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Nirankar Trivedi
सुनहरी शाम की छटा निराली है, सूरज की किरणें धरती पे फैली हैं। सुनहरी रोशनी में सब कुछ चमकता है, हर चीज़ जैसे सोने में ढलता है। नीले आसमान में लालिमा छाई है, हवाओं में भीनी-भीनी ठंडक आई है। यह पल अद्भुत, ये समय अनमोल है, सुनहरी शाम का यह अनुपम सजीव नज़ारा है। ©Nirankar Trivedi #GoldenHour सुनहरी शाम की छटा निराली है, सूरज की किरणें धरती पे फैली हैं। हिंदी कविता कविता कोश हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी Kalki
#GoldenHour सुनहरी शाम की छटा निराली है, सूरज की किरणें धरती पे फैली हैं। हिंदी कविता कविता कोश हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी Kalki
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सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ, जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ। इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े, जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से। यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक, हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन। टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें, जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें। कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल, हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स। इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान, जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान। यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात, सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ। इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग, सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग। ©Nirankar Trivedi #sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता
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read moreराजीव भारती
मुक्तक ज़ज़्बा कभी भी कम न होने दीजिए, जब तलक है ज़िन्दगी मौज कीजिए, गम को उनके हाल पर ही छोड़कर खुशियां उधार के भी बटोर लीजिए । ©राजीव भारती #मुक्तक #राजीव भारती
राजीव भारती
कहमुकरी छंद नहीं मिलें तब, याद सताए। मिलने पर दिल, भी घबराए।। करना चाहूं, सब कुछ अर्पण। क्या सखि साजन,ना सखि दर्पण।। ©राजीव भारती #कहमुकरी #राजीव भारती
Rajni Vijay singla
हमें अपनी मां पर बहुत गर्व है मां भारती को हमारी मां पर वह मां भारती की सेवादार है जय हिंद जय मांj ©Rajni Vijay singla मां#भारती का #गौरव मेरी मां
मांभारती का #गौरव मेरी मां #मोटिवेशनल
read moreकवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य मंच ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी
कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी #Poetry
read moreArpit Mishra
हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है, कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है। बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो , यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो । । ©Arpit Mishra भारत भारती
भारत भारती #Poetry
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