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Adv.Shivam Mishra
कहने को तो हम भी नये नही हैं इश्क के बाजार में... बिक जाते है लोग यहाँ नोटों के प्यार में... #बकील_साहब बकील साहब
Wakeel Ahmad
यार तेरे बिन कुछ अच्छा नहीं लगता जिधर से भी चला जाउ यार अच्छा नहीं लगता ©Wakeel Ahmad बकील अहमद कादरी बदायूंनी #alone
सुकूल❤
संपर्क टूटा हैं मगर, संपर्क टूटा हैं मगर, संकल्प नही; अभी तो आश बाकी है, सवा सो करोड़ भारतीयों की दहाड़ बाकी हैं। सुनेगा पुरा जहां एक दिन की जो संकल्प रहा था हमारा आधुरा कुछ कारणो से वो पुरा करके दिखाया हैं , ये हम भारतीयों को सुनना बाकी हैं। ये संकल्प अभी बाकी है। #isro संकल्प अभी बकी है।👍
priyanshu mishra (fsv)
ये जिन्दगी अभी कितना रुलना बकी है । तुझसे बेहतर तो मौत है जो नींद तो ला देती है।।
Adv.Shivam Mishra
महापुरुष बनने की राह में अग्रसर हो रहा हूँ। हां मैं भी थोड़ा-थोड़ा शायर हो रहा हूँ। लेखनी By बकील साहब महापुरुष बनने की राह में अग्रसर हो रहा हूँ। हां मैं भी थोड़ा-थोड़ा शायर हो रहा हूँ। लेखनी By बकील साहब
Shivkumar
अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही । बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। एक पल भी मेरी नज़रों से मेरी मंजिल यु ओझल ना हो । दिल की धड़कन ही तो हरपल यही शोर सा करती है ।। चाहे गरजे बादल या बिजली ही चमके । घनी हो आंधियां या घनघोर बारिश बरसे ।। उसकी ओर हर मुश्किल को यु पार कर जाना है । अब वो मंजिल भी दुर नही बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। पैर चाहे चलते-चलते क्यू न थक जाये । या कोई पथरीली रास्तो में बाधा डाले ।। एक भोर घने अंधियारे के बाद ही आती है । अगर तुम एक कदम रुक गए तो तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। ©Shivkumar #trafficcongestion #traffic #Nojoto अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही ।
MIRZA BILAL BAIG
लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर, कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता। पसरा हैं सन्नाटा, इस कदर गलियो में, हल्का शोर भी वारदात से कम नही लगता। कुछ खाकी हैं, तो कुछ हाकिम हैं, कुछ बेमतलब के बकील भी! कुछ भूखे हैं रात के, रात दस्तरखां पर,अब खाना नही लगता। ये कशमकश हैं कैसी, में समझा नही यारो? नेता जी के शहर में कभी कर्फ्यू नही लगता, महफिले लगती हैं आये दिन,आये दिन मैले उछलते हैं। फिर सरेआम मुकरने में बक्त नही लगता।। मैं कहु तो सुनते हो क्या? चुप रहू तो कहते हो, मिर्ज़ा बात नही करता।। लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर, कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता।। ©MIRZA BILAL BAIG read caption,👇👇👇 लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर, कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता। पसरा हैं सन्नाटा, इस कदर गलियो में, हल्का