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कवि होरी लाल "विनीता"
लोग अपने मां-बाप,गुरु को भूल जाते हैं कहता है कि हम पढ़े लिखे डिग्री धारी हैं।। मां - बाप जब उनको समझाया करते हैं उल्टा उनको ही लोग डांट दिया करते हैं।। लोगों को न जाने यह कौन सी बीमारी है मां बाप के नहीं ढोंगियों के पैर पड़ते हैं।। अरे आर करके बाप को बुलाया करते हैं मैंने सुना है कि वह लंदन से आज लौटे है।। जो मां बाप संस्कार देने में कमी किए हैं उसका नतीजा उनके सामने आ रहा है।। लोग अपने मां-बाप,गुरु को भूल जाते हैं कहता है कि हम पढ़े लिखे डिग्री धारी हैं।। मां - बाप जब उनको समझाया करते हैं उल्टा उनको ही लोग डांट दिया करते हैं।। लोगों को न जाने यह कौन सी बीमारी है मां बाप के नहीं ढोंगियों के पैर पड़ते हैं।। अरे आर करके बाप को बुलाया करते हैं मैंने सुना है कि वह लंदन से आज लौटे है।। जो मां बाप संस्कार देने में कमी किए हैं उसका नतीजा उनके सामने आ रहा है।। थोड़े से धन के लिए मां का गला दबाते हैं अपने पिता को गाली से नवाजा करते है।। पढ़े से अच्छा अनपढ़ लोग हुआ करते हैं अपने मां बाप का सम्मान किया करते हैं।। सब लोगों से हम एक आग्रह करते हैं बच्चों को शिक्षा और संस्कार देते रहना है।। कवियों को जो कुछ समाज में दिखता है वह उसे कविता गीत गजल में लिखता है।। थोड़े से धन के लिए मां का गला दबाते हैं अपने पिता को गाली से नवाजा करते है।। पढ़े से अच्छा अनपढ़ लोग हुआ करते हैं अपने मां बाप का सम्मान किया करते हैं।। सब लोगों से हम एक आग्रह करते हैं बच्चों को शिक्षा और संस्कार देते रहना है।। कवियों को जो कुछ समाज में दिखता है वह उसे कविता गीत गजल में लिखता है।। ©कवि होरी लाल "विनीता" बच्चों को संस्कार दीजिए
Bharadwaj Dilip
प्यार में मुझको यू ना नजराने दीजिए। शादी करने के यू ना बहाने दीजिए। अगर प्यार की हवस खत्म हो गई हो तो हमको घर को जाने दीजिए । ©Bharadwaj Dilip # घर को जाने दीजिए
Neel Lokesh Mishra (Insta-Neel3.Mishra)
खुद को चुनौती दीजिए, परिणाम पर मत जाइए, रणनीति पर विचार कीजिए, उतर जाइए जमीं पर कमर कसके, खुद पर इतना विश्वास कीजिए©✓ ©Neel Lokesh Mishra #खुद #को #चुनौती #दीजिए
Vikram Singh
अब नहीं भागता मैं पीछे पीछे रिश्ते को बचाने के लिए खुद मै खुद से भरोसा तोड़कर रिश्तों के अंदर खुद को जोड़कर जीने लगा उनको बचाने के लिए बिछड़े रिश्तों को समेटता रहा उनको पास बसाने के लिए दूरियां फिर भी कम नहीं हुई कई बार पास बिठाने पर मजबुर कर दिया मुझको आंखो के कतरे आंखो में सजाने पर थक चुका हूं उनकी झूठी हसीं की झूठी तसल्ली से कि घर में बड़ा हूं इसलिए भागता हूं रिश्तों को बचाने के लिए खुद मै खुद से भरोसा तोड़कर रिश्तों के अंदर खुद को जोड़कर जीने लगा उनको बचाने के लिए अब नहीं भागता मै पीछे पीछे रिश्तों को बचाने के लिए रिश्तों को बचाने के लिए