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Seema Katoch
गुबार सा है सीने में जो छंटता ही नहीं लंबा है सफर इतना कि कटता ही नहीं ज्वार भाटा सा उठता है दिल के समंदर में तेरी यादों का चांद है की घटता ही नहीं,,,,, गुबार सा है सीने में जो छंटता ही नहीं लंबा है सफर इतना कि कटता ही नहीं ज्वार भाटा सा उठता है दिल के समंदर में तेरी यादों का चांद है की घटता
सुसि ग़ाफ़िल
कुछ भी नहीं है पास मेरे शिवाय तन्हाई का साथ मेरे अजीब सी उलझन मन में चले ना वक्त चले यह साथ मेरे है पानी यहां पैरों के नीचे आंसू शुष्क सैलाब मेरे ज्वार भाटा सा आए मन में नाव अंधेरों के साथ मेरे मिट्टी के बर्तन का काम मेरा मैं रखे बैठा हाथ पर हाथ मेरे हकीकत के पहिए फंसे पड़े ना रास्ता दिखे साथ मेरे | कुछ भी नहीं है पास मेरे शिवाय तन्हाई का साथ मेरे अजीब सी उलझन मन में चले ना वक्त चले यह साथ मेरे है पानी यहां पैरों के नीचे आंसू शुष्क सैल
Yogita Sahu
दाई लानीस बटकर अड़बड़ सुहाथे बड़ नीक लागे बटकर धनहा खार के । दाई के राँधे गजब मिठाइस गोंदली फोरन डार के। आलू डारेन भाटा डारेन अऊ डारेन सेमी टोर के। संग मा डारे हन बटकर खेत ले लानेन बटोर के। का लखाड़ी का राहेर के रान्धेन साग छिल के।(बटकर) टमाटर अऊ मिर्चा डारेन सिल लोडहा मा पिस के। गुरतुर लागे साग हा तोरे रांधेन चूक चूक ले । ललचाय भगवान हा घलो देखे छूप छूप के। साग के लालच मा सबों बैठेन पालकी मोड़ के। दू कौरा उपराहा खइस बबा ह आज दमोर के । खायेन हमन बाट बिराज साग ला चिक्कन रपोट के। रचनाकार_ योगिता साहू ग्राम _चोरभट्ठी,पोस्ट_ बागोद, जिला _धमतरी ,छत्तीसगढ़ ©Yogita Sahu दाई लानीस बटकर अड़बड़ सुहाथे बड़ नीक लागे बटकर धनहा खार के । दाई के राँधे गजब मिठाइस गोंदली फोरन डार के। आलू डारेन भाटा डारेन
Seema Katoch
धुली - धुली, खिली - खिली निर्मल सी, पूनम की चांदनी तुम...... अपनी दोनों बाहों को फैलाए, हौले से मुस्कुराकर..... जब मुझे अपने पास बुलाती हो... तो मैं....समुद्र सा खुद को समेट खिंचा चला आता हूं तुम्हारे पास.... मिलने को व्याकुल पाने को आतुर.... अपना सब अहम त्याग, बिल्कुल निसहाय और निर्बल.... PC Pinterest 💞 Full moon ,,, पूर्णिमा का चांद और समंदर,,,ज्वार भाटा,,,, 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 थोड़ा सा विज्ञान,,,,पूर्णिमा के चांद का गुरुत्वाकर्षण बल
Neena Jha
ज्वार-भाटा वो इश्क़ की लुका छुपी बहुत हुई, सहसा ठहर जाती है धड़कन, तुझे न पाकर कहीं, माना लहरों की साहिल से तकरार ज़रूरी है, मग़र है सूरज चाँद के बग़ैर ये मोहब्बत अधूरी, साँझ सकारे तू मौजूद है पल-पल के सफ़र में, इस बात को यूँ ही हल्के में न लेना कहीं, हाथों का हाथों को थामना, चादर पर तेरी सिलवटें, ख़्वाबों में मौजूदगी मेरी, देती हकीक़त में रोज़ गवाही, लहर तुझमें उठती है तो क्या, मेरी पलकों पर एक नज़र तो डाल, न हर ज्वार भाटा थाम ले ये अंदाज़, तो बात रही! नीना झा संजोगिनी ©Neena Jha #Chhavi #Neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ शारदे 🙏 विषय... ज्वार-भाटा वो इश्क़ की लुका छुपी बहुत हुई, सहस
Anuj Ray
प्रकृति के यौवन के, खिलते हैं जैसे उपवन में फूल । ठीक वैसे ही लगते, अधर तुम्हारे, चढ़ते यौवन के शूल। ©Anuj Ray # प्रकृति के यौवन के..