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richa verma
सड़क पर रोते बच्चे को गुब्बारा दिला देता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । अनजान घायल को अस्पताल पहुंचा देता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । एक बूढ़ी अम्मा का झोला उठा देता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । झूठे मीडिया पर खीझ ,झुंझला कर गालियाँ देता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । भ्रष्टाचार,रिश्वत को खुलेआम गलत कह देता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । मशीनी दुनिया में इंसा बने रहने की कोशिश करता हूँ , तसल्ली होती है कि मै जिंदा हूँ । "तसल्ली होती है" लंबी कविता आपके लिए 🙏🙏 #yqdidi #yqbaba #yqdidihindi #yqquotes #yqtales #yqzindagi #paidstory
"सत्याग्रही"
Ansh Rajora
तू धनुष गांडीव हाथ में मैं तरकश बाण हो जाऊं तू वीरांगना जैसी एक मैं युद्ध विराम हो जाऊं शीर्षक - आत्मा एवम आत्म #गांडीव - अर्जुन के धनुष का नाम #साम - सामवेद एक लंबी कविता पुरुष और प्रकृति के नाम आशा है आप सभी इससे जुड़ पाएंगे सम
Sunita D Prasad
इनके लिए मैंने लोगों की नज़रों में बहुतायत दया देखी कवियों के कलम में असीमित दर्द देखा सरकार के भी हर साल बदलते झूठे वादे देखे समाजसेवियों के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते सैंकड़ों कार्यकर्ता देखे पर फिर भी इतने वर्षों के पश्चात खड़ा मैं इनको वहीं पाती हूँ वैसे ही बच्चों के इनको धूल में खाक छानते पाती हूँ नहीं, नहीं...इनको कंबल और अनाज मत बाँटो.. न ही लंबी-लंबी कविता इन पर टाँगों बस,एक कलम की ताकत इनको समझा दो सही रास्ता जीने का इनको दिखला दो फिर किसी बैसाखी की न इनको जरुरत होगी इनकी अपनी ही टाँगें इनके लिए काफी होंगी...। ----सुनीता डी प्रसाद💐 #yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo # श्रमिक..... इनके लिए मैंने लोगों की नज़रों में बहुतायत दया देखी कवियों के कलम में
Nitish Sagar
मैं बिहार के एक प्रसिद्ध जिले मधुबनी (मिथिलांचल) से हूं। और मैं एक छात्र हूं ( स्नातक द्वितीय खंड,वाणिज्य से) और आज मैं आपसब से दिल की बात कहना चाहता हूं कि मैं professional writer नहीं हूं और ना ही मुझे इनसब चीजों के बारे में ज्यादा जानकारी है। लेकिन हां मुझे कहानियां, कविताएं, शायरी सब पढ़ना बहुत पसंद है और मैं आप सबकी बेहतरीन रचनाएं पढ़ता हूं, और आपसब से कुछ न कुछ सीखता हूं । और उसी का नतीजा है कि मैं छोटी-मोटी Quotes, small story लिख देता हूं, हालांकि लंबी कविताएं नहीं लिख पाता मुदा कोशिश जारी रहेगी। लेकिन मैं किसी की लिखी हुई चोरी भी नहीं करता हूं। गलत ही लिखता हूं लेकिन खुद लिखता हूं। और आपसबसे एक विनम्र निवेदन है कि अगर मैं कुछ लिखु और वो गलत लगे तो कृपया आपसब मुझे बताएं उसे मै सही करूंगा। मागदर्शन जरूर देते रहिएगा😊😊 प्यार बनाए रखिएगा❤️❤️❤️ (Future lover की तालाश मैं खुद कर लूंगा 😜😂😂😂 मजाक तक😄) और मैं अभी तक में किसी का दिल दुखाया हुं तो माफी चाहूंगा।🙏🙏🙏 #NojotoQuote #nojoto दिल की बात❤️ मैं बिहार के एक प्रसिद्ध जिले मधुबनी (मिथिलांचल) से हूं। और मैं एक छात्र हूं ( स्नातक द्वितीय खंड,वाणिज्य से) और आज मैं
Ansh Rajora
