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Ravendra
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Surendra Kumar Kahar
होली आई होली आई कितना प्यारा रंग है लाई हरा पिला लाल गुलाबी श्याम रंग भी ले आई भीगी चुनरीया राधे की श्याम होली खेले हैं संग भीगी चुनरीया राधे की हो गई श्यामा रंग। श्याम होली खेलें है संग। होली है। ©Surendra Kumar Kahar #Holi Sethi Ji PФФJД ЦDΞSHI पथिक.. Krishna G Internet Jockey Ronak Khandelwal 0 Deep Dhaliwal Moga Manoj Kumar Miss Shalini pankaj Sharma
Shivkumar
Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है इसकी माटी तो अति पावन है देवों की भी यह मानस माता है ये धरती मां बंधुत्व भाव ही दिखलाती है गंगा , जमुना और सरस्वती जी वो संगम तट पर बहती नित धारा है सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है ऋषि मुनियों का अब भी बसता संसार है मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है मुझे इसके विशेष होने पर गर्व है अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश ©Shivkumar #MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
Ravendra
Shipra Pandey ''Jagriti'
दिल ग़मगीन हो तो लिखना तबियत नासाज़ हो तो लिखना करे कायनात तुम्हारी ख़िलाफ़त तो लिखना लिखना की लिखना ज़िन्दगी है तुम्हारी कुछ ना आये तो भी कुछ लिखना लिखना कि अपनी भाषा पर अभिमान है कोई भाषा नहीं जानते तो भी कुछ लिखना लिखना की हिन्दी है जन मन की भाषा और तुम लिखना हिन्दी है सनातन की भाषा तुम जिन्दा हो लिखने के लिए इसलिए लिखना। ©Shipra Pandey ''Jagriti' #Hindidiwas हम हिन्दुस्तानी है इस बात का गर्व है हिन्दी है जन गण मन की भाषा अमीर गरीब / अनपढ़ / पढ़ेलिखे की भाषा हमारे मान अभिमान की भाषा
Neena Jha
मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो उससे नहीं मुझसे नहीं किसी से तो कहो। बात हो शिक्षा की या हो भिक्षा की कैसे तितिक्षा मिली जन-जन को बतलाओ। हो कोई भी कष्ट या हो कोई भ्रष्ट कैसे करें सब स्पष्ट, सब को समझओ। न भ्रष्ट सहो न कष्ट सहो बस! मन की बात सुनो! मेरी नहीं उसकी नहीं अरे! मन की तो सुनो। ऐसी बातें बोलो जिससे मन हो साफ़ जो भी सुने तुमको खिलती हो मुस्कान। जैसी भी हो मुश्किल खुलकर भेंट करो पहाड़ हिमालय सा या हो अमृत उद्यान। हँसते रहो, मुस्काते रहो खुशियाँ पिरोते रहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो। तकनीकी में आगे तत्परता से रहें हो आपदा कैसी भी स्व-आत्म अडिग रहे। जैसा भेष हो वैसी ही भाषा चुनो जैसा देश हो वैसी ही प्रगति बुनो। है अपना देश महान कैसे! तुम ये बतलाओ। मुझसे नहीं खुद से नहीं जन - गण से कहो। मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो देश ध्वज को ऊँचा रखो, स्व - सम्मत रहो। मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो मुझसे नहीं इससे नहीं किसी से तो कहो। ©Neena Jha #HeartBook जय माँ शारदे 🙏 विषय... मन की बात मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की
Dinesh Sharma Dinesh