍ଷୁଦ୍ର ଏକ ଖୋଦ୍ୟୋତ ମୁଁ; ସୂର୍ଯ୍ୟକୁ ଆଲୋକିତ କରିବାର ଧୃଷ୍ଟତା ନଥିଲା, ନଥିଲା ସ୍ୱର୍ଗକୁ ନିଶୁଣି ବାନ୍ଧିବାର ଆସ୍ପର୍ଦ୍ଧା ; ଅବସୋସ ରହିଗଲା କେବଳ ସରାଗରେ ଆଞ୍ଜୁଳାଏ ପାଣି ଟେକି ପାରିଲିନି, ଅହରହ ଜଳିପାରିଲିନି - ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର ଦୀପଟିଏ ହେଇ, ତମ ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତରେ ନିରବ ସାଥିଟିଏ ହୋଇ। ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି© 20.10.2022 All copyrights reserved https://smrutiweb.wordpress.com/2022/10/20 ©Smruti Ranjan Mohanty #Sad_Status ଯାତ୍ରା-25 ବାପା କିଛି ଦେଇନି ତମକୁ ଅବା କି ଅର୍ପିବି ଯାହା ପାଶେ ଜୀବନସାରା ହାତ ପତେଇଲି ଈଶ୍ୱରଙ୍କୁ କଅଣ ବା ପାରିବି ଦେଇ ଦୁଇ ହାତ ଟେକି?
#Sad_Status ଯାତ୍ରା-25 ବାପା କିଛି ଦେଇନି ତମକୁ ଅବା କି ଅର୍ପିବି ଯାହା ପାଶେ ଜୀବନସାରା ହାତ ପତେଇଲି ଈଶ୍ୱରଙ୍କୁ କଅଣ ବା ପାରିବି ଦେଇ ଦୁଇ ହାତ ଟେକି?
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White हर आवारा बर्बाद नहीं होता हम न ठहरते सफ़र में कहीं तो ये फसाद नहीं होता, सब सही ही रहता अगर ये दिल आज़ाद नहीं होता, करके गलती ये मुसाफिर को ही हमसफ़र मान बैठा, फूटे हैं करम बस हमारे, हर आवारा बर्बाद नहीं होता.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla हर आवारा बर्बाद नहीं होता.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
हर आवारा बर्बाद नहीं होता.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
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