लौटा दो वो बचपन जँहा मैं मुक्त पंछी बिना पर था नफरतों की समझ नहीं थी जग सारा खुला अंबर था नन्हे नन्हे कदमों से जो मैने चलना सीखा था माँ पिता ने उसी वक़्त मानो ढलना सीखा था नन्हे कदम मेरे जो ज़मीन पर पड़ते थे बेटा है मेरा कहकर बाबा शान से अकड़ते थे मेरी मासूम खिलखिलाहट से चहकता मेरा घर था लौटा दो वो बचपन.... एक टुकड़ा माँ के हाथ की रोटी खाकर पिताजी से डांट कभी दुलार पाकर बड़े भाई से नोकझोक छोटे भाई से तकरार छोटी बहन से प्यार कभी बड़ी बहन की फटकार बचपन मेरा खूबसूरत एहसासों का जैसे घर था लौटा दो वो बचपन... दोस्तों से कभी रूठना मनाना बारिश के पानी में वो कागज़ की नाव चलाना माली से छुपकर बाग से फल तोड़ लाना डांट के डर से अलमारी के पीछे छुप जाना शरारतों से भरा भी जैसे हर हसीन मंज़र था लौटा दो वो बचपन... आज मतभेद होते ही मनभेद हो जाते है रिश्तों की कश्तियों में अहम के छेद हो जाते हैं "मैं" यहाँ अब नातों से बड़ी होने लगी है ज़रा ज़रा सी बातों पर हमें खेद हो जाते हैं जाने क्यों बड़ा हुआ छोटा ही मैं बेहतर था लौटा दो वो बचपन... पहली बार एक लंबी कविता लिखने की कोशिश की है जो बचपन के गलियारों में फेरा लगे तो सूचित हो🙏🙏😊 लौटा दो वो बचपन जँहा मैं मुक्त पंछी बिना पर था
_Ankahe_Alfaaz__
दुनिया में उजाला फेहलाना , क्या इतना आसान है ऐ दोस्त , तो अक्सर उस गरीब के झोपड़े में अँधेरा और उस अमीर के बंगले में रोशनी क्यों होती है जो अपनी तनख्वा दारु में उड़ा देता है , उन लोगो तक ये रोशनी क्यों नहीं पहुँच पाती जो उस रोशनी से अपने जीवन को रोशन करना चाहते है । विष्णु खरे हिंदी के महत्वपूर्ण कवि, आलोचक और अनुवादक थे। 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे का जीवन पत्रकारिता और साहित्य सृजन को समर्पित रहा।
S. Bhaskar
बस बंद कर अब मन्द जन को स्वाभिमान सीखाना, बंद कर अब अंधेरे रास्तों में लालटेन जलाना। यहां लोगों में दासता का ही राग विद्यमान है, यहां दिखता चाटुकारिता का ही प्रमाण है, जो मिट्टी को सोना व राख को भी बनाते महान है, ये तो बिना तरकश के बिकते हुए कमान है, छोड़ दे अब इनकी तू अस्मत को बचाना, बस बंद कर अंधेरे को लालटेन जलाना। इन जड़ बुद्धि ने खुद को गुलामी में जकड़ रखा है, यहां बस मूक मुखड़ा और लंबी जबान कर रखा है, ये ना सुधरेंगे हमने इनको करीब से परखा है, गुलामी की जंजीरें इनके प्रिय मित्र और सखा है, बस छोड़ दे ये नहीं चाहते सही रास्ते पर आना, बंद कर अंधेरे रास्तों में लालटेन जलाना। तू खुद अपनी नजरों में गिरता चला जाएगा, पर इनमें कोई खास अंतर ना ला पाएगा, चंद पल तो सुधरेंगे फिर वही कहानी तू दोहराएगा, तेरे अकेले से कभी बदलाव सामने नहीं आएगा, तू बस बंद कर इन मूक लोगों को अमूक बनाना, बस बंद कर लोगों के खातिर अंधेरे में लालटेन जलाना। विष्णु खरे हिंदी के महत्वपूर्ण कवि, आलोचक और अनुवादक थे। 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे का जीवन पत्रकारिता और साहित्य सृजन को समर्पित रहा।
Vibha Katare
काली अंधेरी रात का सफर, शहर से दूर वियाबान जंगल के बीच से जाती सड़क, तेज आंधी और तूफान, अचानक बिगड़ गई मेरी कार, अब, मैं , मेरी कार, तेज बारिश , घना जंगल और ऊदबिलावों की आवाज़.. कुछ कदम जब मैं चली, आगे एक पुरानी हवेली दिखी.. हवेली से किसी के कदमों की आवाज़ आना, कम्बल में खुद को लपेटे उस परछाईं का मेरी तरफ आना, फिर अपने काँपते बूढ़े हाथों से लालटेन जलाना.. उफ़ !! ये ख़ौफ़नाक कल्पनाएँ.. अब मेरे कमरे की खिड़की से सटी अधबनी इमारत में भूत दिखना ही बाकी है मुझे। विष्णु खरे हिंदी के महत्वपूर्ण कवि, आलोचक और अनुवादक थे। 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे का जीवन पत्रकारिता और साहित्य सृजन को समर्पित रहा।
Pratibha Tiwari(smile)🙂
धिक जीवन को जो पाता ही आया विरोध , धिक साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध, जानकी हाय उद्धार प्रिया का हो ना सका एक मन रहा राम का जो ना थका। जो नहीं जानता दैन्य नहिं जानता विनय, कर गया भेद वह मायावरण प्राप्त कर जय। __निराला की लंबी कविता"राम की शक्ति पूजा" की पंक्तियां (1936) __आगे #में पढ़े #एक ऐसी कविता जिसे हर इंसान को पढ़ना चाहिए,सच कहूं तो हर विषय में कुछ ऐसी रचनाएं और बातें होती हैं ,जिसे हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। इस कवित