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Anushka Rathore
दोस्तों के लिए शायरी ©Anushka Rathore जिंदगी रहे या ना रहे दोस्त के लिए कुर्बान है Jay Shri Ram शायरी दोस्ती शायरी
जिंदगी रहे या ना रहे दोस्त के लिए कुर्बान है Jay Shri Ram शायरी दोस्ती शायरी
read moreAbhi
Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi #lovelife शायरी मोहब्बत के लिए
#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए
read moreusFAUJI
White आज-कल समाज में भाई-भाई आपस में लड़ते रहते हैं जिससे उन्हें सिर्फ समाज शर्मिंदगी मिलती हैं लड़ना ही हैं तों वतन के लिए लड़ो मर भी गये तों तिरंगा 🇮🇳 मिलेगा कफ़न के लिए 🇮🇳 जय हिंद जय भारत 🇮🇳 ©usFAUJI ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji #Nojoto
Uttam Bajpai
लव शायरी हिंदी मेंतरस गए थोड़ी सी वफा के लिए, किसी से प्यार ना करेंगे खुदा के लिए जब भी लगती है इश्क की अदालत हम ही चुने जाते हैं सजा के
read moreRahul Varsatiy Parmar
सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar #foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
read morevksrivastav
White झूंठी बाज़ी के लिए अपने गंवा बैठे हैं लोग झूठ को थाम सच्चे सपने गंवा बैठे हैं लोग ©Vk srivastav झूंठी बाज़ी के लिए #Trending #Life #Quote #शायरी #vksrivastav
झूंठी बाज़ी के लिए #Trending #Life #Quote #शायरी #vksrivastav
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
तेरा चिंतन मनन, अब पूछता कौन है अच्छे बुरे व्यसन,अब पूछता कौन है बेईमानी के धंधों में इजाफा बहुत है ईमानों का पतन अब पूछता कौन है.. दर्द देने की आदत शुमार है जमाना दर्द का कारण क्या अब पूछता कौन है जुल्मो सितम से आसमाँ फटा जाता है फूलों से कोमल मन अब पूछता कौन है दिलों में शहादत की लौ ही बुझ गई शहीदों को नमन अब कौन पूछता है.. ये जमीं बँट गई आसमां लुट गया फिर किसके हिस्से वतन, अब पूछता कौन है राहे वतन पे बिछना तेरी शान थी गुल बिखरा किस बदन अब पूछता कौन है... जाने कहाँ मशगूल हो रहीं जिंदगियाँ अपना ही घर आँगन अब पूछता कौन है.. जब आँखों की शर्मो हया ही मर गई मुँह ताकता दर्पण अब पूछता कौन है... ©अज्ञात #किसके हिस्से वतन
#किसके हिस्से वतन
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