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Shashi Bhushan Mishra
White हर दिल का फ़साना है, ख़ुदगर्ज जमाना है, मालूम है मुझे सब, यह राग पुराना है, ग़म-ख़्वार परिन्दे का, किस सिम्त ठिकाना है, संकल्पना अलग है, पर साथ निभाना है, है भूख और गरीबी, पर अनल बुझाना है, ग़ुर्बत मिटाने वाली, झूठों का बयाना है, दीपक जलाओ 'गुंजन', इस तम को मिटाना है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हर दिल का फ़साना है#
book lover
जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं ©book lover धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है
Dr Wasim Raja
White देखो धरती पर तरह-तरह का नजारा है। यहां हर कोई परिस्थितियों का मारा है।। निस्वार्थ कौन किसको देता सहारा है? मजबूर किस्मत का मारा बना बेचारा है।। अमीर गरीबों से कर लेता किनारा है। गरीब मजबूर होकर रब को पुकारा है।। तय वक्त तक ही करना यहां गुजारा है। दौलतमंद ने जन्नत को धरा पर उतरा है।। ©Dr Wasim Raja सब परिस्थितियों का मारा है।
Bachan Manikpuri
BeHappy जिन्दगी संघर्ष नहीं है जिन्दगी जीने का नाम है। ©Bachan Manikpuri जिन्दगी जीने का नाम है
pramod malakar
अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का 1111111111111111111111111111 शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है , अर्धांगिनी नहीं , लक्ष्मी घर आई है, खामोशियां नहीं खुशियां घर लाई है। मुर्झाए चेहरों पर मुस्कराहट लुटा रही है, बिगड़ैल पति को प्यार से संवार रही है। अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का , जन्म दाता है तुम्हारे संहार का। आज का दिन बहुत खाश है इतिहास बना लो, पत्नी जिंदगी कि सांस है , तन में बसा लो। वक्त चक्र है मिलकर संस्कृति बचालो।। मालाकार संस्कार है हर पंक्ति का, पति - पत्नी के सात्विक शक्ति का। एक हाथ में गुलाब दुसरे में कमल थाम लो, मन से प्यार , दिल से भाजपा को मान लो। घर भी चमकाएंगे , देश भी चमकाएंगे यह ठान लो। प्यार दूसरों के घर से चलकर तुम्हारे घर आई है, माता पिता भाई बहन को रुलाकर तुम्हें हंसाई है। तुम्हें भगवान मान कर तुम्हारा घर बसाई है, शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है।। ######################### कवि - प्रमोद मालाकार ©pramod malakar #अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का।
Shashi Bhushan Mishra
अभी ऊँची उड़ान बाक़ी है, समूचा आसमान बाक़ी है, सफ़र में चल पड़े कदम मेरे, अभी सारा जहान बाक़ी है, नया है जोश अभी यौवन में, वक़्त का इम्तिहान बाक़ी है, उगते सूर्य को प्रणाम किया, पढ़ना गरूड पुराण बाक़ी है, घूम आए हैं सारी दुनिया में, मेरे दिल का मुकाम बाक़ी है, देख ली नफ़रतें करके सबने, शांति का ही पयाम बाक़ी है, सरायों में गुजारे दिन कितने, अपने भीतर क़याम बाक़ी है, हुआ दीदार हुस्न का 'गुंजन', अभी दुआ सलाम बाक़ी है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिल का मुकाम बाक़ी है#