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V Rawal
शब्द से खुशी शब्द से गम शब्द से पीड़ा शब्द से मरहम शब्द से तुम शब्द से हम।। @रावल शब्द के खेल##
NEETU SHARMA
एक शब्दों का खेल हीं जो कुछ इस तरह खेला जाता है। जो बङी से बङी ईमारतों को भी गिरा देता है। शब्द#खेल#ईमारत#nojotohindi#qutoes
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
'खेल' शब्द को शामिल कर पंक्तियाँ लिखें #खेल #Khel #NojotoHindi
SK Poetic
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ट्रेन में दो तरह की बोगियां होती है एक जनरल क्लास बोगी और दूसरी फर्स्ट क्लास बोगी जिसे हम एसी बोगी भी कहते हैं। जब मैं बचपन में ट्रेन में सफर करता था तो हमारे पेरेंट्स में जनरल बोगी में लेकर जाते थे। और उसी ट्रेन में कुछ ऐसे भी लोग थे जो कि फर्स्ट क्लास बोगी में सफर किया करते थे। मैं जब उन लोगों को देखता था तुम मुझे उन लोगों पर हंसी आती थी क्योंकि मुझे लगता था कि यह लोग भी तो उसी ट्रेन में चढे हैं जिस ट्रेन में हम सफर कर रहे हैं ये भी उतनी ही टाइम है पहुंचेंगे जितने टाइम में हम लोग पहुंचेंगे, कोई ऐसा थोड़ी है कि तू जिस बोगी में है वह पहले पहुंच जाएगी और हम जिस पर चढ़े है वह बाद में पहुंचेगी। पर बहुत सालों के बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ कि नहीं बोगी से फर्क पड़ता है।अगर हम फर्स्ट क्लास बोगी में सफर करते हैं तो हमारे साथ फर्स्ट क्लास लोग ही सफर करेंगे जिनका की रहन,सहन बात करने का तरीका अलग होगा। उनसे हमें अच्छे संस्कार सीखने को मिलेंगे। जबकि लो क्लास बोगी में सफर कर रहे लोगों से हमें ना ही अच्छे संस्कार सीखने को मिलेंगे ना ही सही ढंग से बात करने का तरीका पता चलेगा और ना कोई दूसरी चीजें।दोनों के संस्कारों में व बातचीत करने के तरीके में जमीन आसमान का फर्क है। ©S Talks with Shubham Kumar फर्स्ट क्लास व जेनरल क्लास बोगी में अंतर #Flower
Ali sir (A+A)
मै टीवी ज़रूर देखता हूँ पर झूठी और नफरत भरी ख़बरें नहीं सिर्फ और सिर्फ खेल Sport😊 ©A. R. Zaidi खेल ही खेल
Tejas Hansraj Mane_Patil
किस ने खेल खेला हैं किस ने हिज्र झेला हैं अब गुज़र गया जाना उस सवाल का मौसम #नोशी गिलानी
Vivek
मुझको -तुमसे -तुमको-मुझसे यहाँ तक की खेलों को भी हमसे खेल-खेल में ही मुहब्बत हो जाती है---!!! ©Vivek # खेल खेल में
Pushpinder Singh
कहीं इन कार्टून की तरह होती ज़िन्दगी इंसान की तो गिले शिकवों से दूर होती ज़िन्दगी इंसान की न रंजिशें न मिसाइल होते न होते कुछ और मरहले ख़ुशमिज़ाज हल्की फुल्की सी होती ज़िन्दगी इंसान की न ख़ौफ़ कोई न दर्द न उलझन कोई न चिंता कल की खेल खेल में ही गुज़रती तब ज़िन्दगी इंसान की खेल खेल में...