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Anamika Nautiyal
सुर्ख रंग उदासी का जम गया है मुझ पर, मानो होली का कोई पक्का रंग जो छूटे ना। खनकती मुस्कान अब बीते हुए ज़माने की बात हो गई है, तुम्हारे बाद मेरी जाने कितनी रातें तन्हाइयों में गुज़री है। यादें फिर आती जाती रहती हैं किसी टिमटिमाते तारे की तरह , कभी ज्यादा तो कभी कम बस एक एहसास दिलाती रहती हैं। टटोलती हूँ ख़ुद को ख़ुद के ही भीतर जाने किस चीज की तलाश में, पाती हूँ क्या, कि एक महज़ आँखों में आँसुओं की जमी हुई नदी। भावनाशून्य सा हो गया हृदय गोया कि कोई पहाड़ हो, कंपकंपाते हुए से हाथ किसी झरते हुए झरने के मानिंद। एक ही चीज़ है अब जो ताउम्र मेरे साथ रहने का वादा कर रही है, चंद बातें पुरानी और यह उदासी जिसका लिबास ही मुझको भाता है। #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #midnightthoughts #latenightthoughtbazaar #उदासी
Anamika Nautiyal
प्रिय , तुम्हारे एक वादे पर यदि मैं जीवन भर तुम्हारे लिए प्रतीक्षारत रहूँ , तो इसे बहुत अधिक ना समझ लेना । मैंने देखे हैं सदियों से प्रतीक्षा करते हुए धरती और आसमान। बिना किसी वादे या फिर किसी शर्त के जाने कितने युगों से एक दूसरे से मिलन की प्रतीक्षा कर रहे हैं प्रिय प्रतीक्षा करना प्रेम सिखाता है... या प्रतीक्षाएँ प्रेम सिखाती हैं मैं द्वंद्व में हूँ आज! #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #द्वंद #प्रतीक्षा #अनाम_प्रेम #lettersforप्रिय
Anamika Nautiyal
अनगिनत दीवारें खड़ी हैं हमारे चारों ओर जो दिखाई नहीं देती मगर अनुभव की जा सकती हैं उनकी ऊँचाइयाँ। जिससे होकर नहीं देखी जा सकती नई कल्पनाएँ , नए स्वप्न और नया जीवन । फिर कुछ विद्रोही चिंगारियाँ तोड़ डालती है इन अदृश्य दीवारों को नव साम्राज्य स्थापित करने के लिए। #rzmph #rzmph35 #दीवार #अनाम_ख़्याल #अनाम #रात्रिख़्याल #midnightthoughts #latenightthoughtbazaar
Anamika Nautiyal
प्रिय, प्रेम पत्र उन शिलालेखों की भाँति है जो दूसरी सभ्यता तक भी , प्रेम का संदेश देने के लिए अजर-अमर रहेंगें। कहीं मिट्टी में दबे हुए, कहीं पीले पन्नों पर जो भी उसे प्राप्त करेगा वह आत्मसात कर पाएगा प्रेम की पवित्रता को। प्रिय, प्रेम पत्र मौन संदेश है सभ्यता के! प्रेम पत्र बिखेंरेगें प्रेम की खुशबू ! #अनाम #अनाम_ख़्याल #अनाम_प्रेम #प्रेम_पत्र
प्रेम पत्र बिखेंरेगें प्रेम की खुशबू ! #अनाम #अनाम_ख़्याल #अनाम_प्रेम #प्रेम_पत्र
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सारी उम्र हसरतों को तमाम करता रहा मैं बड़ी शिद्दत से यह काम करता रहा ख़ानाबदोश यहाँ-वहाँ घूमता रहा जहान में, बैठा किसी कोने में एक शाम करता रहा। आँखों से जो छलकता रहा ज़िंदगी भर का गम, मैं उसे ही पैमाने में भर-भरकर जाम करता रहा। एक ही दिल-ए-ख़्वाहिश थी उनकी मेरे नासूर को कुरेदना, मैं ख़ुद नमक छिड़क हर कोशिश को नाकाम करता रहा आवाज़ों के जंगल में में गुम होती कहीं मेरी आवाज़ थी, थमा कर खंजर उनके हाथों खुद को बेज़बान करता रहा। आरज़ू लेकर राह-ए-ज़िंदगी चल रहे थे लोग नाम की, मैं लम्हा-दर-लम्हा ख़ुद को 'अनाम' करता रहा। ख़्वाहिशों का पुलिंदा रहता है उम्र भर, एक यही ज़ख़ीरा साथ रहता है उम्र भर। #अनाम #अनाम_ख़्याल #lifequotes #innervoice
ख़्वाहिशों का पुलिंदा रहता है उम्र भर, एक यही ज़ख़ीरा साथ रहता है उम्र भर। #अनाम #अनाम_ख़्याल #lifequotes #innervoice
