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iamkr✍️
ग़रीबी की क्या ख़ूब हँसी उड़ाई जा रही है, 1 रोटी देकर 100 तस्वीर खिंचाई जा रही है । kr ग़रीबी की क्या ख़ूब हँसी उड़ाई जा रही है, 1 रोटी देकर 100 तस्वीर खिंचाई जा रही है ।
~anshul
मेरी तस्वीर पर नहीं जाना मैंने हस्ते हुए खिंचाई है #अंशुल मेरी तस्वीर पर नहीं जाना मैंने हस्ते हुए खिंचाई है saheli shayer 🙂 Pooja Singh Kaju Gautam Pragati Jain Shivangi Bist
Akib Javed
देश में जो चली ग़म की हवाएं, कोई तो रुख़ अब मोड़ो भाई। دیس میں جو چلی غم کی ہوائیں کوئی تو رک اب موڑ بھائی बीच में लाइन खिंचाई जब से, जां के दुश्मन बने भाई - भाई। بیچ میں لائن کھچائی جب سے جاں کے دشمن بنے بھائی بھائی ©Akib Javed देश में जो चली ग़म की हवाएं, कोई तो रुख़ अब मोड़ो भाई। دیس میں جو چلی غم کی ہوائیں کوئی تو رک
Shubham Saxena
Anamika Nautiyal
देखो इस नटखट पर किसका दिल आया है देखें तो सही किसने मेरे भैया का दिल चुराया है Dedicating a #testimonial to संजय गुप्त यह है मेरे संजय भैया बंशी बजाए जैसे कन्हैया पहेली काव्य इनकी शान हैं Yq की ये जान हैं
Shubham Saxena
ज़िंदगी के सफर में कहाँ आ गए, कमाने को पैसे ,हार घर आ गए। वो बचपन की यादें, वो यारों की बातें, मां का दुलार और पापा की डाँटें, भाई की खिंचाई हम करते थे जब भी, भुलाके ये यादें हम खता खा गए ज़िन्दगी के सफर में कहाँ आ गए..... वो आंखों में उसकी थीं मस्ती हज़ारों, लगती थीं सागर उन्हें जब जब निहारो, डूबे थे जिनमें हम दरिया के कारण, गमों के ये कैसे घटा छा गए, ज़िन्दगी के सफर में कहाँ आ गए..... वो माँ की मोहब्बत और हाथों का खाना, उन्हें तंग करके फिर उनको मनाना, वो रूठें तो उनसे खुदही रूठ जाना, छोड़कर हम ये लम्हे आज पछता गए, ज़िन्दगी के सफर में कहाँ आ गए.. ज़िंदगी के सफर में कहाँ आ गए, कमाने को पैसे ,हार घर आ गए। #ZindagiKeSafarMe #ShubhamKiKalamSe ✍️ ज़िंदगी के सफर में कहाँ आ गए, कमाने को पैसे ,हार घर आ गए। वो बचपन की यादें, वो यारों की बातें, मां क
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
बाजार में इश्क का रेट अभी हाई है, मुफलिसी में जीने का जरिया ही तन्हाई है। शीश महल वालों खुद पर गुरुर करते रहो, मेरा रंग महल मेरी खंडहर सी लुगाई है। खटिया खड़ी करने में मशगूल ज़माने से, कैसे कहूं मेरी तीन टांग की चार पाई है। प्यार का फलसफा गले मिल कर भी अधूरा रहा, मुक्कमल करने के लिए ज़रूरी टांग खिंचाई है। ख़ुद की हार जीत के गमों जुनून से अलग, ज़माने में जमूरों संग हमने तालियां बजाईं हैं। मक्खन लगाने वालो का कद इस तरह हाई हुआ, चौराहों से गायब होने लगी सरपेटे की मलाई है। मेरी महबूब तेरी शरवती आंखों की कसम, कुंआ मिला इसी में, खांयी इसी में पाई है। जब भी आता हूं घर में तुम धधक रही होती, कैसे कहूं कि बाहर सियासत बहुत गरमाई है। दोस्तों क्या दोष दे इस दौर को ज़माने को, मुझे ही बौना समझने लगी मेरी ही परछाई है। ©Ankur Mishra बाजार में इश्क का रेट अभी हाई है, मुफलिसी में जीने का जरिया ही तन्हाई है। शीश महल वालों खुद पर गुरुर करते रहो, मेरा रंग महल मेरी खंडहर सी ल
Mohit Mudita Dwivedi
Happy Children Day Happy Children Day उम्र 0 समाज क्या कहेगा अभी शादी भी नहीं हुई है गिरा दो पेट से कम से कम हमको राहत मिलेगी अरे ! लड़
Asha Giri
कहा मैंने ज़ोर देकर पति देव को, गाड़ी लेंगे तो बुलेट ही,वरना देखो। शोरुम पहुँचे तो पता चला, वेटिंग लिस्ट में अपना नाम है भाई, पतिदेव ने ये बात सुन,गुस्से में अपनी बौंहे चढाई। कहा काम पर मैं रोज़ कैसे जाऊँगा? रिक्शा की लाईन में खड़ा हो क्या समय गवाऊँगा? पुरानी गाड़ी तो बिकवा दी,नयी गाड़ी के चक्कर में, अब कहती हो फोर व्हीलर ले जाओ,मुंबई के ट्रैफिक में मैंने भी बात मान उनकी,दूसरी गाड़ी के लिए हाँ कर दी लेकिन बुलेट की सवारी,अब भी दिमाग से ना उतरी। कहा पतिदेव से भाँजे की बुलेट ही माँग लाओ, बैठ उसपे घूम आँऊ,थोड़ा मन शाँत कर पाँऊ।। खुद भी बैठ चलाई, फोटो वोटो भी खिंचाई, लेकिन प्यार बुलेट के लिए अब तक दिल से ना निकाल पाई।। "बुलेट" की सवारी, लगती है सबको न्यारी। करते है सब मेहनत और चलाने की तैयारी। "आईए जुगलबंदी कीजिये इस वाहनात्मक छवि व वाक्यांश के साथ और बताई
Asha Giri
प्यारे पतिदेव 🤵💕💞 मेरी टाँग खिंचाई में आनंद सबसे ज्यादा उन्हें आता है, पलटकर गुस्से में दो शब्द कहूँ तो हँसना मुझ पे पसंद आता है। क्या पतिदेव सभी के ऐसे ही हो