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Lalit Musiya
Black वो गर्मियों की छुट्टियों का पड़ना , वो स्कूल से छुटकारा पाना, मामा के यहां मेहमान जाना , वो रात को उठ कर रोना, सुबह पिताजी का लेने आना, वो सुबह जल्दी उठकर खजूर बिनने जाना, वो कुल्फी वाले का इंतजार करना, पिताजी पैसे नही देते तो मिट्टी में गोते मारना, फिर कभी -कभी झाड़ू चप्पल खाना , फिर मगरमच्छ के आंसू बहाना, वो आम के डाल पर झूलना , वो शुष्क चक्रवात का आना, वो भूत -भूत कर भागना , वो आंधी आने पर आम बिनने जाना, वो गर्मियों की छुट्टियां का मौज - मस्ती में गुजर जाना । ©Lalit Musiya वो बचपन की गर्मियों की छुट्टियों का पड़ना #story #yade #bachpan
Shivkumar बेजुबान शायर
White गर्मियों की छुट्टी आई साथ में अपने खुशियां लाई नानी के घर जाएंगे रास्ते में कुल्फी खाएंगे गर्मियों की छुट्टी आई साथ में मौज मस्ती लाई सुबह देर तक सोते रहेंगे खेलते वक्त शीशे तोड़ा करेंगे गर्मियों की छुट्टी आई साथ में चिलचिलाती धूप लाई खूब देर तक खेला करेंगे ठंडी-ठंडी ठंडाई पिया करेंगे ©Shivkumar #summer_vacation #summervacation #Summer #Nojoto #गर्मियों की #छुट्टी आई साथ में अपने #खुशियां लाई नानी के घर जाएंगे #रास्ते में कुल
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healthdoj
गर्मियों में आंखों को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले...? . . . #Health #healthylifestyle #Healthy #Beauty #healthdoj #Fitness Share With Ur #hunarbaaz
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी:- प्रेम के ही फूल खिले , आओ आप हम मिले , देख फिर तो होली में , प्रीत ही गुलाल है । भूल नहीं आप जाना, कहीं भी हो चले आना, कौन जाने किसका ये , आखिरी ही साल है । पिछली बार होली का , मेरे ही हमजोली का , देख यह पास मेरे , आज भी रुमाल है । स्वप्नों में आयेगा वह , दूर न जायेगा वह , प्रीत में आज भी वह , करता कमाल है ।। २५/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- प्रेम के ही फूल खिले , आओ आप हम मिले , देख फिर तो होली में , प्रीत ही गुलाल है । भूल नहीं आप जाना, कहीं भी हो चले आना, कौन
मनहरण घनाक्षरी:- प्रेम के ही फूल खिले , आओ आप हम मिले , देख फिर तो होली में , प्रीत ही गुलाल है । भूल नहीं आप जाना, कहीं भी हो चले आना, कौन #कविता
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