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Anupama Mishra
राज़ कुछ राज छुपाए बैठी हूं कुछ बात बताए बैठी हूं तेरे आने के बाद मैं एक अरमान सजाए बैठी हूं तू देगा साथ मेरा हरदम ये आश लगाए बैठी हूं तू साथ मेरे चले जिस पर वो राह बिछाए बैठी हूं जो राज मेरा कभी सुन ले तू हमराज वही बन जाना तू खुद को ये ख्वाब दिखाए बैठी हूं कुछ अश्क बहाए बैठी हूं मुस्कान भुलाए बैठी हूं!! कुछ राज छुपाए बैठी हूं!! #nojotohindi #nojotoshayari #nojotoquotes #nojotopoetry
कुछ राज छुपाए बैठी हूं!! #nojotohindi #nojotoshayari s #nojotopoetry #nojotoquotes
read moreAnand Singh
सबको जल्दी थी उसको जलाने मे | ईक मा ही थी जो पगली कफन छुपाए बैठी थी |
सबको जल्दी थी उसको जलाने मे | ईक मा ही थी जो पगली कफन छुपाए बैठी थी | #Poetry
read moreKamlesh Mathur
#होठों पर #हसी #ऑंखों में #राज़ छुपाए बैठी हो कुछ बात है क्या जो #नज़रें झुकाए बैठी हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, #story_telling Story_Onlin #प्रेरक #Story_Online
read morePankaj Singh Chawla
(Read in Caption) "अकेलेपन का दर्द" तुम्हें कैसे पता होगा? है ना!... ह्म्मम, तुम तो कभी अकेले रही ही नही ना, कभी अकेले रहना पड़ता तो मालूम पड़ता, तुम तो खुद कहत
"अकेलेपन का दर्द" तुम्हें कैसे पता होगा? है ना!... ह्म्मम, तुम तो कभी अकेले रही ही नही ना, कभी अकेले रहना पड़ता तो मालूम पड़ता, तुम तो खुद कहत #Pain #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #pchawla16 #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #अकेलेपनकादर्द
read moreGondwana Sherni 750
अकेले बैठी बैठी मै सोचू...... अकेले बैठी बैठी मै सोचू होती मै समंदर तो लहरों सी उठती होती मै पंछी तो आसमान मे उड़ती होती मै फूल तो भंवरो की गीत सुन पाती मै भी पेड़ बन कर दूसरो को फल दे पाती तालाब की मछली होती तो यू ही उछल उछल कर पानी में नाचती घूम घूम कर मै सरमाती ओर मोरो की तरफ बारिश में पंख फैला कर नाचती palli 13/02/21 ©Preeti uikye अकेले बैठी बैठी मै सोचू #allalone
Ahamad naved
हर गम छुपाए बैठे है, तुम्हे आंखों में बसाए बैठे है, बड़ी तमन्ना थी,आप को गले लगाने की, मगर जब तुम पास नही हो,तो तकिया को ही गले लगाए बैठे हैं। ©Ahamad naved हर गम छुपाए,,,,
हर गम छुपाए,,,, #शायरी
read morePrashant Mishra
एक लड़की थी सारी उमर, बंधके ओहदे में बैठी रही मुझको तनहाइयाँ बख़्स कर,खुद वो मजमें में बैठी रही उसके दीदार को मुन्तज़िर हैं निगाहें हमारी बहोत उसने क्या सुन लिया था कि वो छुपके परदे में बैठी रही अपना चैन-ओ-सुकूँ भूलकर महज मेरी खुशी के लिए एक माँ थी जो सारी उमर सिर्फ सज़दे में बैठी रही --प्रशान्त मिश्रा बैठी रही....
बैठी रही....
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