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अवसादित जीवन में सकारात्मकता की अग्नि धूमिल कर देती है सारी चिंताओं को और जन्म देती है नवस्वप्नों को यह बात हम पर निर्भर करती कि हमें दुःखों की अग्नि में जलकर खाक होना है या सपनों को जन्म देने वाली अग्नि को उद्दीपित करना है। Depends on you #अनाम #अनाम_ख़्याल #अवसाद #दुःख #स्वप्न
Depends on you #अनाम #अनाम_ख़्याल #अवसाद #दुःख #स्वप्न
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ख़ुशनुमा माहौल में दिल क्यों ग़मजदा है, ख़ुश तो है या फिर ख़ुद से ही खफ़ा है। ये नादां दिल तेरा अक्स ढूँढता है हर-सू, नावाकिफ ना जाने क्या नुक़्स-ओ-नफ़ा है। यूँ ही तो नहीं हुई होगी तुमसे बेवफ़ाई सनम, बता भी दो कि कहाँ से सीखा तर्ज़-ए-जफ़ा है। तेरी यादों का सिलसिला मुसलसल ज़ारी रहता है, मैंने तो हर क़िस्सा-ए-मोहब्बत दिल से किया रफ़ा है। तेरे नापाक इल्ज़ाम कब तक दिखेंगे दामन पर, मेरी आबरू तो आब-ए-जमजम मानिंद सफ़ा है। मिटाए मिटती भी नहीं किसी की हस्ती जान-ए-मन, अनाम ही सही तेरा ख्याल दिल में आता हर दफ़ा है। उनकी यादें अब तलक दिल में बाक़ी है तसल्ली है कि जिस्म में जान बाक़ी है #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #lovequote #latenightthoughtbazaar
उनकी यादें अब तलक दिल में बाक़ी है तसल्ली है कि जिस्म में जान बाक़ी है #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #lovequote #latenightthoughtbazaar
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घनघोर तिमिर जब साधता गहन स्याह रात, उम्मीद की किरणें बनती बंजर धरा पर बरसात। मिलता है टूटे जीवन को उम्मीद का सहारा, बेघर हुए सपनों को उमंग का आसरा। शिथिल पड़ी नसों में होता रक्त का संचार, उत्साह के हथौडे़ से होता अवसाद पर प्रहार। परिवर्तनशील है नहीं रहता सदैव एक सा समय, हर निशा बीतने के बाद होता है सूर्योदय। #अनाम
Anamika Nautiyal
भर लूँ अपने कुछ नमकीन अश्क़ पैमाने में, कि और कोई नशा मिलता नही ज़माने में। पहन लेता हूँ अक्सर पैरहन झूठी मुस्कुराहट की, पर्दा कोई इससे बेहतर नहीं सब कुछ ढकाने में। कुछ जख़्मो को रफ़ू करना बाकी है अब तलक, फिर भी मेरा जाता क्या है बनावटी दिखाने में। जानता हूँ कि भ्रम में डूबी हुई जीस्त है मेरी, बहला रहा हूँ ख़ुद को महज़ एक बहाने में। सर-ए-महफ़िल मैं भी कर दूँ सारे राज़ बयाँ, क़ल्ब-ए-तस्कीन मिलती है सब कुछ छुपाने में। अब अकेलापन ही यार हो गया है 'अनाम', मज़ा है ख़ुद ही रूठने और ख़ुद ही मनाने में। मुद्दतों से मैं इक यार का इंतज़ार करता रहा महफ़िल महफ़िल मैं यूँ ही तन्हा फिरता रहा #अनाम #अनाम_ख़्याल #lifelessons #lonliness
मुद्दतों से मैं इक यार का इंतज़ार करता रहा महफ़िल महफ़िल मैं यूँ ही तन्हा फिरता रहा #अनाम #अनाम_ख़्याल #lifelessons #lonliness
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मैं लेखक नहीं मैं डरती हूँ कटाक्ष करने से भय है मुझे अराजक तत्त्वों का मैंने आज तक जितनी भी पीड़ाओ को लिखा है उन्हें कभी अनुभव नहीं किया मज़दूर,मज़लूम क्या कभी इनके क़रीब गई हूँ दुःखों को झाँकने शोषितों के दर्द को देखा ही नहीं दर्द क्या होता है कभी जाना ही नहीं व्यंग्य करते समय बँधी हुई होती हूँ एक अदृश्य डोरी से जो मेरी लेखनी को अपने कहे अनुसार खींचती रहती है मैं प्रेरक कथन लिखती हूँ कुछ ज्ञान की बातें बाँटती हूँ मगर आज तक मैंने कितनी दफ़ा उन बातों पर अमल किया है। मैं स्वार्थी हूँ बहुत अधिक मात्रा में वाहवाही के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। हाँ मैं लेखक नहीं #अनाम #अनाम_ख़्याल #लेखक #व्यंग्य #innervoice #anumika
हाँ मैं लेखक नहीं #अनाम #अनाम_ख़्याल #लेखक #व्यंग्य #innervoice #anumika
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